Placeholder canvas

बिहार का प्रसिद्ध मेला शुरू, जाने इससे जुड़ा इतिहास

Bihari News

आप सभी ने अपने जीवन में मेले का मजा एक न एक बार तो जरुर लिया होगा. लेकिन अगर आपने सोनपुर मेले का मजा नही लिया है तो अब आपके पास समय है कि आप बिना किसी बात का चिंता किये इस मेले का आनंद उठा सकते हैं. अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर इस मेले में ऐसा क्या ख़ास है जिसे देखने पर मैं आपको इतना जोर दे रही हूँ. तो मैं आपको बता दु कि सोनपुर मेला करीब एक महीने तक बिहार के सारण जिले में लगता है और इस मेले की गिनती विश्व प्रसिद्ध मेलों में की जाती है. आप इस मेले की खासियत इस बात से समझ सकते है कि इस मेले से आप सुई से लेकर हाथी तक की खरीदारी कर सकते हैं. बता दे कि कोरोना की वजह से पिछले तिन साल से इस मेले को नही लगाया जा रहा था लेकिन अब जब कोरोना का डर सभी के मन से निकल चूका है तो एक बार फिर इस मेले की शुरुआत 6 नवम्बर यानी की सोमवार से की जा रही है.जानकारी के लिए बता दे कि इस सोनपुर मेला की शुरुआत हर साल कार्तिक महीने से शुरू होती है जो कि एक महीने तक चलती है. इस मेले को हरिहर क्षेत्र मेलाऔर छत्तर मेलाके नाम से भी जाना जाता है. प्राचीन समय से लगने वाले इस मेले में भले ही आज कई प्रकार के परिवर्तन कर दिए गए है लेकिन इसकी महत्ता आज भी लोगों के मन में ठीक उसी प्रकार बनी है जैसे प्राचीन समय में लोगों के मन में हुआ करती थी. और यही कारण है कि हर साल इस मेले का मजा लेने दूरदूर से लोग आते है जिनमें विदेशी पर्यटक भी बड़ी मात्रा में शामिल होते हैं. हालांकि अब इस मेले में कई जानवरों की खरीदबिक्री पर प्रशासन की ओर से रोक लगा दी गयी है. जिनमें हांथी, चिड़िया जैसे जानवर शामिल है. वहीं जिला प्रशासन के द्वारा यहां के थियेटर में भी लोगों की आवाजाही पर रोक लगा दी है.बताते चले कि लोगों की मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है कि इस मेले से पशु की खरीदारी करना हमारे लिए काफी शुभ होता है. अब इस बात में कितनी सच्चाई है इसका हम कोई दावा नही कर सकते, क्योंकि हमारे पूर्वज अपनी मान्यताओं के अनुसार नएनए बातों को हम सभी तक पहुंचाते रहते हैं. लेकिन अब आपके मन में एक सवाल जरुर उठ रहे होंगे कि आखिर ऐसी क्या मान्यता है कि यहां पशुओं की खरीदारी करना शुभ है. तो हम आपको बता दे कि पौराणिक मान्यताओं के अनुसार यह स्थल गजेन्द्र मोक्ष स्थलके रूप में भी चर्चित ठा. ऐसा कहा जाता है कि पुराने समय में भगवान् के दो भक्तों ने पृथ्वी पर जन्म लिया जिनमें से एक हाथी था तो दूसरा मगरमच्छ. लेकिन एक बार जब कोणहारा घाट पर हाथी पानी पिने आया तो मगरमच्छ ने उसे अपने मुह में मजबूती के साथ जकड़ लिया जिसके बाद उन दोनों जानवरों में युद्ध की शुरुआत हो गयी. यह युद्ध कई दिनों तक चलता रहा लेकिन अंत में जब हाथी थक गया तो उसने भगवान् विष्णु को याद किया . जिसके बाद भगवान् विष्णु ने उस स्थान पर आकर अपने सुदर्शन चक्र का इस्तेमाल कर के उन दोनों के युद्ध को समाप्त कर दिया. यही कारण है कि तब से यहां पशु की खरीदारी को शुभ माना जाने लगा.वहीं अगर इस मेले के इतिहास पर नजर डाले तो, आपको यह जानने को मिलेगा कि एक जमाना ऐसा था जब यहां जंगली हाथियों की खूब खरीदबिक्री होती थी. उस दौरान यहां कई राजामहाराजा और अंग्रेज हांथीघोड़े की खरीदारी करने बड़े ही सौख से आते थे. बता दे कि इन राजामहाराजाओं में मौर्य वंस के संस्थापक चन्द्रगुप्त मौर्य , मुगल कल के अकबर और 1857 गदर के नायक वीर कुंवर सिंह भी शामिल थे. ये सभी यहां अक्सर हाथियों की खरीदारी करने आते थे. इसके साथ ही साल 1803 में यहां रॉबर्ट क्लाइव के द्वारा एक अस्तबल का भी निर्माण करवाया गया था. लेकिन आज तक इस बात की पुष्टि नहीं की गयी कि इस मेले की शुरुआत कब से हुई है. पर ऐसा कहा जाता है कि इसकी शुरुआत उत्तर वैदिक काल में हुई थी. सोनपुर के आम लोगों का कहना है कि पुराने समय में हिन्दू के दो सम्प्रदाय हुआ करते थे. जिनमें से एक शैव और दुसरे वैष्णव थे. इन दोनों के बीच हमेशा विवाद हुआ करता था और संघर्ष और तनाव की स्थिति रहा करती थी. इसी विवाद को खत्म करने के लिए इस स्थल पर प्रबद्ध जनों की कोशिश से इस सम्मलेन की शुरुआत की गयी ताकि दोनों सम्प्रदायों में समझौता कराया जा सकें.बताते चले कि इस मेले में नौटंकी, नाच, लोकसांस्कृतिक से जुड़े कार्यक्रम, मैजिक शो, और लाइव म्यूजिक इवेंट भी आयोजित किये जाते है जिसे देखने के लिए आज भी वहन लोगों की काफी भीड़ देखने को मिलती है. इसके अलावा यहां हैण्डीक्राफ्ट्स, जूलरी, पेंटिंग्स और पॉटरी जैसी चीजों का प्रदर्शन करते हैं. इन सभी चीजों का प्रदर्शन दुसरे राज्य और देश के अलगअलग हिस्सों से आये लोगों के द्वारा लगाया जाता है. ये साड़ी बातें जान कर अब तो आपको समझ आ ही गया होगा कि आखिर सोनपुर का यह मेला क्यों पूरे विश्व में प्रसिद्ध है, और आखिर ऐसी क्या वजह थी कि इस मेले की शुरुआत हुई.

Leave a Comment