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तेंदुलकर की चकाचौंध में इस बल्लेबाज ने बनाई अपनी अलग पहचान

Bihari News

पहले 15 मिनट में उसका विकेट ले लो अगर नहीं ले सके तो बांकी दूसरे विकेट लेने की कोशिश करो

ये शब्द हैं ऑस्ट्रेलिया के पूर्व महान खिलाड़ी और कप्तान स्टीव वॉ की, जिन्होंने राहुल द्रविड़ के लिए यह कहा है. आप इसी से अंदाजा लगा सकते हैं कि राहुल द्रविड़ किस कद के खिलाड़ी थे. राहुल द्रविड़ की कहानी में यूं तो संघर्ष, साहस और प्रेरणा का अनूठा मिश्रण है ही लेकिन सहजता, जिसे हम अंग्रेजी में सिम्प्लिसिटी कहते हैं, वो अलग ही मायने रखती है और द्रविड़ की कहानी को यही चीज सबसे खास बनाती है. द्रविड़ की सहजता सिर्फ उनके स्वाभाव में ही नहीं बल्कि उनकी बल्लेबाजी में भी दिखती है. और शायद इसलिए उस वक्त इतने सारे दिग्गज खिलाड़ियों के रहते द्रविड़ ने अपनी अलग पहचान बनाई.

राहुल द्रविड़ का जन्म 11 जनवरी, 1973 को मध्य प्रदेश के इंदौर में हुआ था. राहुल द्रविड़ के पिता का नाम शरद द्रविड़ है और माता का नाम पुष्पा. द्रविड़ के एक छोटे भाई भी हैं, जिनका नाम है विजय द्रविड़.

राहुल के बचपन में ही उनका परिवार इंदौर से बेंगलुरु (तब बैंगलोर) शिफ्ट हो गया. द्रविड़ की स्कूलिंग सेंट जोसफ बॉयज हाई स्कूल बैंगलोर से हुई. द्रविड़ को बचपन से ही क्रिकेट से लगाव था और उन्होंने स्कूल क्रिकेट से ही अपने अपने क्रिकेट सफर की शुरुआत की. क्रिकेट में प्रतिभावान होने के साथसाथ वो बहुभाषी भी थे. उन्हें मराठी, कन्नड़, हिंदी और अंग्रेजी सभी भाषाओं का ज्ञान था.

क्रिकेट के प्रति ऐसा समर्पण था कि द्रविड़ ने अंडर-15, अंडर-17 और अंडर-19 स्तर पर बतौर खिलाड़ी अपने राज्य का प्रतिनिधित्व किया. द्रविड़ के घरेलु क्रिकेट करियर को देखें तो उन्होंने साल 1991 में महाराष्ट्र के खिलाफ अपना डेब्यू किया. और अपने पहले ही रणजी मैच में उन्होंने 82 रनों की पारी खेल डाली. उस घरेलु सीजन में द्रविड़ के बल्ले से 63.30 की औसत से 380 रन निकले, जिसमें 4 शतक शामिल है.

इसके बाद उनका चयन साउथ जोन टीम में हुआ जो दलीप ट्रॉफी खेलती. द्रविड़ के फर्स्ट क्लास आंकड़ों को देखें तो उन्होंने 298 मैचों में 55.33 की औसत से 23,794 रन बनाए जबकि लिस्टए क्रिकेट में द्रविड़ ने 449 मुकाबलों में 42.30 की औसत से 15,271 रन बनाए हैं.

घरेलु क्रिकेट में शानदार प्रदर्शन कर राहुल द्रविड़ ने अंतराष्ट्रीय क्रिकेट का दरवाजा खटखटा दिया था और 3 अप्रैल 1996 को वर्ल्ड कप टूर्नामेंट में राहुल द्रविड़ ने श्रीलंका के खिलाफ अपना इंटरनेशनल डेब्यू कर लिया. लेकिन अपने अंतराष्ट्रीय मैच में राहुल द्रविड़ सिर्फ 2 रन बनाकर आउट हो गए.

इसके बाद इसी साल जून में राहुल द्रविड़ ने अपना टेस्ट डेब्यू कर लिया. इंग्लैंड के खिलाफ ऐतिहासिक लॉर्ड्स क्रिकेट ग्राउंड पर खेलते हुए राहुल द्रविड़ ने 95 रनों की पारी खेल डाली. इसके बड़ा राहुल द्रविड़ ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा, वो रन पर रन बनाते चले गए. द्रविड़ ने कुल 164 टेस्ट इंटरनेशनल मुकाबले खेले जिसमें उन्होंने 52.31 की औसत से 13,288 रन बनाए. इसके अलावा द्रविड़ ने भारत के लिए 344 वनडे मैचों में 39.16 की औसत से 10,889 रन बनाए. राहुल द्रविड़ ने भारत के लिए एक टी20आई भी खेला है.साल 2011 में इंग्लैंड के खिलाफ उस मुकाबले में द्रविड़ ने 31 रन बनाए थे. राहुल द्रविड़ IPL भी खेले जहां वो साल 2008 से 2010 तक RCB और 2011 से 2013 तक राजस्थान रॉयल्स टीम का हिस्सा रहे. द्रविड़ ने 89 आईपीएल मैचों में 28.23 की औसत से 2174 रन बनाए हैं.

आपको ये भी बता दें कि राहुल द्रविड़ की कप्तानी में भारत ने दक्षिण अफ्रीका को उनके घर में टेस्ट सीरीज हराया. ऐसा करने वाले वो भारत के पहले कप्तान हैं. और इंग्लैंड को इंग्लैंड में हराने वाले वो तीसरे भारतीय कप्तान बने. 2007 में भारत ने वो टेस्ट सीरीज जीती थी.

राहुल द्रविड़ को भारत का दीवार और मिस्टर डिपेंडेबल कहा जाता है, लेकिन क्या आपको पता है ये नाम उन्हें कैसे मिला ? दरअसल राहुल द्रविड़ ने अपने पूरे टेस्ट करियर में 31,258 गेंदों का सामना किया है जबकि 44,152 मिनट क्रीज पर बिताए हैं, यही कारण है कि उनको सब भारत का दीवार कहते हैं. द्रविड़ के बारे में एक खास बात और है कि वो अपने 286 टेस्ट मैचों में एक बार भी गोल्डन डक पर आउट नहीं हुए हैं.

साल 2011 में राहुल द्रविड़ ने वनडे और टी20 अंतराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास ले लिया जबकि 2012 में उन्होंने टेस्ट क्रिकेट को भी अलविदा कह दिया. द्रविड़ ने 20 टेस्ट और 62 वनडे मैचों में भारत की कप्तानी भी की. राहुल द्रविड़ के निजी जीवन की बात करें तो उन्होंने साल 2003 में विजेता पोंढारकर से हुई थी. द्रविड़ के 2 बेटे और एक बेटी हैं.

क्रिकेट से संन्यास के बाद भी द्रविड़ क्रिकेट से जुड़े रहे. वो साल 2016 से 2019 तक इंडिया अंडर-19 के हेड कोच रहे और उनकी कोचिंग में ही भारतीय टीम ने साल 2018 में अंडर-19 वर्ल्ड कप का खिताब जीता. इसके बाद द्रविड़ को नेशनल क्रिकेट अकैडमी (NCA) का अध्यक्ष बनाया गया जहां उन्होंने भारत की बेंच स्ट्रेंथ को मजबूत किया. फ़िलहाल राहुल द्रविड़ भारतीय टीम के हेड कोच हैं. चक दे क्रिकेट की पूरी टीम राहुल द्रविड़ के उज्जवल भविष्य की कामना करता है. अब बारी सवाल की, आपको क्या लगता है ? क्या द्रविड़ के कोच रहते भारतीय टीम सफलता के झंडे गाड़ने में सफल हो पाएगी या नहीं ? कमेंट में बताएं.

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