बिहार के माउंटेन मैन दशरथ मांझी को कौन नहीं जानता. दरअसल मांझी जहाँ रहते थे वहां शहर और गाँव के बीचोंबीच पहाड़ था और दशरथ मांझी को पहाड़ के उस पार काम मिल गया था. मांझी की गर्भवती पत्नी हमेशा पहाड़ से होकर मांझी के लिए खाना ले जाया करती थी. एक दिन खाना ले जाने के दौरान उनकी पत्नी का पैर फिसल जाता है और हॉस्पिटल ले जाने के आभाव में उनकी पत्नी की मौत हो जाती है. मांझी इस घटना से बहुत आहत होते हैं उसी दिन मांझी खुद से और अपनी स्वर्गवास पत्नी से वादा करते हैं की वो पहाड़ को चिर सड़क बनायेंगे. ताकि जो हादसा मांझी और उनकी पत्नी के साथ हुआ वो किसी और के साथ ना हो. इसी सोच और आस को लिए मांझी निकल पड़े अपने छेनी और हथौड़ी के साथ. और चिर कर 360 फीट लंबे, 30 फीट चौड़े और 25 फीट ऊँचे पहाड़ को बना दिया सड़क. जहाँ लोगो को गाँव से शहर जाने में 55 किलोमीटर की दूरी का लम्बा रास्ता तय करना पड़ता था वहीँ पहाड़ से सड़क बन जाने पर यह दूरी 15 किलोमीटर में सिमट कर रह गयी. खैर सड़क बनाने के संघर्ष और मेहनत की कहानी तो बहुत लंबी है. मांझी को बिहार ही नहीं बल्कि पूरे भारत में नायक के रूप में देखते हैं. एक ऐसा नायक जिसने अपने प्यार के लिए और समाज की सुविधा के लिए पहाड़ को चिर कर जीत हासिल की. इन पर एक फिल्म भी बनी जिसका नाम था मांझीद माउंटेन मैन.

बिहार के एक और शख्स ने फिर से कुछ ऐसा हीं कारनामा कर दिखाया है. इस शख्स को लोग मांझी 2.0 के नाम से पुकार रहे. बिहार के इस शख्स ने लोगों को भौचक्का कर दिया है. इस शख्स ने पहाड़ से होकर मंदिर जाने वाले रास्ते में छेनी और हथौड़ी की मदद से सीढियाँ बना डाली है. इस शख्स की पहचान गनौरी पासवान के रूप में हो रही है. और यह जारू बन्वारिया गाँव का रहने वाला है जो की बिहार के जहानाबाद जिले में स्थित है. दरअसल इस गाँव में पहाड़ी से होकर लोग बाबा योगेश्वर नाथ के मंदिर जाते हैं. पहाड़ी से मंदिर जाने के दरमियाँ लोगों को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था. खासकर वैसे लोग जो विकलांग, बुजुर्ग और बच्चे थे. इसके लिए कथिततौर पर बताया की उन्होंने 8 वर्षो तक काम किया और पहाड़ वाले बाबा योगेश्वर नाथ के मंदिर तक जाने के लिए सीढियाँ बना डाली. पहाड़ की ऊंचाई 1500 फीट ऊँची थी जिसपर गनौरी पासवान ने 400 सीढियाँ बनाई. सीढियों के बन जाने के बाद लोगो का मंदिर जाना काफी आसान हो गया है. सीढ़ी बनाने के दौरान कई छोटीछोटी मूर्तियाँ भी मिली ऐसा गनौरी पासवान ने दावा भी किया है.

बिहार के मांझी और गनौरी जैसे शख्स ने अपने इस काम से यह साबित कर दिया है की हौसले बुलंद हो तो पहाड़ को भी उन बुलंद हौसलों के सामने झुकना पड़ता है. आज के इस लेख में इतना हीं और भी ऐसी जानकारी लेते रहने के लिए बने रहिये हमारे साथ.

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