बिहार में एक बार फिर से चुनावों की रणभेरी बज चुकी है। जी हां, ये चुनाव हैं बिहार विधान परिषद के लिए… बिहार विधान परिषद की 05 सीटों के लिए चुनाव होने वाले हैं। इनमें चार सीटों पर चुनाव और एक सीट पर उपचुनाव होने वाले हैं।
जिन 05 सीटों पर चुनाव होने जा रहे हैं, उनमें गया स्नातक निर्वाचन क्षेत्र, गया शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र, सारण स्नातक निर्वाचन क्षेत्र, कोसी शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र और सारण शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र शामिल हैं। इनमें सारण शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र में निर्वाचित विधान पार्षद केदार नाथ पांडेय के निधन की वजह से उपचुनाव होने जा रहे हैं।
आइए, आज हम आपको पूरे विस्तार से इन सभी सीटों के गणित को बता रहे हैं। सबसे पहले तो हम आपको बता दें कि विधान परिषद की जिन पांच सीटों पर चुनाव होने जा रहे हैं, उनमें से तीन पर नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड का कब्जा है। एक सीट बीजेपी के खाते में है और एक सीट भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के पास थी।
सबसे पहले हम बात करते हैं गया स्नातक निर्वाचन क्षेत्र की… गया स्नातक निर्वाचन क्षेत्र से अभी अवधेश नारायण सिंह विधान पार्षद हैं। वह भाजपा समर्थित विधान पार्षद हैं। इन पांच सीटों में से गया स्नातक निर्वाचन क्षेत्र ही ऐसी सीट है जिस पर बीजेपी का कब्जा है। अवधेश नारायण सिंह बिहार विधान परिषद के सभापति भी रह चुके हैं।
वहीं गया शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र से जनता दल यूनाइटेड समर्थित संजीव श्याम सिंह पिछली बार निर्वाचित हुए थें।
इसके साथ ही सारण स्नातक निर्वाचन क्षेत्र से जनता दल यूनाइटेड के ही वीरेंद्र नारायण यादव जीत कर विधान परिषद में पहुंचे थें जबकि कोशी शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र से संजीव कुमार सिंह भी जेडीयू समर्थित उम्मीदवार के तौर पर ही पिछली बार जीत कर बिहार विधान परिषद में पहुंचे थें।
वहीं सारण शिक्षक सीट भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के एमएलसी केदार नाथ पांडेय के निधन से खाली हुई है। सारण शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र में उपचुनाव होने जा रहे हैं। केदार नाथ पांडेय का कार्यकाल 2026 तक है, इसलिए इस सीट पर उपचुनाव कराए जा रह हैं।
मालूम हो कि बिहार विधान परिषद को बिहार विधान मंडल का उच्च सदन कहा जाता है। बिहार विधान परिषद की कुल 75 सीटें हैं। इसके कुछ सदस्य स्नातक निर्वाचन क्षेत्र से जीत कर आते हैं, कुछ सदस्य शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र से निर्वाचित होते हैं। कुछ सदस्य विधानसभा से, कुछ स्थानीय निकायों से और कुछ सदस्य राज्य सरकार की सिफारिश पर राज्यपाल की ओर से मनोनीत किए जाते हैं।
इस बार उंट किस करवट बैठेगा, ये कहना मुश्किल है क्योंकि सत्ताधारी महागठबंधन हो या विपक्षी भारतीय जनता पार्टी का गठबंधन… किसी ने भी अब तक अपनी ओर से उम्मीदवारों के नाम का ऐलान नहीं किया है। वहीं दोनों ओर से गठबंधनों की तस्वीर भी साफ नहीं है कि किस सीट से कौन सी पार्टी के उम्मीदवार मैदान में होंगे।
ऐसा भी माना जा रहा है कि इस चुनाव में गठबंधन की कई गांठें खुलती और बिखरती हुई भी नजर आ सकती है…. महागठबंधन की बात करें तो सभी दलों के संभावित प्रत्याशी सभी सीटों पर ताल ठोंकते हुए नजर आ रह हैं। आरजेडी हो, जेडीयू हो, कांग्रेस हो या फिर वामदलों के प्रत्याशी अलग अलग सीटों पर उम्मीदवारी जताते हुए नजर आ रहे हैं।
भारतीय जनता पार्टी के पास इन चुनावों में अकेले लड़ने के अलावा कोई चारा नहीं है जबकि महागठबंधन में शामिल दलों के अपने अपने कई उम्मीदवार होने की वजह से उम्मीदवारों की फौज दिखाई दे रही है। भारतीय जनता पार्टी में भी एक सीट पर कई कई उम्मीदवार नजर आ रहे हैं। ऐसे में जैसे जैसे चुनाव की तारीखें नजदीक आती जाएंगी वैसे वैसे दलों और गठबंधन का आंतरिक संघर्ष भी तेज होता हुआ नजर आएगा। कई उम्मीदवार दलों का समर्थन नहीं मिलने पर निर्दलीय भी ताल ठोंकते हुए नजर आ जाएं तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए।
अब चुनाव नजदीक हैं। तारीखों का ऐलान हो चुका है। 06 मार्च को बाकायदा अधिसूचना जारी हो जाएगी। 13 मार्च तक नामांकन किया जाएगा। नाम वापसी के लिए 16 मार्च तक की तारीख मुकर्रर की गई है। वोटिंग 31 मार्च को होगी और मतगणना 5 अप्रैल को होगी। 05 अप्रैल को ही यह साफ हो जाएगा कि वोटरों ने किन किन प्रत्याशियों पर अपना भरोसा जताया है और किसे खारिज किया है।
हालांकि चुनाव की तारीखों का ऐलान हो चुका है और अभी तक उम्मीदवारों का ऐलान नहीं हो सका है लेकिन अपने अपने स्तर से तमाम संभावित उम्मीदवार वोटरों के दरवाजे पर दस्तक दे रहे हैं और अपने पक्ष में वोट की अपील कर रहे हैं।