Train Bedroll Washing Process: कैसे धुलती है रेलवे की बेडशीट? यहां जाने रेलवे के धोबी घाट के बारे में
भारतीय रेलवे है सुविधाजनक
Train Bedroll Washing Process: वर्तमान समय में अधिकांश लोग कहीं भी यात्रा करने के लिए भारतीय रेलवे (Indian Railway) का इस्तेमाल करते हैं. जैसा कि सभी जानते हैं कि भारतीय रेलवे सुविधाजनक तो है ही, साथ में सस्ता भी है. अपनी जेब तथा बजट के अनुसार प्रति व्यक्ति भारतीय रेलवे की टिकट्स बुक करके सफ़र कर सकता है. जहां ग़रीब लोग जनरल कोच में सफ़र करते हैं तो वहीं, पैसे वाले फर्स्ट एसी में आराम से यात्रा करते हैं. भारतीय रेलवे लोगों को उनके कोच के हिसाब से सुविधाएं उपलब्ध कराता है. भारतीय रेलवे के अंतर्गत रोज़ाना सैंकड़ों की तादाद में यात्री सफ़र करते हैं. यात्रियों को यह मालूम होता है कि भारतीय रेलवे फर्स्ट एसी से लेकर थर्ड एसी तक के पैसेंजर्स को सोने के लिए बेडरोल की सुविधा प्रदान करता है. एसी कोच के पैसेंजर्स को ट्रेन में सोने के लिए चादर, तकिया और कंबल उपलब्ध कराया जाता है. यात्रियों को बेडरोल के पैकेट में ये चीज़ें मिलती हैं. जब यात्रियों को यह पैकेट दिया जाता है, तब उन्हें मालूम होता है कि ये सभी चीज़ें धुली हुई हैं और इन सभी को प्रेस करने के बाद ही यात्रियों तक पहुंचाया जाता है. मगर यात्रियों को यह नहीं पता होता है कि आख़िर चादरों और कंबलों की धुलाई कैसे की जाती है.
ऐसे होती है बेडरोल्स की धुलाई
हाल ही में सोशल मीडिया पर एक शख्स ने उस जगह की एक झलक दिखाई है, जहां पर भारतीय रेलवे के बेडरोल्स की जमकर धुलाई की जाती है. असल में, जिन भी ट्रेनों में पैसेंजर्स को बेडरोल की सुविधा दी जाती है, उन ट्रेनों के कर्मचारी इस्तेमाल किये गये सभी चादरों और तकिये के कवर को एक जगह इकठ्ठा करके स्टेशन पर उतार देते हैं. वहां से इन सभी चादरों और तकिये के कवर को पटना, दानापुर रेलवे स्टेशन पर पहुंचाया जाता है. इस जगह के पास ही में एक बड़ा सा कारखाना है. इस कारखाने में बड़ी–बड़ी मशीनों के द्वारा ट्रेन के गंदे चादरों की धुलाई की जाती है. धुलाई की प्रक्रिया में सबसे पहले दाग़दार चादरों को अलग किया जाता है. फ़िर उन चादरों में से दाग़ को छुड़ाया जाता है. दाग़ छुड़ाने के बाद चादरों को बड़ी–बड़ी वॉशिंग मशीनों में डाला जाता है. इसके बाद चादरों की धुलाई की जाती है. भारतीय रेलवे के पास इतनी जगह नहीं है कि वह इतने सारे चादरों को सफ़ाई के बाद आसमान के नीचे सूखा सके. जगह के अभाव की वजह से चादरों को बड़े–बड़े ड्रायर्स में ही सुखाया जाता है.
प्रेसिंग की प्रक्रिया
चादरों के सूख जाने के बाद उन्हें प्रेस किया जाता है. चादरों को बड़े–बड़े हीटिंग रोल्स के नीचे डालकर प्रेस किया जाता है. फ़िर रेलवे कर्मचारी इन सभी चादरों को अपने हाथों से फ़ोल्ड करते हैं. धुलाई के कारखाने में एक सेक्शन में बैठी महिलाएं फ़ोल्ड किये गए चादरों को कागज़ के पैकेट्स में डालकर पैक कर देती हैं और इन्हीं पैकेट्स को ट्रेन के यात्रियों तक पहुंचाया जाता है.