जदयू को उपेन्द्र कुशवाहा द्वारा डैमेज किये जाने पर पार्टी की बेचैनी साफ़ देखी जा रही है. क्योंकि उपेन्द्र कुशवाहा के द्वारा पार्टी को जिस तरह से डैमेज किया गया है उसे कण्ट्रोल करने के फ़िराक में बिहार के CM नीतीश कुमार को साफ़ देखा जा सकता है. दरअसल जदयू की पार्टी में कुशवाहा समाज की भीड़ नयी राष्ट्रिय कमिटी हो या फिर राज्य की कमिटी हर जगह बढती नज़र आ रही है. लेकिन अपनी पार्टी में कुशवाहा समाज की भीड़ को बढ़ा कर इस डैमेज को कण्ट्रोल करने में नीतीश अपने इस रणनीति में कितने सफल रहेंगे इस बात का पता तो चुनाव के बाद हीं चलेगा. पार्टी में कुशवाहा समाज की भीड़ को बढ़ाने के अलावे नीतीश राजद और ओवैसी की पार्टी की तरफ मुसलमानों के रुझान को रोकने की कोशिश करते भी नज़र आ रहें हैं. इसका पता इस बात से लगाया जा सकता है की नीतीश कुमार और ललन सिंह द्वारा गुलाम रसूल बलियावी को राष्ट्रिय कमिटी में जनरल सेक्रेट्री का बड़ा पद दे दिया गया है. इन रणनीतियों को अपना कर जदयू चाहती है की उसे कम से कम नुकसान का हीं सामना करना पड़े.
बता दें की 32 सदस्यीय राष्ट्रिय कमिटी जदयू अध्यक्ष ललन सिंह द्वारा बनाई गयी है. इस कमिटी में कुशवाहा समाज के नेताओं की संख्या काफी अधिक है. चलिए जानते हैं की किसे कौन से पद भार इस कमिटी में सौंपे गये हैं. बता दें की महासचिव का पद भगवान सिंह कुशवाहा, रामकुमार शर्मा, रामसेवक सिंह और संतोष कुशवाहा को दिया गया है. तो वहीँ कोषाध्यक्ष पद की जिम्मेदारी सांसद आलोक सुमन को दी गयी है. चलिए अब बात करते हैं प्रदेश कमिटी में बनाये गये महासचिव की. तो शंभू कुशवाहा, वासुदेव कुशवाहा, उमेश कुशवाहा, वीरेंद्र सिंह कुशवाहा, अरुण कुशवाहा, कौशल किशोर कुशवाहा, नंदकिशोर कुशवाहा, ब्रजेश कुशवाहा, संतोष कुशवाहा, मणिलाल कुशवाहा, धीरज कुशवाहा, बबन कुशवाहा और राजेश कुशवाहा को यह पद भार सौंपा गया है. वहीँ अजय कुशवाहा, अमरेन्द्र कुशवाहा, संजय कुशवाहा, रामबालक कुशवाहा, बबन कुशवाहा, सतेन्द्र कुशवाहा, दिलीप कुशवाहा, चन्दन कुशवाहा, राजेश कुशवाहा, अनिल कुशवाहा और कविन्द्र कुशवाहा को प्रदेश सचिव पद का भार सौंपा गया है. ऐसे में कुल मिलाकर 24 पद कुशवाहा समाज को महासचिव और सचिव के पद सौंप दिए गये हैं.
यूँ तो बिहार में कई बारे वोट MY यानि मुस्लिम यादव समीकरण के आधार पर भी देखा जाता है. लेकिन 6 से 7 फीसदी वोट कुशवाहा समाज के पास भी होता है. यानी यादव वोटों के बाद पिछड़ी जाती में सबसे ज्यादा वोट इन्ही लोगों के पास देखा गया है. बीजेपी भी इस दाव में पीछे नहीं है, वह भी कुशवाहा समाज को अपनी तरफ लाने के पुरजोर कोशिश में है. शायद इसलिए विधानपरिषद में सम्राट चौधरी को बीजेपी द्वारा नेता प्रतिपक्ष बना गया है. साथ हीं साथ अब सम्राट चौधरी बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष भी बन चुके हैं. जब तक जदयू के साथ उपेन्द्र कुशवाहा थे तब तक कुशवाहा समाज जदयू की तरफ था. लेकिन उपेन्द्र कुशवाहा के जाने के बाद जदयू से कुशवाहा समाज भी बिखरता दिख रहा है. शायद इसलिए राजनितिक जानकारों द्वारा यह माना जा रहा है इन वजहों से पहले के मुकाबले नीतीश कुमार अब कमजोर पड़ गये हैं. उनके कमजोर पड़ने की वजह कुछ समय पहले हुए उपचुनाव में साफ़ देखा गया. क्योंकि इन उपचुनावों में कुशवाहा वोट बैंक बीजेपी के तरफ चले गए. इसलिए कुशवाहा समाज को बड़े पैमाने पर जदयू में मौका दिया गया है.
वहीँ एक तरफ ललन सिंह के नेतृत्व में काम करने से केसी त्यागी भी पीछे हट रहे थे. इससे पहले भी केसी त्यागी आरसीपी सिंह के नेतृत्व में काम नहीं करना चाह रहे थे, इसलिए उन्होंने काम करने से मना भी कर दिया था. पर वे नीतीश के दबाव के कारण जुड़े रहे. इसलिए अब केसी त्यागी को राष्ट्रिय कमिटी से आउट कर दिया गया है क्योंकि उन्होंने ललन सिंह के नेतृत्व में काम करने से मना कर दिया था. दरअसल जदयू के राष्ट्रिय स्तर पर नए पदाधिकारियों की घोषणा में केसी त्यागी को कहीं पर भी जगह नहीं मिली है. राष्ट्रिय स्तर भी किन नए पदाधिकारियों के नाम शामिल हैं इसकी चर्चा हम पहले भी कर चुके है. खैर इस मामले पर अब केसी त्यागी का बयान भी सामने आया है. केसी त्यागी द्वारा खुद की मर्जी से पदमुक्त होने की बात कही गयी है. केसी त्यागी का राष्ट्रिय स्तर पर नए पदाधिकारियों की सूचि में नाम नहीं होने के कारण जो सवाल उठ रहें हैं उस पर अब जदयू महासचिव अफाक अहमद खान द्वारा सफाई दी गयी है. उनके तरफ से कहा गया है की “पिछली आयोजित राष्ट्रीय परिषद की बैठक 10 दिसंबर, 2022 के बाद ही केसी त्यागी जी ने हमारे सर्वोच्च नेता एवं बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से सांगठनिक दायित्व से मुक्त करने का अनुरोध किया था. उनके बार–बार अनुरोध करने पर हीं उन्हें सांगठनिक जिम्मेदारी से मुक्त करने पर सहमती जताई थी. लेकिन केसी त्यागी हमारे सर्वोच्च नेता नीतीश कुमार के साथ पार्टी के मजबूत स्तम्भ बने रहेंगे. अपनी बातो को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने कहा की नवगठित राष्ट्रीय पदाधिकारियों की सूची से हमारे वरिष्ठ पार्टी के नेता के.सी. त्यागी को सांगठनिक जिम्मेदारी से मुक्त करने के बारे में मीडिया गलत संदेश प्रसारित कर रहा है.”