बिहार में भूमि विवाद को कम करने के लिए सरकार एक नई व्यवस्था लागू करने जा रही है. अब बस एक क्लिक करने पर किसी भी जमीन के सौ साल के पुराने रिकार्ड दिख जाएंगे. अगर यह व्यवस्था लागू हो गई तो फर्जी कागज बनाकर सरकारी व निजी जमीन पर कब्जा करना अब कठिन हो जाएगा. इसके साथ ही जमाबंदी पंजी का पुराना रिकार्ड गायब होने का बहाना भी नहीं चल पाएगा. भूदान की जमीन न तो रिकार्ड से गायब होगी और न ही एक ही जमीन का दो बार पर्चा बंटेगा. सरकारी जमीन की पैमाइश बार–बार कराने के झंझट से भी मुक्ति मिल जाएगी.
दरअसल राज्य सरकार जमीन विवादों को खत्म कर अपराध रोकने की एक नई व्यवस्था शुरू करने जा रही है. इसके लिए राज्य के सभी अंचलों में बन रहे अभिलेखागारों को आधुनिक तकनीक से लैस करने की तैयारी भी चल रही है. सभी अंचलों के अभिलेखागार डाक्यूमेंट मैनेजमेंट सिस्टम से लैस होंगे. पहले चरण में राज्य के 163 अंचलों का चयन किया गया है. सरकार ने इसके लिए पैसा भी दे दिया है. प्राप्त जानकारी के अनुसार सारण जिले के आधुनिक अभिलेखागार के लिए उपस्कर की खरीद की जा चुकी है. उस जिले के सोनपुर, मढ़ौरा, एकमा, मांझी व छपरा सदर में आधुनिक अभिलेखागार–सह–डाटा केन्द्र का भवन बनकर तैयार है.
सरकार जमीन से जुड़े अभिलेखों को व्यवस्थित व सुरक्षित रखने के लिए उन्हें डिजिटल और स्कैन करा रही है. नई व्यवस्था में डिजिटाइजेशन एवं स्कैनिंग की कार्रवाई इस प्रकार होगी कि भविष्य में सॉफ्टवेयर के माध्यम से डॉक्यूमेंट मैनेजमेंट सिस्टम और रिकॉर्ड मैनेजमेंट सिस्टम के सॉफ्टवेयर द्वारा उन्हें ट्रैक किया जा सके.
नई व्यवस्था फूल प्रूफ हो, इसके लिए निष्पादित वादों का स्कैनिंग कर अभिलेखागार में संरक्षित रखे जाने से पहले उसके रिकार्ड संबंधित कार्यवाह लिपिक, प्रधान लिपिक और अंचलाधिकारी द्वारा सत्यापित किया जाएगा. इससे वादों के रिकार्ड के साथ भविष्य में छेड़–छाड़ की संभावना नहीं रहेगी. आवश्यकतानुसार वर्षवार संधारित सॉफ्ट कॉपी को हार्ड डिस्क में भी रखा जा सकता है.
आपको बता दें कि राज्य के 534 अंचलों में आधुनिक अभिलेखागार भवन बनाने का काम चल रहा है. लगभग 436 अंचलों में अभिलेखागार भवन तैयार हो चुके हैं. इन आधुनिक अभिलेखागार भवन में डाटा सेंटर भी विकसित करने के लिए 163 अंचलों को चिन्हित किया गया है.
आइये एक नजर डालते हैं उन सभी रिकार्ड्स पर जिन्हें डिजिटल सिस्टम में रखा जाएगा.
कैडेस्ट्रल सर्वे खतियान, रिविजनल सर्वे खतियान, चकबन्दी खतियान, राजस्व ग्राम मानचित्र, जमाबंदी पंजी (डिजिटाइज्ड), नामांतरण पंजी, नामांतरण अभिलेख, नामांतरण शुद्घि पत्र की मौजावार रक्षी पंजी, भूमि बंदोबस्ती पंजी, गैरमजरूआ आम, खास व कैसरे हिन्द भूमि पंजी, भू–हदबंदी भूमि बंदोबस्ती पंजी, भू–हदबंदी अभिलेख, भूमि क्रय पंजी, वासगीत पर्चा अभिलेख पंजी, वासगीत पर्चा अभिलेख, राज्य सरकार द्वारा निर्गत हुए पत्रों/परिपत्रों/संकल्प/अधिसूचना की रक्षी संचिका, गृह स्थल बंदोबस्ती पंजी एवं अभिलेख, भूमि मापी पंजी एवं अभिलेख, भू–सम्पदा पंजी, सैरात पंजी, भूमि अतिक्रमण वाद पंजी एवं अभिलेख, भू–दान, भूमि लगान निर्धारण एवं बन्दोबस्ती पंजी तथा अभिलेख, महादलित भूमि क्रय एवं बन्दोबस्त पंजी एवं अभिलेख, सैरात बन्दोबस्ती पंजी एवं अभिलेख, वाद का पंजी एवं अभिलेख तथा गैरमजरूआ आम खास (मालिक)/कैसरे हिन्द/धार्मिक न्यास/वक्फ बोर्ड/कब्रिस्तान/श्मशान आदि के भूमि से संबंधित पंजी.
बताते चलें कि बिहार में ज्यादातर अपराध भूमि विवाद के चलते होते रहे हैं. खुद बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी कहा था कि राज्य में 60 प्रतिशत अपराधिक घटनाओं के जड़ में भूमि विवाद होता है. भूमि विवाद से जुड़ी अपराधिक घटनाओं को कम करने के लिए सरकार अब नई व्यवस्था लागू करने जा रही है.