Vegan vs Vegetarian: आज हम बात करेंगे एक ऐसे टॉपिक की जिसे अक्सर लोग एक जैसा समझ लेते हैं — Vegetarian और Vegan। हाल के दिनों में Vegan फ़ूड और Vegan लोगों की संख्याएं काफी ज्यादा बढ़ गयी है और ये अच्छी खासी प्रचलित भो हो रही है. वैसे लोग जो जानवरों के प्रति करुना और सद्भावना रखते है उन लोगों को Vegan फूड्स और ऐसी चीज़ें ज्यादा पसंद आ रही है. और अब तो पहले जैसे मुश्किलें भी नहीं है क्योंकि बाज़ारों ने भी Vegan फूड्स को अपनाना शुरू कर दिया है. अब मार्केट में Vegan फूड्स का अच्छा खासा विकल्प देखने को मिल जाता है. लेकिन कई बार लोग कंफ्यूज हो जाते है कि Vegan और शाकाहारी दोनों ही मांस नहीं खाते, लेकिन क्या वाकई दोनों एक जैसे होते हैं? तो चलिए आज इस भ्रम को दूर करते हैं।
1. शाकाहारी कौन होता है?
शाकाहारी यानी Vegetarian वे लोग होते हैं जो मांस, मछली और अंडा नहीं खाते। लेकिन वे दूध, दही, घी, मक्खन, पनीर, चीज़ और शहद जैसी जानवरों से प्राप्त चीजें ज़रूर खाते हैं।
भारत में अधिकांश लोग शाकाहारी होते हैं। यहां शाकाहार सिर्फ धार्मिक या सांस्कृतिक परंपरा नहीं है, बल्कि यह एक खान–पान की शैली बन चुकी है।
यहां तक कि शाकाहारी लोग चमड़े के जूते, रेशम की साड़ी, ऊन के कपड़े भी आराम से पहनते हैं। उनका फोकस सिर्फ खाने तक सीमित होता है।
2. वीगन कौन होता है?
Vegan यानी वीगन वो होते हैं जो न सिर्फ मांस, मछली और अंडा नहीं खाते, बल्कि दूध और उससे बनी सभी चीजें — जैसे दही, घी, मक्खन, चीज़, पनीर और शहद तक — सब कुछ त्याग देते हैं।
लेकिन बात यहीं खत्म नहीं होती।
वीगन लोग चमड़े के जूते नहीं पहनते, ऊन का स्वेटर नहीं पहनते, रेशम की साड़ी नहीं पहनते। यानी, उनके लिए Veganism सिर्फ एक डाइट नहीं, एक सोच है — एक पूरा जीवनशैली।
3. क्या फर्क है Vegetarian और Vegan में?
मुख्य अंतर यही है कि:
- Vegetarian लोग जानवरों का मांस नहीं खाते, लेकिन उनसे प्राप्त दूध जैसी चीजें स्वीकारते हैं।
- Vegan लोग जानवरों से जुड़ी कोई भी चीज नहीं अपनाते, चाहे वह खाने में हो या पहनावे में।
जहां शाकाहार मुख्यतः एक फूड चॉइस है, वहीं वीगनिज़्म एक एथिकल सोच और जीवनशैली है — जिसमें कोशिश की जाती है कि किसी भी रूप में जानवरों का शोषण न हो।
4. लोग Vegan क्यों बनते हैं?
इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं:
- जानवरों के अधिकारों की रक्षा: डेयरी और अंडा उद्योग में जानवरों के साथ कैसा व्यवहार होता है, यह देखकर कई लोग वीगन बनते हैं।
- पर्यावरण की चिंता: डेयरी इंडस्ट्री से भारी मात्रा में ग्रीनहाउस गैसें निकलती हैं, जो जलवायु परिवर्तन को बढ़ावा देती हैं।
- स्वास्थ्य कारण: कुछ लोगों को दूध पचता नहीं, या वे एलर्जी से परेशान रहते हैं। ऐसे लोग वीगन डाइट अपनाते हैं।
5. क्या भारत में Vegan बनना संभव है?
हाँ, अब ये पहले जितना मुश्किल नहीं है।
आज बाजार में मिलते हैं:
- सोया दूध, बादाम दूध, ओट मिल्क
- प्लांट–बेस्ड घी और मक्खन
- वीगन चीज़, वीगन आइसक्रीम
इसके अलावा, कुछ लोग खुद घर पर भी कोकोनट दूध या ओट मिल्क बनाते हैं। हालाँकि, पूरी तरह ट्रांजिशन करना एक चैलेंज ज़रूर हो सकता है — खासकर बाहर खाने के दौरान, या जब पारंपरिक मिठाइयों की बात हो।
लेकिन अगर आप सच में जानवरों के प्रति करुणा और पर्यावरण की चिंता रखते हैं, तो धीरे–धीरे इस दिशा में बढ़ना एक पॉजिटिव कदम है।
अब आखिर में यही कहा जा सकता है कि
“Vegetarian होना एक भोजन की पसंद है,
लेकिन Vegan होना एक सोच, एक करुणा, और एक जीवनशैली है।“
also read: Summer Paint Trends: दीवारों पर लगाये ये पेंट, गर्मियों में भी घर देगा ठंडक का एहसास!