बिहार में जिस तरह से सियासी सुगबुगाहट तेज हुई है. उससे अब यही अंदाजा लगाया जा रहा है कि आने वाले चुनावों को ध्यान में रखते हुए बिहार की राजनीतिक पार्टियां अपना विस्तार कर रही है. ताकि चुनाव में विपक्षी पार्टियों को जोरदार पटखनी दी जा सके. इसी कड़ी में हमने देखा कि जदयू से लेकर बीजेपी तक ने अपने संगठन में बदलाव किया है. बीजेपी ने तो अपने प्रदेश अध्यक्ष तक बदल दिए तो वहीं जदयू ने अपने राष्ट्रीय और राज्य कार्यसमिति में बदलाव किया है. लेकिन इन दिनों चर्चा के केंद्र में हैं बीजेपी के नए प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी और बीजेपी बिहार के सह प्रभारी बनाए गए सुनील ओझा. सुनील ओझा को लेकर कई तरह की बातें कही जा रही है. बिहार में खास कर उनके आगमन को लेकर कई तरह की बातें हो रही है. तो चलिए एक नजर डाल लेते हैं सुनील ओझा पर

आपको बता दें कि बिहार में बीजेपी के प्रभारी पहले से हैं लेकिन सुनील ओझा को भी बिहार में भेजा गया है. इनसे पहले भीखू भाई दलसानिया को बिहार भेजा गया था और अब सुनील ओझा को बिहार भेजा गया है. इन दोनों ही नेताओं मे एक दो बात हैं जोकि मिलता जूलता है कि दोनों गुजरात की राजनीति से आते हैं. दोनों ही नरेंद्र मोदी के काफी खास लोगों मे से हैं. आपको बता दें कि सुनील ओझा उन लोगों में से हैं जोकि पीएम मोदी से सीधे बात करते हैं. सुनील ओझा गुजरात के भावनगर सीट से दो बार विधायक रह चुके हैं. तब गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी हुआ करते थे. देश की राजनीति में सक्रिय होने के बाद पीएम मोदी ने अपने आप को गुजरात से निकालकर उत्तर प्रदेश में फिट किया और वाराणसी संसदीय क्षेत्र से चुनाव मैदान में उतरे. वे लगातार यहां से विजयी हो रहे हैं. लेकिन उत्तर प्रदेश में इनका सारा काम धाम सुनील ओझा ही देखा करते थे. तब इन्हें उत्तर प्रदेश का सह प्रभारी बनाया गया था. इनके बारे में यह कहा जाता है कि ये पर्दे के पीछे सारा काम करते हैं. इन्हें पीएम नरेंद्र मोदी से लेकर गृह मंत्री अमित शाह तक पसंद करते हैं.

ऐसे में यह भी कहा जा रहा है कि बिहार बीजेपी के पास जब पहले से भीखू भाई बीजेपी का संगठन देख रहे हैं तो फिर सुनील ओझा को बिहार लाने की बीजेपी को क्यों जरूरत पड़ गई है. आपको बता दें कि इस बार बीजेपी बिहार में किसी भी तरह की कोई कसर नहीं छोड़ना चाह रही है. क्योंकि 2024 के लोकसभा चुनाव और 2025 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी अपनी पूरी ताकत झोंकने की तैयारी कर ली है. उत्तर प्रदेश में भी सुनील ओझा ने यूपी बीजेपी के साथ मिलकर काम किया है. एक बात आपको याद होगी पिछले दिनों जब देश के गृह मंत्री अमित शाह बिहार दौरे पर थे तो उन्होंने कहा था कि बिहार का चुनाव मैं खुद दे रहा हूं. उसी समय इस बात का अंदाजा लगाया गया था कि अगर अमित शाह बिहार को देखेंगे तो संगठन में बदलाव होंगे जिसका परिणाम अब दिख रहा है. इसी का नतीजा है कि आज सम्राट चौधरी और सुनील ओझा को बिहार बीजेपी को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी मिली है. सुनील ओझा और भिखू भाई दोनों ऐसे नेता हैं जोकि पीएम नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह को सीधा रिपोर्ट करते हैं. यानी कि प्रदेश की गतिविधियों पर इनकी सीधी नजर है. संगठन में क्या चल रहा है. बिहार की राजनीति में क्या हो रहा है. इन सभी का रिपोर्ट सीधा ऊपर से पहुंच जाएगा. इतना ही नहीं अमित शाह ने तो यह भी कहा है कि वे हर महीने बिहार का दौरा करेंगे. पिछले कुछ महीने से वे बिहार का दौरा कर भी रहे हैं. ऐसे में यह उम्मीद की जा रही है कि भिखू भाई और सुनील ओझा के सहारा बीजेपी बिहार में सत्ता की कुर्सी तक पहुंचना चाह रही है.

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