मुजफ्फरपुर और सीतामंढ़ी के सीमांत क्षेत्र में स्थित यजुआर गांव आज भी मूलभूत सुविधाओं का अभाव है. आज हम भले ही चांद पर जाने की बात कहते हो लेकिन आज भी प्रदेश के कई ऐसे गांव हैं जहां इंसान के मूलभूत सुविधाओं का अभाव है. यजुआर गांव के कई ऐसी चीजें हैं जो उन्हें विरासत में मिली थी लेकिन सरकारी रखरखाब में गड़बड़ी के चलते अब खंडहर में तब्दील हो गई है.
आपको बता दें कि कभी यह गांव खादी ग्रामोद्योग के लिए जाना जाता था. यजुआर और आसपास के दर्जनों गांवों के महिलाओं के लिए खादी ग्रामोद्योग रोजगार का मुख्य साधन था , आज दशकों से बंद पड़ा हुआ है , वर्तमान समय में खादी ग्रामोद्योग के भवनों को भी किराया पर लगा दिया गया है. यजुआर और आसपास के ग्रामीणों के लिए एक मात्र अस्पताल वो भी दशकों से खंडहर में तब्दील.
इस गांव में वर्षों पहले हाई स्कूल में रेलुगलर क्लास चलता था यहां दर्जनों शिक्षक रोजना आते थे. लेकिन अब यह स्कूल धीरे धीरे खंडहर बनता चला गया है. वर्तमान समय में हाई स्कूल में ना तो रेगुलर क्लास चलता है और ना ही शिक्षक रेगुलर आते हैं , क्योंकि स्कूल में कोई सुविधा उपलब्ध नहीं है . ग्रामिणों ने बताया कि हाई स्कूल में सिर्फ छात्र छात्राओं का नामांकन और परीक्षा लिया जाता है , और छात्र से शिक्षक के द्वारा अवैध वसूली किया जाता है , स्कूल में 10+2 की सुविधा उपलब्ध होने के बाद भी आज तक क्लास चालू नही हुआ.
यजुआर गांव के लोगों ने बताया कि गांव में वर्षो पहले ग्रामीणों के घर से लेकर खेत तक पानी पहुंचाने के लिए पानी टंकी का निर्माण किया गया , किसान के खेतों तक पानी पहुचाने के लिए पाईप का जाल बिछाया गया उसके बाद भी आज तक इस सुविधा का लाभ ग्रामीणों को नही मिल पाया , दशको से बंद पड़ा हुआ है.