विश्व में पहली बार लोकतंत्र की स्थापना और संसद के गठन का गौरव वैशाली को ही प्राप्त है। यहीं नहीं भगवान बुद्ध की कर्मभूमि और वर्धमान महावीर की जन्मभूमि भी वैशाली है। लगभग 600 ईसा पूर्व यहां के शासक जनता के प्रतिनिधियों द्वारा चुने जाने लगे और यहां गणतंत्र की नींव पड़ी। वैशाली गणतंत्र में 7 हजार 777 निर्वाचित गण शासन व्यवस्था का संचालन करते थे।
वर्तमान वैशाली संसदीय क्षेत्र 1977 में अस्तित्व में आया। अभी तक वैशाली लोकसभा सीट पर हुए 12 चुनावों में से दस बार राजपूत प्रत्याशी की जीत हुई है। जबकि दो बार भूमिहार प्रत्याशी ने जीत हासिल की है। वैशाली राजद का मजबूत गढ़ रहा है। पूर्व केन्द्रीय मंत्री डॉ. रघुवंश प्रसाद सिंह यहां से रिकॉर्ड लगातार पांच बार सांसद बने। रघुवंश बाबू 1996 में जनता दल तथा 1998, 1999, 2004 एवं 2009 में राजद के टिकट पर चुनाव जीते। परन्तु 2014 में एनडीए के लोजपा प्रत्याशी रामा किशोर सिंह से मात खा गए।
वैशाली महिला प्रत्याशियों के लिए पसंदीदा चुनावी क्षेत्र रहा है। अब तक यहां हुए 12 लोकसभा चुनावों में से चार बार महिला सांसद निर्वाचित हुईं हैं। इनमें से तीन बार तो महिला उम्मीदवारों के बीच ही सीधा मुकाबला हुआ। जनता पार्टी ने 1980 में किशोरी सिन्हा को वैशाली में प्रत्याशी बनाया। किशोरी सिन्हा ने कांग्रेस के एलपी शाही को शिकस्त दी। किशोरी सिन्हा ने कांग्रेस टिकट पर 1984 में लोकदल की तारकेश्वरी सिन्हा को हाराया। परंतु, 1989 में वे स्वयं जनता दल की उषा सिन्हा से हार गयीं। 1994 में लवली आनंद ने किशोरी सिन्हा को शिकस्त दी।
वैशाली संसदीय क्षेत्र चुनाव हारने वाले सांसद के सियासी कैरियर का लिटमस टेस्ट साबित हुआ है। वैशाली में चुनाव हारने के बाद पूर्व केन्द्रीय मंत्री तारकेश्वरी सिन्हा एवं उषा सिन्हा, पूर्व सांसद नवल किशोर सिंह, किशोरी सिन्हा, लवली आनंद एवं वृशिण पटेल का सियासी कैरियर में वापसी के लिए कठिन संघर्ष करना पड़ा। जनता पार्टी के दिग्विजय नारायण सिंह ने 1977 में पूर्व कांग्रेसी सांसद नवल किशोर सिंह को शिकस्त दी। रघुवंश प्रसाद सिंह ने 1996 व 1998 में वृशिण पटेल को तथा 1999 में लवली आनंद को शिकस्त दी। इस बार वैशाली की लड़ाई रोमांचक है। यहां से राजद ने एक बार फिर डॉ. रघुवंश प्रसाद सिंह को खड़ा किया है।
लोजपा ने वर्तमान सांसद रामा किशोर सिंह की जगह पूर्व भाजपा विधायक वीणा देवी को पार्टी में शामिल करते हुए उम्मीदवार बनाया है। दिलचस्प बात तो यह है कि वीणा देवी के पति जदयू विधान पार्षद दिनेश सिंह ही पहले रघुवंश प्रसाद सिंह के चुनाव की व्यवस्था संभालते थे। वे रघुवंश प्रसाद सिंह के आधार वोट में सेंधमारी करने के साथ-साथ उनके चुनावी व्यूह रचना को भी भेदना चाहेंगे। 2014 में लोजपा के टिकट पर रमा सिंह ने वैशाली संसदीय सीट पर राजद के दिग्गज नेता एवं पूर्व केन्द्रीय मंत्री डॉ. रघुवंश प्रसाद सिंह को एक लाख से अधिक मतों से हराया था।