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बिहार का एक ऐसा जिला जिसे पौराणिक कथाओं में माना गया सबसे पवित्र

Bihari News

भूमिका

आज हम बात करेंगे बिहार के एक ऐसे जिले के बारे में जिसका स्थान हिन्दू पौराणिक कथाओं में सबसे पवित्र स्थानों में से एक है. जो सीता के जन्मस्थली के रूप में जाना जाता है. सीता के जन्मस्थली की बात करते हीं आप समझ गये होंगे की हम किस जिले की बात कर रहें हैं. जी हाँ बिलकुल सही सोचा आपने हम आज हम बात कर रहें हैं बिहार के सीतामढ़ी जिले के बारे में. सीतामढ़ी बिहार का एक ऐसा जिला है जो हिन्दू तीर्थ स्थल होने के साथसाथ बिहार के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से भी एक है. यहाँ सीता के जन्म होने के कारण इस क्षेत्र का नाम सीतामड़ई पड़ा और फिर समय के साथ लोग इस क्षेत्र को सीतामही और फिर आगे चल कर सीतामढ़ी के नाम से जानने लगे. यह जिला बिहार के मुज़फ्फरपुर जिले से 11 दिसम्बर वर्ष 1972 में अलग होकर एक स्वतंत्र जिला बना. इस जिले का मुख्यालय डुमरा में स्थित है. बता दें की डुमरा सीतामढ़ी से पांच किलोमीटर की हीं दूरी पर दक्षिण के दिशा में स्थित है.

  • क्षेत्रफल और चौहद्दी

यदि इस जिले के क्षेत्रफल की बात करें तो यह जिला 2,294 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है. यहाँ की आबादी 3,423,574 है. वहीँ इस जिले की साक्षरता दर 52.05% है. इस जिले में कुल 845 गाँव, 17 ब्लॉक, तीन अनुमंडल और 4 नगर पालिका क्षेत्र हैं. बता दें की सीतामढ़ी बिहार के उत्तरी भाग में स्थित है. इस जिले की सीमा नेपाल के सीमा को भी छूती है. यदि इस जिले के चौहद्दी की बात करें तो यह जिला अन्तराष्ट्रीय सीमा को छूने के साथसाथ बिहार के कुल पांच जिलों को छूती है. तो बता दें की दक्षिण, पश्चिम और पूरब की दिशा में इस जिले की सीमा मुजफ्फरपुर, पूर्वी चंपारण, शिवहर, दरभंगा और मधुबनी जिले से सटी है.

इतिहास

तो आइये अब अपनी चर्चा को आगे बढ़ाते हुए हम जानते हैं इस जिले के इतिहास के बारे में. सीतामढ़ी की चर्चा त्रेता युग के एक शहर के रूप में पौराणिक कथाओं में देखने को मिलती है. दरअसल इस क्षेत्र में मिथिला के राजा जनक का शासन था. राज्य में अकाल की स्थिति जोरों पर थी इसलिए उनके पुरोहितों ने उस वक्त क्षेत्र की सीमा में हल चलाने की सलाह राजा जनक को दी. इसी वक्त खेत में हल चलाने के दौरान धरती से माता सीता का जन्म हुआ. सीतामढ़ी प्राचीन समय में तिरहुत का एक अंग था. कर्नाट वंश के शासन की चर्चा इतिहास में देखने को मिलती है. कर्नाट वंश के बाद यहाँ मुस्लिम शासकों का प्रवेश हुआ. आगे चल कर स्थानीय क्षत्रपों का शासन भी इस क्षेत्र में देखने को मिला. उसके बाद यह क्षेत्र बंगाल और आगे चल कर बिहार प्रान्त में मिल गया. उसके बाद इसे तिरहुत मुजफ्फरपुर जिले का हिस्सा भी वर्ष 1908 में देखा गया. फिर 11 दिसम्बर 1972 में सीतामढ़ी एक स्वतंत्र जिले के रूप में अस्तित्व में आया.

प्रतिष्ठित व्यक्ति

तो चलिए अब हम बात करते हैं इस जिले के प्रतिष्ठित व्यक्ति के बारे में.

प्रतिष्ठित व्यक्तियों की सूचि में हम सबसे पहले जानेंगे बहुचर्चित रश्मि प्रभा के बारे में. इनका जन्म 13 फरवरी वर्ष 1958 में सीतामढ़ी के डुमरा में हुआ था. ये एक कवयित्री थी और इन्हें सर्वश्रेष्ट कवयित्री के लिए वर्ष 2011 में सारस्वत सम्मान से भी सम्मानित किया गया. यदि इनके प्रमुख कृतियों की बात करें तो शब्दों का रिश्ता, अनुतरित, अनमोल संचयन आदि इनके प्रमुख कृतियों में शामिल है.

अब दूसरे प्रतिष्ठित व्यक्ति की सूचि में हम बात करते हैं आशा प्रभात के बारे में. ये भी अपना सम्बन्ध सीतामढ़ी से हीं रखती हैं. इनका जन्म 21 जुलाई 1958 में हुआ था. बता दें की ये अपना सम्बन्ध साहित्यिक गतिविधियों से रखती हैं. अब तक आशा प्रभात की हिंदी और उर्दू में 16 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं. इनके रचनाओं में धुंध में उगा पेड़, मै और वह, मैं जनकनंदिनी आदि शामिल है.

आइये अब आखिरी में हम बात करते हैं रविन्द्र प्रभात के बारे में. इनका जन्म भी सीतामढ़ी के महिंदवारा में हुआ था. ये भी एक हिंदी कवी, कथाकार, सम्पादक, व्यंगकार और उपन्यासकार हैं. बता दें की इन्होने अपने गजल और व्यंग्य में प्रमुख उपलब्धियां प्राप्त की है. क्योंकि यह अपने पहले गजल संग्रह हमसफ़र से हीं लोगो के बीच चर्चा में आये थे. इनके प्रमुख कृतियों में मत रोना रमजानी चाची, ताकि बचा रहे लोकतंत्र, प्रेम न हाट बिकाए आदि है.

कैसे पहुंचे

आइये अब अपने इस चर्चा में हम जानते हैं की सड़क, रेल और हवाई मार्ग के जरिये सीतामढ़ी कैसे पहुंचा जाए.

  • सड़क मार्ग

तो चलिए सबसे पहले हम बात करते हैं सड़क मार्ग के बारे में. यह जिला बिहार के अधिकत्तर प्रमुख मार्गों से जुड़ता है. इस जिले से आप बिहार के किसी भी कोने में आसानी से जा सकते हैं. यहाँ निजी वाहन, बस आदि की सुविधा आपको आसानी से मिल जाएगी. यदि राजधानी पटना से सीतामढ़ी हम सड़क मार्ग के जरिये आना चाहे तो वाया NH 22 के जरिये आ सकते हैं. इस सड़क से आपको लगभग 135 किलोमीटर तक की दूरी तय करनी पड़ेगी. बता दें की इस दूरी को तय करने में लगभग साढ़े तीन घंटे तक का समय लग सकता है. यह सड़क आपको पटना महात्मा गाँधी सेतु पुल होते हुए हाजीपुर, सराय, भगवानपुर, कुर्हानी, मुजफ्फरपुर और लगमा से होते हुए सीतामढ़ी तक ले जायेगा. इसके अलावे आप NH 227 के जरिये भी सीतामढ़ी जा सकते हैं. इस सड़क की दूरी लगभग 177 किलोमीटर तक की है. जिसे तय करने में लगभग पौने पांच घंटे तक का समय लग सकता है. यह सड़क भी मुजफ्फरपुर तक NH 22 होते हुए जाती है. मुजफ्फरपुर के बाद यह सड़क कट कर NH 27 में काँटी, मोतीपुर, चकिया, और शिवहर होते हुए NH 227 के जरिये सीतामढ़ी जाती है.

जानकारी के लिए बता दें की जब आप सीतामढ़ी के लिए जा रहें हो और रास्ते में आपको BR 30 नंबर प्लेट के वाहन दिखने लगे तो समझ जाइये की आप सीतामढ़ी जिले में प्रवेश कर चुके हैं.

  • रेल मार्ग

चलिए अब हम जानते हैं सीतामढ़ी में रेल मार्ग की सुविधा के बारे में. बता दें की पूर्व मध्य रेलवे क्षेत्र में सीतामढ़ी रेलवे जंक्शन आता है जो की समस्तीपुर और गोरखपुर रेल खंड पर अवस्थित है. सीतामढ़ी जंक्शन का स्टेशन कोड SMI है. इस जंक्शन से भारत के कई प्रमख नगरों के लिए ट्रेने खुलती हैं. सीतामढ़ी जंक्शन के अलावे इस जिले में और भी कई रेलवे स्टेशन आते हैं. जिनमे भिसा हॉल्ट रेलवे स्टेशन जिसका स्टेशन कोड BHSA, डुमरा रेलवे स्टेशन जिसका स्टेशन कोड DUMR, जनकपुर रोड रेलवे स्टेशन जिसका स्टेशन कोड JNR है आदि शामिल है. यदि आप राजधानी पटना से सीतामढ़ी आना चाहते हैं तो पटना जंक्शन से आपको कोई ट्रेन नहीं मिलेगी. लेकिन पाटलिपुत्र जंक्शन जो की पटना जंक्शन से थोड़ी हीं दूरी पर है वहां से आपको ट्रेने सीतामढ़ी के लिए मिल जाएँगी.

  • हवाई मार्ग

चलिए अब हम अपने आगे के इस चर्चा में जानते हैं इस जिले में हवाई मार्ग के जरिये कैसे पहुँच सकते हैं. बता दें की इस जिले का अपना कोई हवाई अड्डा नहीं है. लेकिन इस जिले का सबसे नजदीकी हवाई अड्डा पटना का हवाईअड्डा है. पटना के हवाई अड्डे से भारत के कई प्रमुख नगरों के लिए विमाने उड़ान भरती हैं और भारत के कई अन्य राज्यों से विमाने पटना पहुँचती हैं. पटना हवाई अड्डे से आप सीतामढ़ी रेल मार्ग या सड़क मार्ग के जरिये आ सकते हैं. पटना से सड़क मार्ग या रेल मार्ग के जरिये कैसे आना है इसकी चर्चा हम पहले भी कर चुके हैं.

कृषि और अर्थव्यवस्था

अब हम जानते हैं इस जिले के कृषि और अर्थव्यवस्था के बारे में. इस जिले में लोगों के आय का मुख्य स्रोत कृषि है. कृषि यहाँ के अर्थव्यवस्था में अपनी अहम् भूमिका अदा करती है. कृषि के अलावे इस जिले में लोगों के लिए मुख्य आय के स्रोत के रूप में पशुपालन और व्यवसाय है. छोटे और कुटीर उद्योग में लोग यहाँ लाह की चूड़ियाँ भी बनाते हैं. जिसकी डिमांड किसी शादी विवाह, पूजापाठ या किसी शुभ कार्य में पहनने के लिए अधिक होती है. यहा धान, गेहूं, दलहन, तिलहन, मक्का, तम्बाकू आदि की खेती मुख्य रूप से होती है. यहाँ फलों की खेती भी देखने को मिलती है. जिनमे आम, लीची केला आदि फल शामिल है. यहाँ के पर्यटन स्थल भी इस जिले की अर्थव्यवस्था में मुख्य रूप से अपनी भूमिका निभाते हैं.

पर्यटन स्थल

इस जिले के पर्यटन स्थलों में हिन्दू धार्मिक स्थल मुख्य रूप से शामिल हैं.

  • जानकी स्थान

चलिए पर्यटन स्थलों में हम सबसे पहले बात करते हैं जानकी स्थान के बारे में. माता सीता का जन्म जनकपुर में होने के कारण हम माता सीता को जानकी के नाम से भी जानते हैं. जनकपुर मंदिर में श्री राम, देवी सीता और लक्ष्मण की मूर्तियाँ हमें देखने को मिल जाएँगी. यह सीतामढ़ी के प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों की सूचि में पहले नंबर पर आता है. यह मंदिर सीतामढ़ी रेलवे स्टेशन से महज दो किलोमीटर की हीं दूरी पर स्थित है. जहाँ आपको पहुँचने के लिए ऑटो, रिक्शा या निजी गाड़ी की सुविधा आसानी से मिल जाएगी. चाहे तो आप यह सफ़र पैदल चल कर भी तय कर सकते हैं.

  • पुनौरा धाम और जानकी कुंड

प्रचलित मान्यताओं के अनुसार देवी सीता का जन्म इसी जगह हुआ था. अकाल पड़ने की स्थिति पर इंद्र देव को खुश करने के लिए मिथिला नरेश द्वारा यहाँ हल चलाया गया था. हल चलाने के दौरान मृदापात्र में राजा जनक को यहीं से माँ जानकी मिली थी. यह स्थान पुंडरिक ऋषि के आश्रम के रूप में भी पौराणिक काल में विख्यात था. इसके अलावे यहाँ पवित्र जानकी कुंड भी आपको देखने को मिल जायेगा. सीतामढ़ी से पुनौरा धाम लगभग चार किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. गाड़ी से इस सफ़र को तय करने में 15 से 20 मिनट तक का समय लग सकता है. सीतामढ़ी से यहाँ आने के लिए आपको निजी गाड़ी या ऑटो जैसे परिवहन की सुविधा भी मिल जाएगी. वहीँ जिला मुख्यालय डुमरा से इसकी दूरी लगभग सात किलोमीटर तक की है.

  • बाबा परिहार ठाकुर

सीतामढ़ी जिले से 25 किलोमीटर की हीं दूरी पर बाबा परिहार ठाकुर का भी मंदिर है. पर्यटकों के बीच यह मंदिर भी काफी प्रचलित है. ऐसी मान्यता है की जो भी भक्त बाबा परिहार ठाकुर के मंदिर आते हैं वे खाली हाथ वापस नहीं जाते.

  • उर्विजा कुंड

अब बात करते हैं उर्विजा कुंड की जो सीतामढ़ी नगर के पश्चिमी छोर पर स्थित है. सीतामढ़ी रेलवे स्टेशन से यह डेढ़ किलोमीटर की दूरी पर हीं स्थित है. लोगों द्वारा ऐसा कहा जाता है की लगभग 200 वर्ष पहले माता सीता की एक प्रतिमा इस कुंड से मिली थी. हिन्दू पर्यटकों के लिए इस स्थान का बहुत हीं महत्त्व देखने को मिलता है.

  • हलेश्वर स्थान

अब बात करते हैं यहाँ के हलेश्वर स्थान के बारे में. पौराणिक काल में राजा जनक द्वारा पुत्रेष्टि यज्ञ के बाद भगवान शिव का मंदिर भी बनवाया गया था. जो आगे चल कर हलेश्वर स्थान के नाम से प्रसिद्ध हुआ.

  • देवकुली

चलिए अब जानते हैं देवकुली के बारे में जहाँ पांडवों की पत्नी द्रौपदी का जन्म हुआ था. सीतामढ़ी से यह मात्र 19 किलोमीटर तक की हीं दूरी पर स्थित है. यहाँ एक प्राचीन शिवमंदिर भी है जहाँ महाशिवरात्रि के दिन भव्य मेले का आयोजन किया जाता है.

  • पंथ पाकड़

अब बात करते हैं एक ऐसे पुराने पेड़ की जो रामायण काल जितना पुराना माना जाता है. सीतामढ़ी में आठ किलोमीटर की हीं दूरी पर यह पेड़ है. ऐसी मान्यता है की इसी वृक्ष के नीचे देवी सीता को जनकपुर से अयोध्या ले जाते वक्त आराम करने के लिए उतारा गया था.

  • गोरौल शरीफ

अब बात करते हैं गोरौल शरीफ के बारे में. यह मुसलमानों के लिए बिहारशरीफ और फुलवारीशारिफ के बाद सबसे पवित्र स्थान माना जाता है. यह सीतामढ़ी से 26 किलोमीटर की हीं दूरी पर स्थित है.

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