क्रिकेट में अपने खेल से लोगों का दिल जीतने वाले तो बहुत हुए लेकिन कुछ ऐसे भी थे, जो अपने खेल के अलावा अपने सुंदर व्यक्तित्व और अपनी मुस्कान से लोगों का अपना दीवाना बना देते थे. फिर तो फैंस के साथसाथ विरोधी भी उनके मुरीद हो जाते थे. ऐसे ही एक चुनिंदा क्रिकेटर के बारे में हम आज इस विडियो में बात करेंगे. इस लेख में हम आपको सुंदर व्यक्तित्व के मालिक भारत के पूर्व तेज गेंदबाज लक्ष्मीपति बालाजी के बारे में बताएंगे ये भी बताएंगे कि कैसे इतने मैच खेलकर भी यह गेंदबाज आज भी लोगों के दिलों पर राज करता है और ये भी बताएंगे कि आखिरी इस प्रतिभाशाली गेंदबाज का करियर इतने कम दिनों का ही क्यों रहा.

लक्ष्मीपति बालाजी का जन्म 27 सितंबर, 1981 को तमिलनाडु के कांचीपुरम के उत्थुकडू गांव में हुआ था. बालाजी पर बचपन से ही क्रिकेट का भूत सवार था और इसे के चलते कुछ ऐसा हुआ जिससे बालाजी अब ऐसे दिखने लगे यानी हमेशा हंसते हुए. क्रिकेट का ऐसा जूनून था कि मुंह में चोट लगने के बाद बालाजी को अपने दांतों का ऑपरेशन कराना पड़ा और इसके बाद बालाजी का चेहरा हमेशा के लिए बदल गया. बालाजी के चेहरे पर अब हमेशा एक ब्राइट स्माइल रहती थी.

बालाजी क्रिकेट खेलते रहे और साल 2001 में उन्होंने तमिलनाडु की टीम में जगह बना ली और वहां बेहतरीन प्रदर्शन कर तुरंत ही भारतीय टीम में भी एंट्री ले ली. 18 नवंबर, 2002 को लक्ष्मीपति बालाजी ने वेस्टइंडीज के खिलाफ अपना डेब्यू मैच खेला. उस मैच में बालाजी कमाल नहीं कर पाए. बालाजी ने उस मुकाबले में 4 ओवर में 44 रन दिए थे और उन्हें 1 भी विकेट नहीं मिला था. लेकिन इसके 2 साल बाद यानी 2004 में भारत ने पाकिस्तान का दौरा किया और बालाजी टीम का हिस्सा थे. वो बड़ा ही ऐतिहासिक दौरा था, पाकिस्तान जाने से पहले तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई ने खिलाड़ियों के साथ थोड़ा समय गुजारा. इस दौरान वाजपेई ने टीम को एक बल्ला भी भेंट किया, जिसपर लिखा हुआ था मैच ही नहीं दिल भी जीतना.

बालाजी के लिए यह दौरा बेहद यादगार रहा. उन्होंने उस सीरीज में बेहतरीन गेंदबाजी तो की ही लेकिन असली मजा तब आया, जब बालाजी ने बल्ला थामा और दुनिया के सबसे तेज गेंदबाज शोएब अख्तर को एक लंबा छक्का लगा दिया. बालाजी ने इस छक्के से भारत ही नहीं बल्कि पाकिस्तान के फैंस का भी दिल जीत लिया. आलम ये थे कि पाकिस्तान की महिला फैंस बालाजी की तस्वीर अपने साथ लाती थी और स्टेडियम में बालाजी पर जान छिड़कती थी. शोएब अख्तर उस छक्के को आज भी याद करते हैं, वो कहते हैं कि बालाजी के उस छक्के को देखकर वो भी हैरान रह गए थे. वो कई दिनों तक इसके बारे में सोचते रहे.

लेकिन इसके साल बाद यानी 2005 में तेज गेंदबाज एल बालाजी को स्ट्रेस फ्रैक्चर हो गया, जिसके कारण वो 3 साल तक क्रिकेट से बिलकुल ही दूर चले गए. लेकिन उनके मन में वापसी का जज्बा भी था और उन्होंने वापसी की भी. 2008 में उन्होंने वापसी की लेकिन अपनी चमक नहीं बिखेर पाए, इसी दौरान उन्होंने प्रिया लाथोर नाम की एक मॉडल से उन्होंने शादी की. तब भारत में IPL भी अपने पांव पसार रहा था और चेन्नई सुपरकिंग्स ने बालाजी को अपने साथ शामिल कर लिया. चेन्नई की तरफ से खेलते हुए बालाजी ने कमाल का प्रदर्शन किया और आईपीएल में हैट्रिक लेने वाले पहले गेंदबाज बने. 10 मई, 2008 को किंग्स 11 पंजाब के खिलाफ मैच में बालाजी ने इरफान पठान, पियुष चावला और VRV सिंह को लगातार 3 गेंदों पर आउट कर अपने नाम सबसे अनूठा रिकॉर्ड दर्ज करवा लिया. बालाजी आईपीएल तो खेलते रहे लेकिन इंटरनेशनल क्रिकेट से दूर होते चले गए. उन्होंने फरवरी, 2009 में अपना अंतिम वनडे अंतराष्ट्रीय मैच खेला और अक्टूबर, 2012 में अपना आखिरी टी20आई.

लक्ष्मीपति बालाजी ने भारत के लिए 8 टेस्ट, 30 वनडे और 5 टी20 मैच खेले. इस दौरान उन्होंने टेस्ट में 27 विकेट चटकाए. 30 वनडे में उनके नाम 34 विकेट दर्ज हैं, जबकि उन्होंने टी20 आई में उन्होंने 10 विकेट चटकाए हैं.

बालाजी के आईपीएल करियर को देखें तो उन्होंने कुल 73 आईपीएल मुकाबले खेले, जिसमें उनके नाम 76 विकेट दर्ज हैं. बालाजी शुरुआत के 3 साल csk के लिए खेले इसके बाद 2011 से 2013 तक KKR के लिए. kkr की टीम 2012 में चैंपियन बनी, जिसमें बालाजी ने अहम भूमिका निभाई थी. साल 2014 में वो पंजाब की टीम से जुड़े. बालाजी के नाम 106 फर्स्ट क्लास मैच में 300 विकेट लिए हैं. बढती उम्र और हालात को देखते हुए बालाजी ने सितंबर,2016 को क्रिकेट के सभी फॉर्मेट से संन्यास ले लिया. हालांकि रिटायरमेंट के बाद भी उन्होंने क्रिकेट नहीं छोड़ा. वो आईपीएल में kkr और घरेलु क्रिकेट में तमिलनाडु के गेंदबाजी कोच के रूप में काम कर रहे हैं.

तो ये है लक्ष्मीपति बालाजी की कहानी, जिनका करियर इंजरी की भेंट चढ़ गया लेकिन ये उनका क्रिकेट से प्यार ही है, जो पूरी दुनिया के लोग उनको इतना चाहते हैं. बालाजी ने भारत के लिए ज्यादा मैच नहीं खेले लेकिन प्यार उनको हम किसी मामले में कम नहीं करते. वो हमेशा हमारे दिल में एक खास जगह बनाए रहेंगे.

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