पश्चिम चंपारण नेपाल की सीमा से सटा उत्तरी बिहार का हिस्सा है। सत्याग्रह भूमि पश्चिम चंपारण को प्रयोग की धरती यूं नहीं कही जाती। केदार पाण्डेय जैसा मुख्यमंत्री देने वाले इस लोकसभा क्षेत्र से महात्मा गांधी ने चंपारण सत्याग्रह की शुरुआत की थी। महात्मा गांधी की कर्मभूमि चंपारण लंबे समय से सियासी सक्रियता का केंद्र रहा है। 2002 के परिसीमन के बाद 2008 में वाल्मिकी नगर और पश्चिमी चंपारण दो अलग-अलग सीटों के रूप में अस्तित्व में आईं। इससे पहले पश्चिम चंपारण का अधिकांश हिस्सा बेतिया सीट के तहत आता था।
पश्चिम चंपारण के उत्तर में नेपाल तथा दक्षिण में गोपालगंज जिला स्थित है। इसके पूर्व में पूर्वी चंपारण है। जबकि पश्चिम में इसकी सीमा उत्तरप्रदेश के पडरौना तथा देवरिया जिले से लगती है। गंडक और सिकरहना तथा इसकी सहायक नदियों के पास होने से पश्चिमी चंपारण जिले की मिट्टी उपजाऊ है। कृषि और छोटे-छोटे गृह उद्योग ही यहां के लोगों के रोजगार का प्रमुख जरिया है। अच्छी क्वालिटी के बासमती चावल तथा गन्ने के उत्पादन के लिए ये जिला मशहूर है।
परिसीमन के बाद 2009 और 2014 के चुनावों में बीजेपी के संजय जायसवाल ने इस सीट से जीत हासिल की। डॉ. संजय जायसवाल के पिता डॉ. मदन प्रसाद जायसवाल भी लोकसभा सांसद रह चुके हैं। स्व. मनोज पांडेय सांसद रह चुके हैं। 2019 चुनाव से पहले बीजेपी और जेडीयू एकजुट हो गए और बदले समीकरणों में महागठबंधन की चुनौती भी बड़ी है। पश्चिम चंपारण संसदीय क्षेत्र में मतदाताओं की कुल संख्या 12 लाख 20 हजार 868 है। इसमें से 6 लाख 58 हजार 427 पुरुष व 5 लाख 62 हजार 441 महिला वोटर हैं। पश्चिम चंपारण लोकसभा सीट के तहत विधानसभा की 6 सीटें आती हैं। इनमें नौतन, चनपटिया, बेतिया, रक्सौल, सुगौली और नरकटिया शामिल हैं।
2015 के विधानसभा चुनाव के नतीजों पर गौर करें तो इस संसदीय क्षेत्र की 6 विधानसभा सीटों में से 4 पर बीजेपी ने जीत हासिल की थी जबकि 1-1 सीट राजद और कांग्रेस के हाथ आई थी। 2014 के चुनाव में पश्चिम चंपारण लोकसभा सीट से भाजपा के डॉ. संजय जायसवाल ने जदयू उम्मीदवार और फिल्म निर्देशक प्रकाश झा को हराया था। उत्तर प्रदेश और नेपाल की सीमा से लगा पश्चिम चंपारण का इलाका देश के स्वाधीनता संग्राम के दौरान काफी सक्रिय रहा। पूरे चम्पारण में ब्राह्मण मतदाताओं की संख्या भी बहुत है।
आजादी के आंदोलन के समय चंपारण के ही एक रैयत राजकुमार शुक्ल के निमंत्रण पर महात्मा गांधी अप्रैल 1917 में मोतिहारी आए और नील की खेती से त्रस्त किसानों के अधिकार की लड़ाई लड़ी। अंग्रेजों के समय चंपारण को स्वतंत्र इकाई बनाया गया था। प्रशासनिक सुविधा के लिए 1972 में इसका विभाजन कर पूर्वी चंपारण और पश्चिमी चंपारण दो अलग-अलग जिले बना दिए गए। 2019 के लोकसभा चुनाव में पश्चिमी चंपारण से डॉ़ संजय जायसवाल भाजपा की तरफ से फिर चुनावी मैदान में हैं। महागठबंधन के खाते से ये सीट रालोसपा को मिली है। यहां से डॉ़ ब्रजेश कुमार कुशवाहा रालोसपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। इस सीट से महागठबंधन की ओर से टिकट नहीं मिलने पर बाहुबली राजन तिवारी ने निर्दलीय लड़ने का ऐलान किया था। लेकिन, आखिर में वो बीजेपी में शामिल हो गए।
2014 के चुनाव में पश्चिम चंपारण लोकसभा सीट से बीजेपी के डॉ. संजय जायसवाल ने जेडीयू उम्मीदवार और फिल्म निर्देशक प्रकाश झा को हराया था। प्रकाश झा इस सीट से चुनावी मैदान में अपनी किस्मत आजमाने उतरे थे लेकिन मोदी लहर में जीत बीजेपी के हाथ लगी। बीजेपी उम्मीदवार डॉ. संजय जायसवाल को 3,71,232 वोट मिले थे जबकि प्रकाश झा को 2,60,978 वोट मिले थे, वहीं आरजेडी के रघुनाथ झा को 1,21,800 वोट मिले थे। डॉ. संजय जायसवाल ने 2009 के चुनाव में भी इस सीट से जीत हासिल की थी।