तेजस्वी पीएम मोदी को जाति जनगणना के लिए करेंगे मजबूर, ट्वीट करते हुए जानिए क्या दी चुनौती?

बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने जातिगत जनगणना की मांग को लेकर केंद्र सरकार पर जोरदार हमला बोला है। उनका कहना है कि जातिगत जनगणना की मांग उनके पिता लालू प्रसाद यादव और जनता दल के अध्यक्ष रहते हुए भी उठाई गई थी। तेजस्वी यादव ने ट्विटर के माध्यम से और चुनावी सभाओं में इस मुद्दे को बारबार उठाया है और केंद्र सरकार को जातिगत जनगणना कराने के लिए चेतावनी दी है। उनका दावा है कि अगर केंद्र सरकार ने जातिगत जनगणना नहीं कराई, तो वंचित और उपेक्षित वर्ग बीजेपी नेताओं को उनके क्षेत्रों में घुसने नहीं देंगे।

तेजस्वी यादव ने अपनी बात को समर्थन देने के लिए 1996-97 की राजनीतिक घटनाओं को याद किया। उन्होंने कहा कि जब जनता दल की संयुक्त मोर्चा सरकार ने 2001 की जनगणना में जातिगत गणना कराने का निर्णय लिया था, तब यह निर्णय भाजपा के नेतृत्व में एनडीए सरकार बनने के बाद पलट दिया गया। नीतीश कुमार, जो उस समय वाजपेयी सरकार का हिस्सा थे, पर भी तेजस्वी ने निशाना साधा है।

तेजस्वी यादव ने 2010 की संसद की घटना का भी उल्लेख किया, जब लालू यादव और अन्य समाजवादी नेताओं ने जातिगत जनगणना की मांग को लेकर दबाव बनाया था। उन्होंने कहा कि तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने जातिगत गणना और सामाजिकआर्थिक सर्वेक्षण की स्वीकृति दी थी। इसके बावजूद, एनडीए सरकार ने 2021 की जनगणना भी नहीं कराई।

तेजस्वी ने बिहार में अपने कार्यकाल का हवाला देते हुए बताया कि उन्होंने 17 महीनों के अल्पकाल में बिहार में जाति आधारित गणना करवाई और आरक्षण को उसी अनुपात में बढ़ाया। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा और एनडीए सरकार ने 10 वर्षों में जातिगत जनगणना का कार्य नहीं किया और इसके कारण वंचित वर्गों को निराश किया।

तेजस्वी यादव ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सीधे चेतावनी दी है कि अगर जातिगत जनगणना की मांग पूरी नहीं की गई, तो वे उन्हें इस कार्य को करने के लिए मजबूर कर देंगे। उन्होंने भाजपा के समर्थन में खड़े क्षेत्रीय दलों को भी निशाने पर लिया, उन्हें सिद्धांतहीन और बिना रीढ़ की हड्डी का बताया। तेजस्वी यादव ने स्पष्ट रूप से कहा कि अगर जातिगत जनगणना की मांग को न माना गया, तो भाजपा नेताओं को उनके क्षेत्रों में घुसने की अनुमति नहीं दी जाएगी।

इस सबके बीच, तेजस्वी यादव ने एक वीडियो जारी किया है जिसमें उन्होंने जातिगत जनगणना की महत्वता और इसके पीछे के ऐतिहासिक संदर्भ को उजागर किया है। उनका पूरा प्रयास केंद्र सरकार पर दबाव बनाने और जातिगत जनगणना को अनिवार्य कराने का है।

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