Supreme Court on Sahara Group: सुप्रीम कोर्ट की फटकार–सहारा समूह पर प्रहार, जल्द मिलेगा निवेशकों का अटका हुआ पैसा
सुप्रीम कोर्ट की लताड़
Supreme Court on Sahara Group: अगर आपका पैसा भी सहारा समूह में अटका पड़ा है तो यह ख़बर आपको राहत की सांस देगी. सुप्रीम कोर्ट के द्वारा एक एहम फ़ैसला सहारा समूह को दिया जा चुका है. इस फ़ैसले से निवेशकों के मन में अपने अटके हुए पैसे वापस मिलने की आस जगी है. बीते मंगलवार को सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट (supreme court) ने जम कर सहारा ग्रुप को लताड़ दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने साफ़ शब्दों में कह दिया है कि सहारा समूह निवेशकों के अटके हुए पैसे अपनी सम्पति बेचकर लौटा सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि सहारा को सेबी (SEBI-Securities and Exchange Board of India) सहारा रिफंड अकाउंट में 10,000 करोड़ रूपए जमा करने हेतु सम्पति बेचने से कोई भी रोक नहीं सकता है. असल में, निवेशकों से पैसे सहारा समूह की कंपनियां SIRECL व SHICL ने इकट्ठे किये थे. वर्ष 2012, 1 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट द्वारा यह आदेश जारी किया गया था कि निवेशकों (investors) का पैसा सहारा समूह की ये दोनों कंपनियां SIRECL और SHICL 15 फ़ीसदी सालाना ब्याज़ के साथ सेबी को लौटा देगी. निवेशकों का यह पैसा मार्किट रेगुलेटर द्वारा लौटाया जायेगा. निवेशकों के लिए अदालत के न्यायमूर्तिगण बेहद अफ़सोस जता रहे थे.
दलीलों पर नहीं हुई सुनवाई
सहारा समूह की ओर से अदालत के निर्देशानुसार सही समय पर पैसा जमा नहीं किये जाने से न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति एमएम सुन्दरेश तथा न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी के बेंच ने बहुत नाराज़गी जताई. वें सभी सहारा समूह की इस हरकत की वजह से काफ़ी गुस्सा हुए. बेंच ने नाराज़ लहजे में कहा कि 10 साल से भी अधिक समय बीत चुका है मगर सहारा समूह ने कोर्ट के आदेशों का पालन नहीं किया है. सहारा समूह के पक्ष में मौजूद सीनियर अधिवक्ता (senior advocate) कपिल सिब्बल ने इस सन्दर्भ में कहा कि कंपनियों को सम्पति बेचने के लिए मौका ही नहीं दिया गया था. कपिल सिब्बल की इस दलील से भी बेंच खफ़ा हुए. इस बयान पर बेंच ने कहा कि न्यायलय के आदेश के मुताबिक 25,000 करोड़ रूपए में से शेष 10,000 करोड़ रुपयों को जमा करने हेतु सहारा समूह को अपनी सम्पति बेचने के लिए कही से भी प्रतिबंधित नहीं किया गया है. इतना ही नहीं, बेंच ने यह भी कहा कि अदालत ने सम्पति बेचने के लिए जितना वक़्त चाहिए था, उतना वक़्त दिया. सीनियर अधिवक्ता कपिल सिब्बल की किसी भी दलीलों को कोर्ट में नहीं सुना गया. सेबी के पक्ष में पेश सीनियर अधिवक्ता प्रताप वेणुगोपाल ने कहा कि सहारा समूह की सभी सम्पति बिना कर्ज वाली नहीं है. इससे यह स्थिति साफ़ नहीं है कि कंपनी शेष पैसे का भुगतान कब तक कर पाएगी.
क्या कहा न्यायमूर्ति खन्ना ने
कोर्ट ने यह भी कहा कि सहारा समूह की सम्पति को सर्किल रेट से कम रेट पर नहीं बेचना है. यदि ऐसे हालात आते हैं जब सम्पति को सर्किल रेट से कम रेट पर बेचना हो तो सबसे पहले न्यायालय की मंज़ूरी लेनी होगी. बेंच ने यह भी कहा कि ‘सेबी लगभग 10,000 करोड़ रूपए की मांग किये जा रहे हैं. आपको इसे हर हाल में जमा करना होगा. हम सभी एक अलग तरह की योजना चाह रहे हैं ताकि सम्पति को पारदर्शी तरीक़े से बेचा जा सके. हमारे इस प्रैक्टिस में सेबी भी मौजूद रहेंगे‘. न्यायमूर्ति (justice) संजीव खन्ना ने कहा कि सर्किल रेट से नीचे सम्पति को बेचना, ना तो सेबी के पक्ष में सही होगा और ना ही सहारा समूह के पक्ष में.
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