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सहारा में यहां अटका है निवेशकों का पैसा, जानिए कब मिलेगा

Bihari News

सहारा इंडिया परिवार को लेकर लोगों के मन में एक ही सवाल है कि आखिर हमारा पैसा कब मिलेगा. इस तरह के सवाल हमारे चैनल के कई सेगमेंट में युजर द्वारा लगातार पुछा जाता है. वे हमसे यह जानने की कोशिश करते हैं कि उनका पैसा उन्हें कब और किस तरह से मिलेगा. ऐसे में आज हम आपको यह बताने वाले हैं कि आखिर देश की गरीब जनता का पैसा है कहा. और सहारा परिवार जो अपने उपभोक्ताओं को एक परिवार का हिस्सा मानती रही है. आखिरी उसका पैसा उसको लौटा क्यों नहीं रही है. तो चलिए आज हम आपको सहारा इंडिया परिवार की एक एक कड़ी को समझाते हैं और बताने की कोशिश करते हैं कि आपका पैसा सही मामले में कहा पर है और आपको क्यों नहीं मिल रहा है.

आपका पैसा कहा है यह जानने से पहले आप यह जान लिजिए आपने जिस सहारा इंडिया परिवार में अपने पैसे का निवेश किया था उस कंपनी की शुरुआत कैसे हुई थी और वह कंपनी किस तरह से देश की बहुराष्ट्रीय कंपनी बन गई थी. इस कंपनी ने अपने नाम कई रिकॉर्ड भी दर्ज करवाएं हैं. इस कंपनी ने भारतीय टीम को 11 सालों तक स्पॉन्सर भी किया है. इस बात से आप अंदाजा लगा सकते हैं कि सहारा इंडिया परिवार किस लेवल की कंपनी थी. एक समय था जब देश के अंदर हर क्षेत्र में इस कंपनी का निवेश था. मानों सहारा इंडिया का पूरे देश के हर क्षेत्र में जलवा था. साल 2013 में सहारा इंडिया ने ऐसा किया जिसके बाद वे भारत के साथ ही विदेश में भी उनकी कंपनी का नाम हो गया. दरअसल 6 मई 2013 को देशभर से लाखों लोग लखनऊ पहुंचे एक मैदान में. उस मैदान के बारे में यह बताया जा रहा है कि उसमें 30 फुटबॉल ग्राउंड बनाया जा सकता है. यहां सभी लोग सहारा के ड्रेस कोड में आए थे. इस दिन एक विश्व रिकॉर्ड बना यह विश्व रिकॉर्ड पहले पाकिस्तान के नाम था जिसे तोड़ते हुए सहारा ने भारत के नाम दर्ज करवाया. उस दिन जैसे ही 10 बजे सहारा श्री के आने की घोषणा होती है पूरा मैदान एनर्जी से भर जाता है उसके बाद सहाराश्री जिंदाबाद के नारे लगते हैं और सहारा श्री हाथ जोड़कर भारत माता की जय बोलते हैं उसके बाद एक साथ एक लाख 21 हजार 653 लोग राष्ट्रगान गाते हैं और यह एक विश्व रिकॉर्ड बन जाता है. अब जरा सोचिए कि इतने लोगों वाली कंपनी. जिसका निवेश बाजार के हर क्षेत्र में था उसके बाद भी आज यह लोगों का पैसा क्यों नहीं दे पा रही है?

तो चलिए अब खोलते हैं इतिहास के पन्नों को जानने की कोशिश करते हैं सुब्रत राय सहारा के बारे मेंसुब्रत राय सहारा का जन्म 10 जून 1948 को बिहार के अररिया जिले में हुआ था. उनकी शुरुआती पढ़ाई लिखाी कोलकाता से हुई थी. उसके बाद उन्होंने आगे की पढ़ाई के लिए गोरखपुर पहुंचे जहां उन्होंने एक सरकारी कॉलेज में मेकैनिक इंजिनियरिंग की पढ़ाई की. सुब्रत राय सहारा के बारे में यह बताया जाता है कि वे एक जमाने में लंब्रेटा स्कूटर पर बिस्किट और नमकिन बेचा करते थे. इस दौरान वे जब लोगों से मिलते थे तो उन्हें कई बिजनेस आइडिया दिया करते थे. सुब्रत राय ने इसी दौरान वैसे लोगों को टारगेट किया जो दिनभर में 100 रुपये कमाते थे और उन्हें कहा कि आप अपने 100 रुपये में से 20 रुपये जमा करिए हम इसे 3 साल में दो गुना कर देंगे. कई ऐसे भी स्कीम थे जो 5 साल में चार गुना करके लौटा रहे थे. सुब्रत राय का यह आइडिया काम करने लगा. लोगों को 20 रुपये देने में ज्यादा परेशानी नहीं हो रही थी और इनके पास एक साथ बहुत सारे पैसे भी आ रहे थे. हालांकि इस दौलान सब्रत राय ने जिनसे पैसे लिए उन्हें पैसे लौटाने में गुरेज नहीं किया यानी कि जिन उपभोक्ताओं के पैसे तीन साल में दो गुना हो रहा था उन्हें पैसे लौटा दिए गए अब वहीं उपभोक्ता उनके लिए विज्ञापन बन गए. जैसे ही तीन साल में पैसे वापस हुए उपभोक्ताओं ने अपने सगे संबंधियों को सहारा में पैसे निवेश की सलाह दी और कहा कि यहां पैसे तीन साल में वापस हो रहे हैं. ऐसे में आम लोग जो मध्यम परिवार में रहता है. दिन भर कड़ी मेहनत के बाद 100 रुपये कमाता है उस व्यक्ति के पास सहारा ने अपनी पहुंच बनाई और उनसे दिन के 20 रुपये जमा करने को कहा. अब धीरे धीरे निवेशकों की संख्या में बढ़ोतरी होती चली गई. अब स्थिति यह थी कि जैसे ही किसी निवेशक का पैसा तीन साल में दो गुना हो जाता तो कंपनी की तरफ से उन्हें यह बताया जाता की आप इसी पैसे को पांच साल के लिए डाल दिजिए आपका पैसा वहां पर दो गुना हो जाएगा. इसी दौरान यानी की साल 1978 में सुब्रत रॉय ने गोरखपुर में अपनी कंपनी की शुरुआत की और एजेंट के जरिए पैसा जमा करना शुरू कर दिया. अब तक स्थिति यह हो गई थी कि कंपनी के एजेंट घर घर जाकर उन्हें सहारा के स्कीम के बारे में बताने लगे थे. सहारा के लिए सबसे प्लस प्वाइंट यह था कि वह हर तीन साल और पांच साल में पैसे के दोगुना होने का दावा कर रही थी जिसके बाद लोग कंपनी के साथ जुड़ना पसंद कर रहे थे और कंपनी में अपना पैसा निवेश करने लगे. इस दौरान कंपनी के साथ लगभग 3 करोड़ से अधिक लोग अपना पैसा कंपनी के पास लगा चुके थे इस आस में की अब तो तीन और पांच साल में उनका पैसा दोगुना हो ही जाएगा. खैर कंपनी ने अब यह सोचा कि कितने दिनों तक एजेंट के जरिए काम किया जाएगा. ऐसे में साल 2009 में कंपनी ने यह विचार किया कि हम अपना IPO जारी करे. IPO का मतलब होता है सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया इसका काम होता है शेयर मार्केट में आने वाली गड़बड़ियों को रोकना. सेबी का काम होता है कंपनियों से नियमों का पालन करवाना. जिस निवेशक ने अपना पैसा शेयर बाजार में लगाया है उनकी रक्षा करना. ऐसे में सहारा ने जब सेबी से IPO की बात कही तो सेबी ने कहा कि आप अपना DRHP यानी कि कंपनी का पूरा बायोडाटा आपको दिखाना होगा सेबी के सामने. जैसे कि कंपनी का नाम क्या है, उसका पता कहा का है, कितना पैसा है कंपनी के पास, और काम क्या करती है, जिसके बाद सहारा ने दो कंपनियों का नाम बतायासहारा इंडिया रियल इस्टेट कॉरपोरेशन लिमिटेड और सहारा हाउसिंग इवेस्टेमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड. कंपनी का नाम जानने के बाद कंपनी ने पैसे जमा करने के लिए कहा जिसके बाद कंपनी की तरफ से 24 हजार करोड़ रुपये जमा किये गए. जिसके बाद सेबी ने कहा कि आप इतने पैसे लाए कहां से हैं. तब जवाब में कंपनी ने कहा कि हमारे पास लगभग 3 करोड़ निवेशक हैं जिनका पैसा है. जिसके बाद सेबी का इस बात पे शक हुआ और उन्होंने कहा कि जिनका पैसा है उनका डाक्युमेंट हमें दें. फिर कंपनी ने सेबी को 127 ट्रक डाक्युमेंट ऑफिस में भेज दिया गया. लेकिन जब डाक्युमेंट में जांच की शुरुआत हुई तो उसमें बहुत गड़बड़ी सामने आई. जिसके बाद सेबी ने सहारा के नए OFCD जारी करने से मना कर दिया. और लोगों के पैसे 15 प्रतिशत ब्याज के साथ लौटाने का आदेश जारी कर दिया. लेकिन सहारा को यह पसंद नहीं आया और उन्होंने इलाहाबाद हाईकोर्ट का दरबाजा खटखटाया और सेबी के खिलाफ केस दर्ज कर दिया. जिसके बाद दिसंबर 2010 में कोर्ट ने सेबी के आदेश पर रोक लगा दिया. फिर 4 महीने के बाद सेबी को सही पाया गया और सहारा को पैसा देने को कहा गया. इस समय तक सहारा और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के बीच में मामला चल रहा था. आपको बता दें कि RBI ने साल 2007 और 2008 में सहारा इंडिया फाइनेंशियल कॉरपोरेशन के पैसे जमा कराने पर रोक लगा दिया था. जिसके बाद सहारा ने साल 2011 में एक विज्ञापन निकाला जिसमें उन्होंने बताया कि सहारा इंडिया फाइनेंशियल कॉरपोरेशन के पास कुल मूल्य 73 हजार करोड़ रुपये हैं. इस विज्ञापन के बाद पूरे देश में तहलका मच गया. अब RBI ने इन पैसो की निकासी पर रोक लगा दिया तो वहीं दूसरी तरफ सेबी पहले से ही सहारा पर प्रतिबंध लगाना चाह रही थी. अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया. जहां सुप्रीम कोर्ट ने सेबी के पक्ष में फैसला दिया हालांकि इस दौरान सहारा ने अपनी दलील में कहा कि हमारी दो कंपनियों में लाखों छोटे निवेशकों से ओएफसीडी के जरिए करीब 24 हजार करोड़ रुपये की रकम जमा की है. उसे लौटा दिया जाए. हालांकि ऐसा नहीं हो सका और सेबी और सहारा के बीच में और भी विवाद लगातार बढ़ता चला गया. हालांकि इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सहारा को कहा कि जिन निवेशकों का पैसा आपके पास है उसे लौटा दें और वह तीन अलग अलग किश्तों में पैसे लौटाने की मोहलत भी दे दी. इस दौरान सहारा ने कहा कि उन्होंने पहली किश्त में 5210 करोड़ रुपये सेबी के खाते में डाल दिए हैं. और बाकि बचे हुए पैसे निवेशकों के खाते में पहुंच गए हैं. लेकिन इस दौरान सहारा ने न तो निवेशकों के पैसे लौटाने के सबुत दे पाया और न ही यह बता पाया कि उनके पास इतने पैसे आए हैं कहा से. सहारा के इस रूख पर सुप्रीम कोर्ट ने सहारा के बैंक खाते को सीज करने की बात कही गई और उनकी संपत्ति को सील करने को कहा गया. जिसके बाद फरवरी 2014 में सुब्रत रॉय को गिरफ्तार कर लिया गया. हालांकि दो साल जेल में रहने के बाद साल 2016 में वे पेरोल पर बाहर आ गए हैं. लेकिन अभी भी निवेशकों के पैसे सेबी और सहारा के पास अटका हुआ है. असल में सेबी और सहारा के बीच में मात्र दो कंपनियों के बीच में मामला चल रहा है. लेकिन अभी भी सहारा के पास सहारा क्रेडिट कॉपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड, ह्यूमन इंडिया क्रेडिट कॉरपोरेटिव सोसाइटी लिमिटेड, स्टार मल्टिपल्स कॉरपोरेटिव लिमिटेड के नाम से कंपनियां है इन निवेशकों का पैसा कहा है. कंपनी ये भी तो नहीं बता पा रही है. हालांकि कंपनी ने ये जरूर बताया है कि 1 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की राशि हमने आपके लिए जमा कर लिया है लेकिन ये राशि गरीबों के खाते कंपनी कब डालेगी. इसपर तो कभी कंपनी विचार ही नहीं कर रही है.

आपको जानकर हैरानी होगी सहारा का कारोबार बिजनेस फाइनेंस, इन्फ्रास्ट्रक्चर एंड हाउसिंग, मीडिया एंड एंटरटेनमेंट, कंज्यूमर रिेटेल वेंचर, मैन्युफैक्चरिंग और आईटी सेक्टर के साथ ही अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर में 4400 करोड़ रुपये में दो होटल भी खरीदा है. इसके अलावा इनके पास मुंबई में एम वैली 313 एकड़ में फैली जमीन है. इस वैली को सुंदर बनाने का सपना था सहारा श्री के मन में लेकिन पूरा मामला सामने आने के बाद यह प्रोजेक्ट गर्त में चला गया. इसके साथ ही मुंबई के वर्सोवा में कंपनी के नाम पर 106 एकड़ जमीन है वहीं लखनऊ में 191 एकड़ जमीन है तो वहीं देश के अलग अलग 10 राज्यों में 764 एकड़ जमीन है. कहा तो यह भी जाता है कि सहाराश्री के नाम इतनी जमीन है कि पूरे देश में किसे के पास नहीं होगी लेकिन इसको लेकर अधिकारिक रूप से कही पे जिक्र नहीं किया गया है. इन सब के बीच में पिस रहा है वह एजेंट जिसने गरीबों को यह बताया था कि तीन साल में आपका पैसा दो गुना हो जाएगा. ऐसे में अब लोग उससे पैसे की मांग कर रहे हैं. लेकिन यह पूरा मामला सहारा सेबी और सुप्रीम कोर्ट के बीच में है. पिस रहा है तो वह गरीब आदमी जिसने अपना पेट काटकर कंपनी के पास पैसा जमा किया और वह एजेंट जिसने कंपनी में पैसे दोगुना होने का दावा कहकर उस गरीब इंसान से पैसे कंपनी के पास जमा करने को कहा था. अब बस लोग यही पुछ रहे हैं मेरा पैसा कब वापस आएगा. इंटरनेट पर भी सबसे ज्यादा यही सर्च हो रहा है सहारा से मेरे पैसा कब वापस होगा.

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