क्रिकेट खेलने वाले हर खिलाड़ी की पहली और आखिरी इच्छा होती है भारतीय टीम में खेलने की. जब उसका सपना पूरा होता है तो आंखों से आंसु निकल जाना कोई आम बात नहीं है यह उसकी भावना और उसकी मेहनत का फल होता है जो आंखों के द्वारा छलक जाता है. भारतीय टीम में इन दिनों एक खिलाड़ी अपने डेब्यू के बाद कुछ इस तरह भावुक हुआ है कि उसके माता पिता भी भावुक हो गए. इन दिनों भारत और ऑस्ट्रेलिया के साथ टेस्ट मुकाबला खेला जा रहा है जिसमें भारत की तरफ से सरफराज खान को भारतीय टीम के महान स्पिन गेंदबाज अनिल कुंबले ने कैप देकर भारतीय टीम में स्वागत किया. इस दौरान बल्लेबाजी करते हुए सरफराज ने सभी का दिल जीता है. सरफराज जब बल्लेबाजी कर रहे थे तो ऐसा लग रहा था जैसे वह टेस्ट क्रिकेट खेलने के लिए नहीं बल्कि टी-20 में बल्लेबाजी करने के लिए उतरे हों. उन्होंने बल्लेबाजी करते हुए सभी का दिल जीता है. आखिरी में वे रन आउट हो गए. इस दौरान तक सरफराज खान के बल्ले से 62 रन निकले थे. सरफराज ने बल्लेबाजी करते हुए 9 चौके और 1 छक्का लगाया था.

सरफराज खान ने अपने डेब्यू मुकाबले को लेकर बोलते हुए उन्होंने कहा कि मेरा सपना था कि मैं अपने पिता के सामने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेलना. उन्होंने यह भी कहा कि मेरे पिता का सपना था कि मैं भारत के लिए खेल सकुं लेकिन वे किसी कारण वस भारत के लिए नहीं खेल सके. तब घर से भी उन्हें खेलने को लेकर इतना समर्थन नहीं मिला था. लेकिन अब वे मेरे और मेरे भाई के ऊपर कड़ी मेहनत कर रहे हैं. सरफराज ने बोलते हुए कहा कि “यह मेरे जीवन का सबसे गौरवपूर्ण क्षण है. मैं हमेशा ही अपने पिता के सामने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेलना चाहता था. रन और प्रदर्शन मेरे दिमाग में उतना नहीं था जितना मैं अपने पिता के सामने भारत के लिए खेलने को लेकर खुश था. मेरे पिता राजकोट आने के लिए तैयार नहीं थे, लेकिन कुछ लोगों ने जोर दिया कि उन्हें जाना चाहिए, बेशक उन्हें आना चाहिए था क्योंकि उन्होंने इसी दिन के लिए इतनी कड़ी मेहनत की थी.

रन आउट होने के बाद बोलते हुए सरफराज खान ने कहा कि “यह खेल का हिस्सा है. क्रिकेट में इस तरह के पल कई बार देखने को मिलते हैं कभी-कभी आप रन आउट होते हैं और कभी-कभी आपको रन भी मिलते हैं. मैंने लंच के समय जडेजा से बात की थी और उन्होंने कहा था कि वह खेलते समय मेरे सात बात करते रहें. मुझे खेलते हुए बातें करना पसंद है. मैंने उनसे कहा था कि जब मैं बल्लबाजी के लिए जाऊं तो खेलते हुए मेरे साथ बात करते रहें. वह बात करते रहे और बल्लेबाजी करते हुए मेरा काफी समर्थन भी किया”.

पत्रकारिता में शुरुआत करने से पहले एक लंबा समय कॉलेज, युनिवर्सिटी में गुजरा है....

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