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वह विदेशी खिलाड़ी जो बन गया टीम इंडिया की जान

Bihari News

भारतीय टीम के 90 के दशक को जरा याद करिए. भारत के पास बल्लेबाजी से लेकर गेंदबाजी तक लैस भी उस समय तक भारतीय टीम के पास एक विश्वकप भी आ गया था. लेकिन उस समय के प्लेइंग इलेवन में अगर इस खिलाड़ी को जगह नहीं मिलती तो लोग यही कहते थे कि आज टीम कुछ अधूरा सा लग रहा है. वह अपनी बल्लेबाजी के साथ ही गेंदबाजी के लिए तो जाना ही जाता था साथ ही वह खिलाड़ी अपनी फिल्डिंग के लिए भी जाना जाता था. जब वह खिलाड़ी टीम का हिस्सा रहा तो खिलाड़ियों में एक जान सी आ जाती थी. आपको जानकर आश्चर्य होगा कि यह खिलाड़ी भारत का नहीं था बल्कि यह कैरेबियाई देश त्रिनिदाद एंड टोबैगो का रहने वाला था. अब तक तो आपको समझ में आ ही गया होगा कि हम किस खिलाड़ी के बारे में आगे बात करने बाले हैं. चक दे क्रिकेट के आज के सेगमेंट चक दे क्लिक में हम बात करेंगे रॉबिन सिंह के बारे में

रॉबिन सिंह के क्रिकेट कैरियर के बारे में तो हम जानेंगे लेकिन उनसे भी रोचक है त्रिनिदाद एंड टोबैगो से भारत आने तक का सफरभारतीय टीम के बेहतरीन ऑलराउंडर रॉबिन सिंह का जन्म साल 1963 में त्रिनिदाद एंड टोबैगो में हुआ था. वे बचपने से पढ़ने और क्रिकेट खेलने में बहुत ही अच्छे थे. हालांकि भारतीय टीम में शामिल होने के लिए उन्हें बहुत संघर्ष करना पड़ा था. रॉबिन सिंह का मूल नाम था रवींद्र रामनारायण सिंह था. वे भारतीय मूल के थे. बताया जाता है कि उनके पूर्वज 150 साल पहले वेस्टइंडीज गिरमिटिया मजदूर बनकर गए थे. फिर वहीं के रह गए. हालांकि रॉबिन सिंह ने क्रिकेट की शुरुआत ट्रिनिडेड में की थी. वे जब स्कूल में थे तब उसी समय उन्होंने क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया था. जब वे स्कूल लेबल का क्रिकेट खेल रहे थे उस समय भारत की स्कूल टीम क्रिकेट खेलने के लिए वेस्टइंडीज गई थी. वेस्टइंडीज की तरफ से रॉबिन सिंह खेल रहे थे. रॉबिन ने इस मैच मे शानदार प्रदर्शन किया. उनके खेल को देखते हुए भारतीय टीम के एक व्यक्ति अकबर इब्राहिम ने उन्हें भारत आने का न्योता दे दिया. इसके बाद रॉबिन अपने स्कूल जीवन में क्रिकेट खेलते रहे. साल 1982 में रॉबिन सिंह भारत आए. रॉबिन यहां पढ़ाई करने के इरादे से आए थे. उन्होंने मद्रास यूनिवर्सिटी में इकोनॉमिक्स में एडमिशन करवाया था. यहां पढ़ाई करते करते रॉबिन ने क्रिकेट भी जारी रखा. जब वे क्रिकेट खेलने लगे तो फिर वे लौट कर अपने देश एक खिलाड़ी के तौर पर नहीं जा सके.

अब शुरू होता है रॉबिन सिंह का क्रिकेट कैरियरःसाल 1982 में जब रॉबिन सिंह भारत आए तो उन्होंने यहां पर पढ़ाई के साथ ही क्रिकेट को भी जारी रखा था. इसी दौरान उन्होंने तमिलनाडु की तरफ से खेलते हुए फर्स्ट क्लास क्रिकेट में अपने कैरियर की शुरुआत कर दी थी. हालांकि उन्हें भारतीय टीम में आने के लिए एक लंबा समय इंतजार करना पड़ा. इस दौरान वे भारत में फर्स्ट क्लास क्रिकेट खेलते रहे और वह भी समय आ ही गया जब उनका भारतीय टीम में चयन हुआ था वह साल था 1989 का. जब भारत की टीम वेस्टइंडीज के दौर पर जा रही थी. इस सीरिज में रॉबिन सिंह का भी नाम था. जिस शहर में उनका जन्म हुआ था उसी शहर में अपना पहला डेब्यू मैच खेल रहे थे. वो भी अपने ही देश के टीम के विरोध में. हालांकि एक वनडे खेलने के बाद उन्हें लंबे समय तक का इंतजार करना पड़ा. फिर आया साल 1996 जब रॉबिन सिंह की एक बार फिर से टीम इंडिया में वापसी हुई. इसके बाद वे साल 2001 तक भारतीय टीम के लिए लगातार खेलते रहें. भारतीय टीम को कपिल देव के बाद यह दूसरा ऐसा खिलाड़ी मिला था जोकि हर हर क्षेत्र में फिट था. इस दौरान रॉबिन सिंह ने लोअर ऑर्डर में खुब बल्लेबाजी की और जब जरूरत हुई तो गेंद से भी कमाल दिखाया. लेकिन रॉबिन सिंह का असल कमाल तो फिल्डिंग में था जब उन्होंने कवर्स और पॉइंट्स पर रहते हुए भारतीय टीम के लिए कितने रन बचाए हैं. आज अगर रॉबिन सिंह का जिक्र होता है तो लोग उन्हें उनकी फिल्डिंग के लिये याद करते हैं. उसके बाद के अगर हम खिलाड़ियों का जिक्र करेंगे तो उसमें युवराज सिंह और मोहम्मद कैफ का जिक्र होता है. इन दोनों खिलाड़ियों का भी प्रदर्शन शानदार रहा है.

श्रीलंका के साथ खेलते हुए रॉबिन सिंह ने दो बार एक पारी में 5 विकेट अपने नाम कर लिया था. कहा जाता है कि यह रिकॉर्ड बहुत छोटा है लेकिन अभी तक यह कारनामा कोई नहीं कर पाया है. रॉबिन सिंह को एक और पारी के लिए याद किया जाता है. बांग्लादेश में पाकिस्तान के खिलाफ खेले गए मैच में रॉबिन सिंह की बल्लेबाजी शानदार रही थी. सौरभ गांगुली के साथ दोनों ने मिलकर टीम इंडिया को जीत के दरबाजे तक पहुंचा दिया था. रॉबिन सिंह जब मैदान में क्षेत्ररक्षण करते थे तो पवेलियन से आवाज आता था जॉंटी रोड्स का और जब युवराज और कैफ का जमाना आया तो लोगों को रॉबिन सिंह की याद आने लगे थी. रॉबिन सिंह का भारतीय क्रिकेट टीम में बहुत बड़ा योगदान है.

रॉबिन सिंह ने भारतीय टीम के लिए 136 वनडे खेले हैं जिसमें 2336 रन बनाए हैं तो वहीं 69 विकेट भी अपने नाम किया है, अगर फर्स्ट क्लास की बात की जाए तो 137 मैच में 6997 रन बनाए और 172 रन अपने नाम किया है. साल 2001 में उन्होंने क्रिकट से संन्यास की घोषणा कर दी. उसके बाद अब कोचिंग देने का काम कर रहे हैं. संन्यास की घोषणा के बाद वे कई टीमों के साथ जुड़े रहे हैं साल 2007-09 के बीच में टीम इंडिया के कोच भी रहे हैं इसी दौरान धोनी की कप्तानी में भारतीय टीम ने T-20 विश्वकप जीता था. उसके बाद उन्हें अंडर-19 और इंडिया ए टीम के साथ रहने का मौका मिला. वे IPL में भी कई टीमों का हिस्सा रहे हैं. उन्होंने भारतीय टीम में कोच के लिए भी आवेदन किया था लेकिन वे कोच नहीं बन सके हैं लेकिन उनकी कोचिंग के दौरान टीम ने 10 से ज्यादा खिताब अपने नाम किए हैं.

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