wildlife sanctuary in bihar: विदेशी परिंदों से गुलजार हुआ बिहार, प्रवासी मेहमानों का लगा बसेरा, यहाँ देख सकते हैं प्रकृति के अद्भुत नज़ारे
बिहार के वाल्मिकी टाइगर रिज़र्व (VTR) और सरैयामन पक्षी विहार में हर साल अक्टूबर/नवम्बर में ठंड की शुरुआत के साथ हीं प्रवासी पक्षियों का आना शुरू हो जाता है और मार्च तक इन पक्षियों यहाँ इन पक्षियों का बसेरा होता है। बसंत पंचमी के बाद इन पक्षियों का पलायन शुरू हो जाता है। ये पक्षी अपने जोड़ों के साथ यहां आते हैं और शीतकाल में यहां अपने वंश की वृद्धि करते हैं। फिर मार्च तक वे अपने परिवार के साथ वापस लौट जाते हैं।
पश्चिम चम्पारण जिले के कुछ विशेष क्षेत्रों में इस समय विदेशी पक्षियों से यह क्षेत्र गुलजार हो चूका है. साथ हीं इनके कलरव भी गूंजने लगे हैं। इन पक्षियों के कलरव को सुनकर पर्यटकों को यह एहसास हो रहा है कि सर्दियों का मौसम आ चुका है। झीलों और जलाशयों में इन प्रवासी पक्षियों को डुबकी लगाते हुए देखना पर्यटकों का ध्यान आकर्षित कर रहा है। इस साल भी, हर साल जैसे, प्रवासी पक्षियों का झुंड वाल्मिकी टाइगर रिज़र्व (VTR) में प्रकृति के खूबसूरती का एहसास करवा रहे हैं।
बेतिया वन प्रमंडल के डीएफओ आतिश कुमार ने बताया है कि हर साल सर्दियों के मौसम में हजारों मील की यात्रा कर के साइबेरियन पक्षियों का झुंड बिहार के वाल्मिकी टाइगर रिज़र्व और सरैयामन पक्षी विहार पहुँचता है। वन विभाग भी इन पक्षियों की सुरक्षा के लिए लगा होता गई, ताकि इनका सुरक्षित प्रवास सुनिश्चित किया जा सके। इस वर्ष भी, नवंबर मध्य में सरैयामन और जिले के अन्य वनवर्ती क्षेत्रों में साइबेरियन पक्षियों को देखा गया।
जिले के कुछ विशेष क्षेत्रों में प्रवासी और दुर्लभ पक्षियों का बसेरा है इसका पता 2024 के शुरुआत में हुए एशियन वॉटरबर्ड सेंसस के दौरान चला। इन क्षेत्रों में प्रमुख स्थान हैं उदयपुर बर्ड सेंचुरी (सरैयामन पक्षी विहार), गंडक के फ्लड प्लेन क्षेत्र, बगहा-2 प्रखंड का दारूवाबरी क्षेत्र और मझौलिया प्रखंड का लाल सरैया क्षेत्र। इन क्षेत्रों में पक्षियों की लगभग 250 प्रजातियां निवास करती हैं, जिनमें से 45 प्रजातियां साइबेरियन और अन्य प्रवासी पक्षियाँ शामिल हैं।
प्रवासी पक्षियों का यहां आना अक्टूबर में शुरू हो जाता है और नवंबर के अंत तक जारी रहता है। ये पक्षी फरवरी तक जिले में रहते हैं और फिर मार्च में अपने परिवार के साथ वापस लौट जाते हैं। इन पक्षियों का मुख्य आहार नदी की मछलियां, जलीय जीव और आस–पास के खेतों में लगे अनाज होते हैं। जिसे खा कर ये परिंदे यहाँ निवास करते हैं. साइबेरिया में ठंड के कारण वहां इन पक्षियों को भोजन की कमी हो जाती है, जिससे वे गर्म प्रदेशों की ओर पलायन करते हैं। मालूम हो कि भारत साइबेरिया की तुलना में गर्म है, इसलिए इन पक्षियों का आगमन भारत की ओर होता है।
सर्दियों के दौरान इन पक्षियों का आना जिले की जैव विविधता और पारिस्थितिकी के लिए महत्वपूर्ण होता है। प्रवासी पक्षियों का आगमन न केवल पर्यटकों को आकर्षित करता है, बल्कि यह स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र को भी समृद्ध करता है। इन पक्षियों के आगमन और उनके पर्यावरणीय योगदान से क्षेत्र में जैविक संतुलन बना रहता है। इनकी रक्षा और संरक्षण के लिए वन विभाग और स्थानीय समुदाय मिलकर काम कर रहे हैं ताकि भविष्य में भी इन पक्षियों का सुरक्षित प्रवास सुनिश्चित किया जा सके।