इस वर्ष 26 सितंबर से माँ दुर्गा की पूजा की शुरुआत होने जा रही है. इस पूजा को लेकर शहर में तैयारियां कर दी गयी हैं. जगह जगह आकर्षक पंडाल और मूर्तियों का निर्माण किया जा रहा है. आपको बता दे कि पटना का कदमकुआं इलाका दुर्गोत्सव के लिए पूरे राज्य में प्रसिद्ध है. कदम कुआँ के इस पंडाल का नाम श्रीश्री दुर्गा पूजा कल्याण समिति (ठाकुरवाड़ी) हैं. इस समिति की स्थापना आज से 105 साल पहले की गयी थी, य्स्स्नी की साल 1917 में. यहां की मूर्ति और पंडाल को देखने के लिए लोगों का काफी लम्बा जमावरा होता.

आपकी जानकारी के लिए बता दे की पहले इस स्थान पर बंगाली परंपरा के अनुसार एक ही ढढ़र फ्रेम पर तीन प्रतिमाएं बनती थीं. इन तिन प्रतिमाओं में मां दुर्गा और राक्षस को एक फ्रेम में बनाये जाते थे. वहीं इस प्रतिमा के विसर्जन के बाद इस फ्रेम को वापस उसी स्थान पर रख दिया जाता हैं. इस प्रतिमा का विसर्जन भद्र घाट पर किया जाता हैं. इस प्रतिमा के विसर्जन में खास बात यह है कि इसमें प्रतिमा को लोग कंधो पर रख कर भद्र घात तक लेकर जातें हैं. लेकिन 1958 के बाद से इस बंगाल परंपरा को छोर दी गयी और बड़ी प्रतिमा बैठाने की परंपरा शुरू कर दी गयी. आज के समय में इनमें मां दुर्गा, सरस्वती, लक्ष्मी, गणेश और कार्तिक की प्रतिमा बनायी जाती है. बता दे कि इस वर्ष मूर्ति का निर्माण कोलकाता के मूर्तिकार शिव शंकर पंधित के टीम के द्वारा करवाई जा रही हैं.
जानकारी के अनुसार यहां पर स्थापित प्रतिमा को बिलकुल शुद्ध सोने के गहने पहनायें जातें हैं. यहां मौजूद हर प्रतिमा के पास पांच सेट हैं. इन गहनों में बड़ी हार, छोटी हार, मांगटिका, नथूनी, हाथ फूल और कनबाली हैं. इन गहनों को माँ को पहनाने से पहले इसकी सफाई की जाती है और उसके बाद ही इसे माँ को पहनाया जाता हैं. श्रीश्री दुर्गा पूजा कल्याण समिति की ओर से बताया गया है कि इस बार का पंडाल बिलकुल इको फ्रेंडली होगा. इसका मकसद पर्यावरण के प्रति लोगों को जागरूक करना हैं. बता दे कि यह पूरा पंडाल जुटे से तैयार किया जा रहा हैं. यहां होने वाली पूजा भी बनारस और बंगाली पद्धति से से की जाती है जो खुद में अनोखा होता हैं.

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