पटना मेट्रो के भूमिगत सुरंग के लिए delhi metro rail corporation यानि डीएमआरसी ने टनल रिंग सेगमेंट के पहले बैच को ढालने का काम शुरू कर दिया है. इस टनल रिंग को स्टील रीइन्फोर्समेंट केज में कंक्रीट सेट के छोटे–छोटे खंडो से तैयार किया गया है. आपको बता दें की इस टनल रिंग का इस्तेमाल सुरंग की स्थाई परत बनाने के लिए किया जाता है. दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन के अनुसार मार्च 2023 से मेट्रो सुरंग का निर्माण कर दिया जायेगा. इसका लक्ष्य 30 महीने तक रखा गया है. यानि उम्मीदन 2025 तक इसका निर्माण कार्य पूरा हो सकता है.
दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन के अनुसार पटना मेट्रो परियोजना के लिए निर्मित होने वाली भूमिगत सुरंग का पहला हिस्सा आकाशवाणी से मोइनुल हक़ स्टेडियम तक का भाग होगा. जिसमे गाँधी मैदान, पीएमसीएच व विवि भूमिगत स्टेशन भी शामिल होंगे. लगभग 7.78 किलोमीटर इसके रूट की लम्बाई होगी. टनल बोरिंग मशीन मोइनुल हक़ स्टेडियम से शुरू होकर पटना विवि और फिर आगे के स्टेशनो तक दो चरणों में अपना काम करेगा. अधिकारीयों के सर्वेक्षण और जांच के मुताबिक सुरंग को जमीन से लगभग 15 से 20 मीटर नीचे बनाया जाना है.
टनल रिंग भूमिगत सुरंगों के लिए एक प्रीकास्ट सेगमेंट लाइनिंग है. यह प्रीकास्ट सेगमेंट लाइनिंग टनल रिंग भूमिगत सुरंगों को संरचना और ताकत देती है. लिहाजा, इस बात की जानकारी मेट्रो अधिकारीयों ने दी है. आपको आगे की जानकारी देते चलें की टीबीएम यानि टनल बोरिंग मशीन का इस्तेमाल जमीन के नीचे की खुदाई के लिए होता है. इसलिए इस स्टील रीइन्फोर्समेंट केज में कंक्रीट सेट के छोटे खंडो का इस्तेमाल कर के सुरंग को स्थाई परत बनाया जाता है. सारे टनल रिंग में 6 खण्डों को साथ में जोड़कर इस व्यवस्था को लॉक कर के पूरा किया जाता है. ऐसे में यह जों टनल बोरिंग मशीन होती है उसे आगे बढ़ने में भी मदद करती है. सुरंग की दीवार स्थापित करने से पहले इस बात को सुनिश्चित किया जाता है की इसके द्वारा भूमिगत जल का दबाव रोका जा सके. इसके साथ ही साथ यह औद्योगिकी कम्पन और भूकंप से होने वाली कम्पन को स्थिरता दे सके. इस बात की भी सुनिश्चितता भी की जाती है की बाहर या अन्दर होने वाले दबाव का सामना करने के लिए भी सुरंग पूरी तरह से मजबूत हो. किसी भी बड़ी दुर्घटना के लिहाज से इन बातों की सुनिश्चितता करना भी काफी जरुरी हो जाता है. आपको बता दें की यह सब कार्य जमीन के उपरी बुनियादी ढांचे को बिना नुकसान पहुंचाए ही किया जाता है. और उपरी ढाँचे के नुकसान के बगैर ही भूमिगत सुरंग के खुदाई और टनल रिंग को स्थापित करने का काम पूरा हो जाता है. ऐसे में अधिक भीड़ वाली जगहों पर प्रतिदिन चलने वाली गतिविधियों में भी किसी प्रकार की बाधा नहीं आती है.
बताते चलें की पटना के मेन सिटी में जाम की समस्या सबसे अधिक होती थी. मेट्रो के शुरू हो जाने से जाम की समस्या भी कम होगी. चुकी मेट्रो का परिचालन भूमिगत होगा इसलिए इसके परिचालन से निजी और व्यावसायिक वाहनों का सड़क से भी दबाव कम होगा. मिली जानकारी के अनुसार प्रत्येक 2 किलोमीटर के रेंज में एक स्टेशन बनाया जायेगा.