उत्तर भारत की सांस्कृतिक नगरी गया स्थानीय मिठाइयों के लिए पूरी दुनिया में मशहूर रही है. आज हम ऐसी ही एक मिठाई के बारे में बात करने जा रहे हैं जो गया में खूब मशहुर हैं . इसकी खरीदारी के लिए लोग देश के कोने- कोने से गया आते हैं. यह केवल मिठाई ही नहीं बल्कि भारत देश की परंपरा और संस्कृति है क्योंकि इसका संबंध मात्र स्वाद और पकवान से नही बल्कि इसकी पहचान उत्तर भारत में सर्दी के मौसम में मनाये जाने वाले मकर सक्रांति जैसे प्रसिद्ध त्योहार से भी हैं. हम बात कर रहे है तिलकुट की. अगर मैं पुचुंगी की आप में से कितने लोगों ने तिलकुट खाया है तो जवाब आएगा. अरे! यह भी कोई बात हुईं तिलकुट कौन सी बड़ी चीज हैं, लगभग सभी ने खाया होगा. बता दे कि तिलकुट तो उत्तर भारत में अधिकतर सभी राज्यों में मकर संक्रांति के अवसर पर चप्पे-चप्पे पर मिलता हैं. महाराष्ट्र में भी तिलकुट बहुत ही जोर- सोर से खाया जाता हैं.

तिलकुट को तो आपने कई जगह का खाया होगा लेकिन हम यहाँ बिहारी तिलकुट की बात कर रहे हैं. और वह भी बिहार के प्रसिद्ध गया की तिलकुट की. जिसे न खाया तो क्या खाया. गया का तिलकुट जो मुह में घुल जाये. दोस्तों, आज मैं आप सभी के साथ गया की विश्व विख्यात तिलकुट से जुड़ी कुछ बातें करुँगी. अगर इसके इतिहास की बात करें तो, गया के प्रसिद्ध बुजुर्ग कारीगरों का कहना है कि गया के रमना मुहल्ले में सबसे पहले तिलकुट निर्माण का कार्य प्रारंभ हुआ था. वैसे अब टेकारी रोड, कोयरीबारी, स्टेशन रोड सहित कई इलाकों में कारीगर हाथ से कूटकर तिलकुट का निर्माण करते हैं. रमना रोड और टेकारी के कारीगरों द्वारा बने तिलकुट बेहद लजीज होते हैं. वे बताते हैं कि कुछ ऐसे परिवार भी गया में हैं, जिनका यह खानदानी पेशा बन गया है. यह तिलकुट स्वाद में इतना अच्छा होता है कि प्रधानमंत्री रहते हुए एक बार इंदिरा गांधी ने भी यहां के तिलकुट का स्वाद लिया था और इसकी प्रशंसा की थी.

बता दे कि तिलकुट जैसे ट्रेडिशनल मिठाई को जाड़े का मिठाई भी बोला जाता हैं. इसे बिहार के लोग आम तौर पर सर्दी के दिनों में खाना पसंद करते हैं. चुकी आज के ग्लोबलाईजेसन के दौर में बिहार के लोग भारत में कई जगह बस गए है, तो जैसे छठ पूजा आज के समय में लगभग हर जगह मनाया जाता है. ठीक उसी तरह तिलकुट भी आज के समय में लगभग हर जगह खाया जाता हैं. तिलकुट का निर्माण मुख्य रूप से सफ़ेद तिल, चीनी और गुढ़ से किया जाता हैं. इसकी आकृति गोल, चौकोर इत्यादि के रूप में होता हैं. इसका स्वाद भी अपने आप में लाजवाब होता हैं, अगर आपने अभी तक तिलकुट को टेस्ट नही किया है तो एक बार जरुरु खा कर देखिये, दुबारा जरुर मांग कर न खाये तो फिर कहियेगा.

अब अगर आप यह सोच रहे की तिलकुट केवल एक प्रकार से बनाई जाती है तो, मैं आपको बता दु की आप गलत हैं. हाँ ये बात अलग हैं कि जब इस परम्परागत मिठाई की रचना की गई तो शायद ही किसी ने यह सोचा हो कि भविष्य में यह तिलकुट अनेक रूपों में जाना जायेगा। जैसे कि-

गुड़ से बना तिलकुट- जब सफ़ेद तिल को गुड़ के साथ मिला कर तिलकुट बनाया जाता हैं तो यह सबसे अच्छा माना जाता हैं. गुड़ में बनाये जाने के कारण इसके रंग में भी थोड़ा बदलाव होता हैं.

चीनी वाला सफ़ेद तिलकुट- जब तिल का प्रयोग चीनी के साथ मिला कर किया जाता है, तो इसका रंग सफ़ेद बनता हैं और खाने में भी काफी स्वादिष्ट रहता हैं.

खोये से बना तिलकुट- दूध से बने मावा जिसे उत्तर भारत या बिहार और उत्तरप्रदेश में खोया भी बोलते हैं, इसे तिल के साथ मिलाकर तिलकुट बनाया जाता हैं. लेकिन हाँ, इस तिलकुट को ज्यादा दिनों तक नही रखा जा सकता. मात्र हफ्ते से दो हफ्ते तक में इसका प्रयोग खाने में कर ले नही तो खोया जो कि कच्ची वस्तु हैं के चलते जल्दी खराब हो जाता हैं.

ड्राई-फ्रूट्स तिलकुट- तिलकुट बनाने के लिए ड्राई फ्रूट्स का भी उपयोग किया जाता हैं. पांरपरिक तरीके से इन तिलकुटों को बनाने में काफी समय और मेहनत लगती है.

बताते चले कि तिलकुट के लिये गया की एकमात्र ऐसा प्रसिद्ध शहर नहीं हैं, जहां का तिलकुट सभी लोग खाना चाहते हैं. गया के अलावा सासाराम, भभुआ, लखनऊ, उत्तरप्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों कई शहरों में जाना जाता हैं. तिलकुट खाने के कई फायदे भी है जो हमारे सेहत से जुड़े हुए हैं. चलिए अब हम आपको तिलकुट से जुड़े फायदों के बारे में बताते हैं. जिसे शायद ही आप में से कुछ लोग जानते होंगे.

1.) तिलकुट में जिंक, कैल्शियम , फास्पोरस प्रचुर मात्रा में पाया जाता है. जिसके कारण ये हमरी हड्डीओं के लिए बहुत जरुरी आहार में से एक है.

2.) बालों का असमय झरना, टूटना और सफेद होना. आज के समय की बहुत बड़ी समस्या है. ऐसे में आपको अपने खाने में इसको शामिल करना चाहिए.

3. )इसमें प्रोटीन , मैग्नेसियम , मिनिरल्स , आयरन और कॉपर सहित कई तरह के पोषक तत्व पाया जाता है जो हमारे दिमाग के लिए बहुत जरुरी तत्व में से एक है . इसलिए इसके प्रयोग आपको सिर्फ शरीर से ही नहीं बल्कि दिमाग से भी तेज बनता है.

4.) इसमें मैग्नेसियम, कैल्सियम , थियामिन (विटामिन -B1 ) और एमिनो एसिड पाया जाता है. इसमें मौजूद मैग्नेसियम और कैल्शियम किसी भी तरह के माशपेशियों के तनाव से रहता देता है. जबकि थियामिन शरीर को शांत करता है और एमिनो एसिड जो दर्द को कम करता है और मूड को नियंत्रित करता है. ये तीनों मिलकर शरीर को शांत करता है और हर तरह के तनाव से मुक्त करता है.

5. )तिलकुट की तासिर गर्म होती है, इसलिए ठंड के मौसम में इसकी मांग बढ़ जाती है.

6.) यह आयुर्वेदिक दवा का भी काम करता है.

7.) तिलकुट खाने से कब्ज जैसी समस्या नहीं होती है.

8.) यह पाचन क्रिया को भी बढ़ाता है.

आज के लिए बिहारी जायका में इतना ही. कल फिर मिलेंगे एक ऐसे ही नए बिहारी व्यंजन के साथ. तब तक के लिए धन्यवाद

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