Rainbow: बारिश के बाद जब आसमान में एक रंगीन धनुष नजर आता है, तो वो नजारा सच में मन को भा जाता है। इसे हम इंद्रधनुष या रेनबो कहते हैं। ये सिर्फ एक खूबसूरत दृश्य ही नहीं, बल्कि प्रकृति की एक जबरदस्त साइंटिफिक घटना भी है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि जो रेनबो हम देखते हैं, वो हमेशा एक “आधा गोला” या “सेमी–सर्कल” जैसा क्यों लगता है? जबकि असल में रेनबो पूरी तरह से गोल होता है। तो चलिए जानते हैं इसकी वजह।
इंद्रधनुष बनता कैसे है?
इंद्रधनुष तब बनता है जब सूरज की रोशनी बारिश की बूंदों से टकराती है। यह टकराव तीन मुख्य प्रोसेस से होकर गुजरता है – रिफ्रेक्शन (अपवर्तन), रिफ्लेक्शन (परावर्तन) और डिस्पर्शन (विक्षेपण)। जब सफेद रंग की सूर्य की किरण पानी की बूंद में प्रवेश करती है, तो वह रुक जाती है और मुड़ जाती है, जिसे रिफ्रेक्शन कहते हैं। फिर वह बूंद की अंदरूनी सतह से टकराकर रिफ्लेक्ट होती है, और बाहर निकलते वक्त फिर से रिफ्रेक्ट होती है।
इस पूरी प्रक्रिया में सूर्य की सफेद किरणें अपने सात रंगों – लाल, नारंगी, पीला, हरा, नीला, इंडिगो और बैंगनी – में बंट जाती हैं। यही रंग मिलकर हमें इंद्रधनुष का दृश्य देते हैं।
तो फिर हमें आधा ही रेनबो क्यों दिखता है?
असल में इंद्रधनुष एक पूरा गोलाकार होता है, लेकिन हमें इसका आधा हिस्सा ही दिखता है। इसका कारण है – क्षितिज (Horizon) और हमारी पोजिशन। जब आप जमीन पर खड़े होते हैं, तो धरती की सतह और क्षितिज हमारी नजर की लिमिट बना देते हैं। रेनबो का निचला हिस्सा उस क्षितिज के नीचे होता है, इसलिए वह हमारी आंखों से छिप जाता है।
अब सोचिए, अगर आप किसी ऊँची इमारत या पहाड़ की चोटी पर हैं, या फिर प्लेन में उड़ रहे हैं – तो आपके पास पूरा इंद्रधनुष देखने का मौका हो सकता है। विमान से यात्रा करते वक्त, अगर सूरज आपके सामने की तरफ और बारिश या बादल आपकी नजर के नीचे हैं, तो पूरा गोल रेनबो देखा जा सकता है।
रेनबो और सूर्य का कनेक्शन
इंद्रधनुष देखने के लिए एक खास एंगल की जरूरत होती है। सूरज और आपकी आंखों के बीच की लाइन से ठीक 180 डिग्री की दूरी पर एक पॉइंट होता है, जिसे एंटीसोलर पॉइंट कहा जाता है। रेनबो इसी पॉइंट के चारों ओर एक गोल घेरे में बनता है।
जब सूरज क्षितिज से कम ऊंचाई पर होता है – जैसे सुबह या शाम के वक्त – तब रेनबो ज्यादा बड़ा और स्पष्ट दिखता है। लेकिन जैसे–जैसे सूरज ऊंचा चढ़ता है, रेनबो नीचे की ओर खिसकता है और फिर अदृश्य हो जाता है।
क्या रेनबो हर बूंद से बनता है?
रोचक बात यह है कि बारिश की हर बूंद एक छोटा सा प्रिज्म होती है। हर बूंद में सूरज की रोशनी जब जाती है, तो वह सात रंगों में विभाजित हो जाती है। लेकिन आपकी आंखें हर बूंद से सिर्फ एक ही रंग देख पाती हैं – वह जो सही एंगल पर आप तक पहुंचता है। लाखों बूंदें मिलकर एक रेनबो बनाती हैं।
ग्लोरी और हेलो – रेनबो जैसे लेकिन अलग
इंद्रधनुष के अलावा और भी कुछ प्राकृतिक घटनाएं होती हैं जो दिखने में उससे मिलती–जुलती हैं – जैसे ग्लोरी और हेलो। ग्लोरी एक गोलाकार रंगीन रिंग होती है, जो एंटीसोलर पॉइंट के चारों तरफ दिखाई देती है, खासकर तब जब आप प्लेन से नीचे की ओर बादल देखें। वहीं, हेलो सूरज या चांद के चारों ओर एक चमकीली रिंग होती है, जो बर्फ के क्रिस्टल्स से बनती है।
तो अगली बार जब आप इंद्रधनुष देखें, तो याद रखें कि जो आधा दिखाई दे रहा है, वह असल में पूरा है। यह प्रकृति का एक अद्भुत विज्ञान है, जो न सिर्फ देखने में खूबसूरत है, बल्कि समझने में भी दिलचस्प है। अगर आप पूरा रेनबो देखना चाहते हैं, तो अगली बार एक ऊंची जगह से बारिश के बाद आसमान में झांकना न भूलें।
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