VIP Security: देश में अगर कोई व्यक्ति राजनीतिक रूप से बेहद प्रभावशाली है, या उसके जीवन को किसी कारणवश खतरा है, तो उसकी सुरक्षा की ज़िम्मेदारी केंद्र या राज्य सरकार उठाती है। भारत में सुरक्षा कवच की पाँच प्रमुख श्रेणियाँ होती हैं — Z+, Z, Y+, Y और X कैटेगरी। इनका निर्धारण व्यक्ति की “थ्रेट परसेप्शन” यानी खतरे के स्तर के आधार पर किया जाता है। आइए जानते हैं, ये सुरक्षा किसे, क्यों और कैसे दी जाती है।

Z+ सिक्योरिटी: देश की सबसे ऊंची सुरक्षा परत
Z+ कैटेगरी देश की सबसे हाई लेवल सिक्योरिटी मानी जाती है। यह सुरक्षा केवल कुछ चुनिंदा लोगों को ही दी जाती है, जिनकी जान को गंभीर खतरा हो। इस श्रेणी में लगभग 55 ट्रेंड जवान तैनात रहते हैं, जिनमें 10 से ज्यादा NSG कमांडो, दिल्ली पुलिस या CRPF के स्पेशल जवान शामिल होते हैं।
ये कमांडो 24 घंटे चौकन्ने रहते हैं, चाहे व्यक्ति घर में हो या यात्रा पर। इन कमांडोज़ के पास MP5 सब–मशीन गन जैसे अत्याधुनिक हथियार होते हैं।
Z+ सिक्योरिटी फिलहाल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, और कुछ अन्य वीआईपी नेताओं को मिली हुई है। यह सुरक्षा हर स्थिति में मूव करती है — सड़क मार्ग, एयरपोर्ट, या पब्लिक इवेंट, हर जगह इनकी सुरक्षा व्यवस्था सबसे सख्त होती है।
Z सिक्योरिटी: दूसरा सबसे ऊंचा सुरक्षा घेरा
Z कैटेगरी, Z+ के ठीक नीचे आती है। इसमें लगभग 22 सुरक्षा कर्मी तैनात होते हैं, जिनमें 6 NSG कमांडो, कुछ पुलिसकर्मी और PSO (Personal Security Officer) शामिल रहते हैं।
Z सिक्योरिटी पाने वालों को भी निरंतर निगरानी और हथियारबंद सुरक्षा दी जाती है। यह सुरक्षा दिल्ली पुलिस, ITBP, या CRPF के जवानों द्वारा दी जाती है।
कई बॉलीवुड सितारे और राष्ट्रीय स्तर के नेता इस सुरक्षा घेरे में आते हैं। उदाहरण के तौर पर, बॉलीवुड अभिनेता सलमान खान, जिन्हें जान से मारने की धमकियों के बाद Z सिक्योरिटी प्रदान की गई थी।

Y+ सिक्योरिटी: मध्यम स्तर की सुरक्षा
Y+ कैटेगरी में 11 सुरक्षा कर्मी तैनात होते हैं, जिनमें 1-2 कमांडो और 2 पर्सनल सिक्योरिटी ऑफिसर (PSO) शामिल होते हैं। इसके अलावा कुछ स्थानीय पुलिसकर्मी भी सुरक्षा में लगाए जाते हैं।
यह सुरक्षा उन लोगों को दी जाती है जिन पर मध्यम खतरे का अनुमान होता है — जैसे राज्य स्तर के नेता, वरिष्ठ अफसर, या समाजसेवी जिनकी लोकप्रियता बड़ी है।
इस सुरक्षा में व्यक्ति के साथ एक छोटा लेकिन प्रशिक्षित सिक्योरिटी स्टाफ हमेशा रहता है, जो उसके घर से लेकर यात्रा तक सुरक्षा सुनिश्चित करता है।
Y सिक्योरिटी: सीमित लेकिन भरोसेमंद सुरक्षा कवच
Y कैटेगरी में 8 जवान होते हैं — जिनमें 1 या 2 कमांडो, पुलिसकर्मी और 2 पर्सनल सिक्योरिटी ऑफिसर शामिल रहते हैं।
यह सुरक्षा आमतौर पर राज्य सरकारों द्वारा अपने क्षेत्रीय नेताओं, जजों, या किसी ऐसे व्यक्ति को दी जाती है जिसके खिलाफ लोकल स्तर पर खतरे की सूचना हो।
यह कैटेगरी Z और Y+ की तुलना में हल्की मानी जाती है, लेकिन फिर भी व्यक्ति की व्यक्तिगत सुरक्षा में सक्षम होती है।
X सिक्योरिटी: सबसे सामान्य सुरक्षा श्रेणी
X सिक्योरिटी कैटेगरी सबसे निचले स्तर की सुरक्षा होती है। इसमें सिर्फ दो सशस्त्र पुलिसकर्मी या PSO व्यक्ति के साथ रहते हैं।
यह सुरक्षा उन लोगों को दी जाती है जिन्हें सामान्य खतरा होता है, जैसे किसी केस में शामिल गवाह, या छोटे स्तर के नेता जिन्हें किसी कारण से व्यक्तिगत सुरक्षा की जरूरत हो।
हालांकि यह सुरक्षा सीमित होती है, लेकिन जरूरत पड़ने पर इसे Y या Z कैटेगरी में अपग्रेड भी किया जा सकता है।
कैसे तय होती है सुरक्षा की श्रेणी?
सिक्योरिटी का स्तर तय करने से पहले इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) या राज्य पुलिस की स्पेशल ब्रांच व्यक्ति के खतरे का विश्लेषण करती है।
रिपोर्ट में यह देखा जाता है कि उस व्यक्ति को किससे खतरा है, कितनी बार धमकी मिली, और उसकी पब्लिक इमेज या राजनीतिक स्थिति क्या है। इसके बाद गृहमंत्रालय अंतिम निर्णय लेता है कि उसे कौन–सी सुरक्षा दी जानी चाहिए।
भारत में VIP सिक्योरिटी केवल शोहरत का प्रतीक नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा व्यवस्था का अहम हिस्सा है।
Z+ से लेकर X कैटेगरी तक, हर स्तर एक व्यक्ति की जान की रक्षा के लिए डिज़ाइन किया गया है।
सवाल यह भी उठता है कि क्या देश में इन VIP सिक्योरिटी पर लगने वाला खर्च आम जनता की सुरक्षा पर असर डालता है?
लेकिन इसमें कोई दो राय नहीं कि किसी भी लोकतंत्र में नेताओं और प्रमुख हस्तियों की सुरक्षा उतनी ही आवश्यक है, जितनी जनता की आवाज़ की सुरक्षा।




