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वह सिंगर जिसका नाम एक डकैत के नाम पर रखा गया था, आज लोग उन्हें सुल्तान ऑफ स्विंग कहते हैं

Bihari News

अपने यहां बच्चों के नामकरण को लेकर एक बड़ा ही क्योरिसिटी होता है. हर कोई अपने बच्चों का नाम अलग रखते हैं. ताकी वह अलग दिखे. ऐसे में इस बिहारी परिवार में अपने बच्चे का नाम डाकू की नाम पर रखा था. हालांकि इनके माता पिता जी को भी नहीं पता था कि बड़ा होने के बाद यह बड़ा सिंगर बनेगा. इस सिंगर को पॉप म्यूजिक इंडस्ट्री की स्थापना का श्रेय भी दिया जाता है. इस बिहारी सिंगर ने अपनी बुलंद आवाज के दम पर पूरी दुनिया में भांगड़ा को मशहूर किया. आप भी समझ ही रहे होंगे हम बात कर रहे हैं दलेर मेहंदी के बारे में

दलेर मेहंदी का जन्म 18 अगस्त 1967 को पटना में हुआ था. उन्हें बचपन से ही गाने का शौक था. अपने इसी शौक कि वजह से उन्होंने महज 5 साल की उम्र में गाना सीखना शूरू किया था. दलेर मेहंदी की मां बलबीर कौर स्टेट लेवल के पहलवान थी जबकि उनके पिता अजमेर सिंह चंदन बहुत ही अच्छे गायक रहे हैं. दलेर मेहंदी की फैमिली में पिछले सात पिढ़ियों से गाना गाने का चलन आ रहा है. उन्होंने पटना सिटी स्थित संगीत सदन और मुकुट संगीत स्कूल में म्यूजिक की शिक्षा ली थी. आपको जानकर आश्चर्य होगा कि दलेर के माता पिता उन्हें बचपन से ही राग और सबद की शिक्षा दिया करते थे. इतना ही नहीं दलेर ने गाना सिखने के लिए अपना घर छोड़ दिया था. जब वे 11 साल के थे तो उन्होंने गाने के क्षेत्र में अपना कैरियर बनाया और वे घऱ से भागकर गोरखपुर के रहने वाले उस्ताद राहत अली खान साहिब के पास पहुंच गए थे. इसके दो साल के बाद उन्होंने जौनपुर में 20 हजार लोगों के सामने अपना पहला स्टेज परफॉर्मेंस दिया था. शुरुआत समय में उन्होंने 1 एक रुपया लेकर गाना सुनाते थे. यही से उनका सफर शुरू होता है.

350 वां प्रकाश पर्व मनाने पटना पहुंचे दलेर मेहंदी ने अपने पुराने दिनों को याद करते हुए कहा कि गुरुघर के कर्मियों के बीच बनाये गये स्टाफ क्वार्टर में उसका जन्म हुआ था. जिस समय उनका जन्म हुआ था उस समय गुरुद्वारा में गुरु महाराज की 300 वां गुरुपर्व की तैयारी चल रही थी. उन्होंने यह भी कहा है कि मैं इसी कारण हमेशा गुरु महाराज की याद में यह गाता हूं तीन सौ साल गुरु दे नाल. 350 वें गुरुपर्व में पटना पहुंचे दलेर ने यह भी बताया था कि वे बचपन में किस तरह से मंगल तालाब पर खेला करते थे.

दलेर महेंदी जब पंजाबी इंडस्ट्री मे धूम मचा रहे थे उस समय उनके दोस्त चाहते थे कि वह बॉलीवु़ड में गाना गाएं. दलेर के बॉलीवुड की एक घटना को लेकर एक किस्सा खुब सुनाया जाता है जिसमें लोग यह बताते हैं कि उनके दोस्तों ने कहा कि बॉलीवुड में गाना कब गाओगे तब उन्होंने जवाब दिया था कि जब पाजी बुलाएंगे तब ही न गाना गाएंगे. तब उनके दोस्तों ने यह सोचा की धर्मेंद्र के फोन का इंतजार है लेकिन दलेर के दिमाग में अमिताभ बच्चन का फोन चल रहा था. तब उनके दोस्तों ने कहा कि वे तुम्हें क्यों बुलाएंगे तब उन्होंने कहा कि हमें पूरा विश्वास है कि वे एक दिन हमको जरूर बुलाएँगे. और किस्मत देखिए उनके कहने के दो दो से तीन महीने के अंदर ही अमिताभ बच्चन का फोन आ गया. और फिल्मों में गाने का ऑफर मिल गया और इस तरह से शुरू होता है दलेर मेहंदी का फिल्मी कैरियर. बाद में, वह अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को चले गए और कैब ड्राइवर के रूप में काम करना शुरू कर दिया.

दलेर महेंदी के नाम के आगे दलेर लगने के पिछे भी एक कहानी है. दलेर महेंदी के माता पिता डाकू दलेर सिंह के काफी प्रभावित थे. उन्होंने अपने बेटे का नाम ही रख दिया था दलेर. बाद के समय में जब वे गायकी के क्षेत्र में आगे बढ़ रहे थे तो उन्होंने अपने नाम के साथ महेंदी जोड़ लिया अब उनका नाम हो गया दलेर मेहंदी जो काफी मशहूर हो गए. साल 1995 दलेर महेंदी के जिंदगी का टर्निंग प्वाइट साबित हुआ. उन्होंने ता रा रा रा गाना गाया जिसके बाद वे रातों रात लोकप्रिय हो गए. आपको बता दें कि इस गाने ने एक नया रिकॉर्ड स्थापित किया था. इस गाने की करीब 20 मिलियन कॉपी बिक गई थी. इसके बाद दलेर महेंदी ने एक नया मुकाम हासिल किया. दलेर मेहंदी के फिल्मी कैरियर की शुरुआत होती है अमिताभ की फिल्म मृत्युदाता से जोकि साल 1997 में रिलिज हुई थी. इस फिल्म में उन्होंने ना ना ना ना रे गाना गाया था और इस गाने को इन्होंने ही कंपोज भी किया था. इसके बाद उन्हें कई गाने मिलते गए और दलेर मेंहदी बॉलीवुड के भी एक बेहतरीन सिंगर बेहतरीन सिंगर बनकर उभरे. साल 1997 में ही दलेर मेंहदी को दर्दी रब रब के लिए सर्वेश्रेष्ठ पुरुष पॉप सिंगर का पुरस्कार दिया गया था.

दलेर मेहंदी ने मैकग्रासाउंड के साथ में कॉन्ट्रैक्ट के तहत ही इनकी तीसरी म्यूजिक एल्बम 1997 में ‘बल्ले बल्ले’ रिलीज हुई थी. इस म्यूजिक एल्बम ने म्यूजिक इंडस्ट्री में कई रिकॉर्ड तोड़े और कई नए रिकॉर्ड बनाए. इसके बाद से उन्हें ‘द टरबाइन टारनेडो’ और ‘सुल्तान ऑफ़ स्विंग’ जैसे नामों से जाना जाने लगा था. साल 1998 में उन्होंने अंख लड़दी है तो लड़ने दे के लिए प्लेबैक सिंगिंग और म्यूजिक कंपोज किया था. इस बॉलीवुड मूवी में यह गाना रविना टंडन के लिए फिल्माया गया था. इसके दो साल के बाद यानी की साल 2000 में प्रियंका चोपड़ा पर फिल्माया गया गाना सजन मेरा सतरंगिया रे गाना काफी पॉपुलर हुआ था. इसी एलबम में उनका एक गाना एक दाना में उन्होंने तीन तरह का संगीत उन्होंने दिया था. इसके बाद साल 2001 में इन्हें यूनिवर्सल म्यूजिक के साथ काला कौवा काट खाएगा गाना रिलीज हुआ जिसे फैंस ने खुब पसंद किया. इसके बाद साल 2004 में उन्होंने विशाल भारद्वाज के साथ फिल्म मकबूल में उन्होंने रू बा रू गाना गाया था. इसी साल उन्होंने ए आर रहमान के साथ नचले गाना गाया था जोकि काफी प्रसिद्ध रहा है. साल 2017 में उन्होंने बाहुबली 2 में गाना गाया था जियो रे बाहुबली जोकी काफी प्रसिद्ध हुआ था.

दिलेर मेहंदी को साल 2016 में उन्होंने भारत सेवा रत्न पुरस्कार से नवाजा गया था. इससे पहले उन्हें साल 1994 में उन्हें वायस ऑफ एशिया पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. दलेर मेंहदी के नाम साल 2003 में मानव तस्करी का मामला दर्ज हुआ. जिसमें उन्हें दो साल की सजा भी सुनाई गई थी. आपको बता दें कि इस पूरे प्रकरण में उनके भाई शमशेर सिंह पर भी आरोप लगा था.

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