इंसान गलती करता है और और उस गलती की सजा होती है. कुछ लोग होते हैं जिन्हें गलती की माफ़ी मिल जाती है लेकिन कुछ लोग ऐसे भी होते हैं, जिन्हें उनकी गलती की ताउम्र माफ़ी नहीं मिलती. तब वह इंसान पूरी जिंदगी एक पछतावे के साथ जीता रहता है, उसके अंदर वो आग हमेशा सुलगती रहती है.  कहानी है भारत के एक ऐसे बदनसीब क्रिकेटर की, जिसे BCCI ने कभी माफ़ नहीं किया. यह खिलाड़ी बस यही कहता रहा उसने वो गलती नहीं की है लेकिन बोर्ड ने एक ना सुनी. आज की कहानी भारत के एक प्रतिभाशाली खिलाड़ी दिनेश मोंगिया की.

 दिनेश मोंगिया भारत के उन बदनसीब क्रिकेटरों में से हैं, जिन्हें शायद बिना गलती किए बहुत बड़ी सजा मिल गई. क्रिकेट तो छूटा ही साथ ही बदनामी का ऐसा दाग लगा कि वो जीवनभर रहने वाला है. हम आपको दिनेश मोंगिया की वो गलती और माफ़ी के बारे में बताएं, उससे पहले आपको उनके जीवन और क्रिकेट करियर के बारे में बता देते हैं.

 दिनेश मोंगिया का जन्म 17 अप्रैल, 1977 को पंजाब के चंडीगढ़ में हुआ था. बचपन से ही एक क्रिकेटर का सपना लिए मोंगिया ने कड़ी मेहनत से डोमेस्टिक क्रिकेट में अपनी पहचान बना ली और बेहतरीन प्रदर्शन कर टीम इंडिया का भी दरवाजा खटखटा दिया. घरेलु क्रिकेट में मोंगिया ने 48.95 की औसत से 8081 रन बनाए, इस दौरान उनके बल्ले से 27 शतक और 28 अर्धशतक निकले. मोंगिया ने इस दौरान एक तिहरा शतक भी जड़ दिया और इसके बाद मोंगिया ने भारतीय टीम ने एंट्री ली. ये वो दौर था जब भारतीय टीम मैच फिक्सिंग के काले साए से निकलने की कोशिश कर रही थी. टीम ने कुछ सीनियर खिलाड़ियों को बाहर कर दिया था और टीम की कमान युवा सौरव गांगुली के हाथ में थी.

गांगुली उस वक्त भारतीय टीम में नया जोश भर रहे थे. वो खिलाड़ियों में जीतने का जज्बा ला रहे थे. ऐसे में टीम में बहुत सारे युवा खिलाड़ियों को मौका दिया जा रहा था, दिनेश मोंगिया भी उन चुनिंदा युवा खिलाड़ियों में से एक थे. फिर आया 28 मार्च, 2001 जब ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ दिनेश मोंगिया ने अपना डेब्यू मैच खेला लेकिन अपने पहले अंतराष्ट्रीय मैच में मोंगिया कुछ खास नहीं कर पाए लेकिन अपने 5वें वनडे मैच में मोंगिया ने इंग्लैंड के खिलाफ अर्धशतक ठोक दिया. इसके बाद जिम्बाब्वे के खिलाफ शतक जड़ा. मोंगिया को दमदार प्रदर्शन का इनाम मिला और उनको वर्ल्ड कप टीम में जगह दी गई. इस वर्ल्ड कप में भारतीय टीम फाइनल तक पहुंची, जहां ऑस्ट्रेलिया के हाथों उन्हें हार का सामना करना पड़ा.

लेकिन इस वर्ल्ड कप के बाद मोंगिया के प्रदर्शन में गिरावट आने लगी. ये वो दौर था जब भारत में टी20 लीग्स की शुरुआत हो रही थी. साल 2007 मोंगिया के लिए बेहद अशुभ साबित हुआ. इस वक्त भारत में एक नए टी20 लीग की शुरुआत हुई, जिसका नाम था इंडियन क्रिकेट लीग(ICL), लेकिन इस ICL को BCCI के तरफ से मंजूरी नहीं मिली थी और इसमें खेलने वाले क्रिकेटर बागी माने गए. यानी ICL खेलने वाले क्रिकेटरों को BCCI ने बैन कर देती. लेकिन दिनेश मोंगिया ने अपना मन बना लिया था और वो ICL खेले, मोंगिया के अलावा अम्बाती रायुडु और हेमंग बदानी भी इस लीग का हिस्सा थे. कुछ समय के बाद ICL भी भंग हो गया और इसके 2 साल बाद BCCI ने खिलाड़ियों से अपना बैन भी हटा लिया.

लेकिन दिनेश मोंगिया की वापसी के सारे रास्ते तब बंद हो गए जब साल 2015 में न्यूजीलैंड के क्रिकेटर Lu Vinset ने दिनेश मोंगिया पर मैच फिक्सिंग के आरोप लगा दिए. विंसेट ने लंदन की एक कोर्ट में कहा कि दिनेश मोंगिया उस गैंग का हिस्सा हैं जो ICL में मैचों को फिक्स करते थे. हालांकि मोंगिया ने अपने ऊपर लगे आरोपों को कभी नहीं माना और वो हमेशा यही कहते रहे कि वो मैच फिक्सिंग नहीं करते थे.

फिर आया साल 2017, जब कोर्ट ने पूर्व भारतीय कप्तान मोहम्मद अजहरुद्दीन को मैच फिक्सिंग मामले में बरी कर दिया, वो निर्दोष साबित हुए, अजहर के निर्दोष साबित होने के बाद मोंगिया का भी दर्द छलक गया. मोंगिया ने भी bcci से गुहार लगाई लेकिन बोर्ड ने माफ़ी नहीं ही दी. फिर सितंबर, 2019 में मोंगिया ने क्रिकेट के सभी फॉर्मेट से संन्यास ले लिया. मोंगिया के अलावा ICL खेलने वाले खिलाड़ी बाद में भारतीय टीम के लिए भी खेले लेकिन मोंगिया का यह सपना कभी पूरा नहीं हो पाया. वो ICL खेलने वाले इकलौते ऐसे खिलाड़ी हैं जो टीम इंडिया के लिए नहीं खेले. मोंगिया ने मन में एक टीस के साथ संन्यास लिया और शायद यह टीस उनके मन में अंतिम दम तक रहेगा. चक दे क्रिकेट की पूरी टीम दिनेश मोंगिया के उज्जवल भविष्य की कामना करता है.

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