वर्ल्ड कप में हैट्रिक लेने वाला पहला अफ्रीकी खिलाड़ी, जो अपने पूरे करियर में रहा ऑस्ट्रेलिया का काल
साउथ अफ्रीका के लिए सबसे अधिक टी20 रन बनाने वाला खिलाड़ी, क्रिकेट के सबसे छोटे फॉर्मेट में 1500 रन बनाने वाले पहले अफ्रीकी बल्लेबाज
जिसने अपने डेब्यू टेस्ट में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ नाबाद पारी खेलकर टीम को दिलाई जीत , पूरे करियर में कंगारुओं को रुलाया
वर्ल्ड कप में हैट्रिक लेने वाला पहला अफ्रीकी खिलाड़ी
इंजरी ने लगाया करियर पर ब्रेक वरना आज कहलाते महान ऑलराउंडर
दोस्तों, विश्व क्रिकेट में साउथ अफ्रीका की टीम का अपना अलग रुतबा है. भले ही टीम एक भी वर्ल्ड कप ख़िताब नहीं जीत सकी हो लेकिन टीम ने दिल जीतने में कोई कसर नहीं छोड़ी है. इसी टीम ने विश्व क्रिकेट को सर्वश्रेष्ठ फिल्डर जोंटी रोड्स दिया फिर इसी टीम से आए एबी डिविलियर्स, जिन्हें विरोधी भी प्यार करते हैं. टीम ने जैक कैलिस जैसे ऑलराउंडर दिए तो डेल स्टेन जैसे घातक तेज गेंदबाज. यही कारण है कि बिना कोई वर्ल्ड कप जीते इस टीम का विश्व क्रिकेट में दबदबा है और कोई भी टीम इनको हल्के में लेने की भूल कतई नहीं कर सकती.
दोस्तों, आज के अंक में बात होगी एक क्लासी बाएं हाथ का बल्लेबाज की, जिसके जकिरे में हर तरह के शॉट थे, जेपी डुमिनी. जीन पॉल डुमिनी यानी जेपी डुमिनी की कहानी वादों को पूरा ना कर पाने की बदनसीब दास्तां है. डुमिनी के करियर को चोटों और इंजरी ने ग्रहण लगाया. डुमिनी को सबसे अधिक याद किया जाता है उनके कवर ड्राइव के लिए, स्क्वायर कट के लिए, तेज कलाई और हैरंतगेज फील्डिंग के लिए.आज के लेख में हम साउथ अफ्रीका के पूर्व धाकड़ खिलाड़ी जेपी डुमिनी के जीवन और क्रिकेट करियर से जुड़ी कुछ जानी–अनजानी और अनकही बातों को जानने की कोशिश करेंगे.
जेपी डुमिनी का जन्म 14 अप्रैल, 1984 को दक्षिण अफ्रीका के केपटाउन में हुआ था. बचपन से ही खेलों के तरफ डुमिनी का झुकाव था, और समय के साथ डुमिनी अपने बेहतरीन खेल से आसपास अपनी पहचान बनाने लगे थे. डुमिनी शुरुआत से ही एक टॉप–ऑर्डर बल्लेबाज रहे जो जरुरत पड़ने पर एक उपयोगी गेंदबाज भी साबित होते थे साथ ही डुमिनी अपने हैरंतगेज फील्डिंग के लिए भी प्रसिद्द थे. लेकिन जेपी को असली पहचान मिली 2003 इंग्लैंड दौरे पर, जहां वो साउथ अफ्रीका अंडर-19 टीम का हिस्सा थे. हालांकि उनका चयन फर्स्ट क्लास में शानदार प्रदर्शन का इनाम ही था और डुमिनी ने इंग्लैंड दौरे पर तो कमाल ही कर दिया. 2003-04 सीजन में डुमिनी ने 72 के औसत से रन बनाए और गेंद से भी काफी उपयोगी साबित हुए थे. इसी बेहतरीन प्रदर्शन के चलते डुमिनी का चयन श्रीलंका दौरे पर जाने वाली साउथ अफ्रीका की अंतराष्ट्रीय टीम में भी हो गया. 20 अगस्त, 2004 को श्रीलंका के खिलाफ एक वनडे मैच से डुमिनी ने अंतराष्ट्रीय क्रिकेट में पदार्पण किया था. आर प्रेमदासा स्टेडियम, कोलंबो में अपने पहले अंतराष्ट्रीय वनडे मैच में डुमिनी सिर्फ 4 बनाकर चमिंडा वास की गेंद पर LBW हो गए थे. श्रीलंका ने इस मुकाबले में 3 विकेटों से जीत दर्ज की थी. ये दौरा डुमिनी और दक्षिण अफ्रीका दोनों के लिए बेहद निराशाजनक रहा था, जहां श्रीलंका ने 5 मैचों की वनडे सीरीज में अफ़्रीकी टीम का सूपड़ा साफ़ कर दिया था और डुमिनी सिर्फ 29 रन बना सके थे. इसके बाद जेपी डुमिनी को टीम से ड्रॉप कर दिया गया. अंतराष्ट्रीय टीम से ड्रॉप होने के बाद डुमिनी घरेलु क्रिकेट में खुद को साबित करने में लग गए और रनों के अम्बार लगा दिए, जिसके बाद डुमिनी को 2006 में अफ़्रीकी टीम में शामिल किया गया. डुमिनी ने वापसी करते हुए जिम्बाब्वे के खिलाफ 60 रन बनाए लेकिन यह 2007 वर्ल्ड कप के लिए अफ्रीकी टीम में चयन के लिए काफी नहीं था.
डुमिनी को तलाश थी एक बड़े ब्रेक की और वो उनको मिला 2008-09 ऑस्ट्रेलिया दौरे पर. डुमिनी को स्क्वाड में चुना गया था लेकिन प्लेइंग-11 में उनको शामिल करने की उम्मीद ना के बराबर थी लेकिन पहले टेस्ट के दौरान Ashwell Prince चोटिल हो गए तब उनकी जगह डुमिनी को शामिल किया गया और तब डुमिनी ने खुद को साबित किया. दूसरी पारी में उन्होंने नाबाद 50 रन बनाए, जिससे साउथ अफ्रीका ने पर्थ में 414 रनों को चेज करते हुए 6 विकेट से जीत दर्ज की थी. डुमिनी यहीं नहीं रुके उन्होंने मेलबर्न में वहीँ से शुरू किया जहां पर्थ में उन्होंने खत्म किया था. जेपी ने मेलबर्न टेस्ट की पहली पारी में 166 रनों की जबरदस्त पारी खेलकर दिखा दिया कि वो टीम के बहुमूल्य खिलाड़ी हैं. दक्षिण अफ्रीका ने 9 विकेटों से मुकाबला जीतकर टेस्ट सीरीज अपने नाम किया. 16 सालों के बाद ऑस्ट्रेलिया अपने घर में कोई टेस्ट सीरीज हारी थी. तीसरे टेस्ट में डुमिनी ने अपना पहला टेस्ट अंतराष्ट्रीय विकेट भी लिया था. अब डुमिनी दक्षिण अफ्रीका क्रिकेट के पोस्टर बॉय बन गए थे और यही वजह थी उनको साल 2009 आईपीएल ऑक्शन में मुंबई इंडियन्स ने 9 लाख 50 हजार यूएस डॉलर में खरीदा था.
2010 आते–आते जेपी डुमिनी की टेस्ट क्रिकेट में चमक खोती दिखी, जब लगातार चार टेस्ट पारियों में वो सिंगल डिजिट में आउट हुए थे, जिसके बाद उनको टेस्ट टीम से ड्रॉप कर दिया गया लेकिन लिमिटेड ओवर में वो टीम के अहम सदस्य बने रहे. 2011 वर्ल्ड कप में डुमिनी अफ़्रीकी टीम का हिस्सा थे.
फिर जेपी डुमिनी ने 2 साल बाद दक्षिण अफ्रीका की टेस्ट टीम में वापसी की और न्यूजीलैंड के खिलाफ शतक जड़ा. लेकिन तब चोट ने उनके करियर को 7 महीनों के लिए रोक दिया. डुमिनी रिकवर हुए और 2013 चैंपियन्स ट्रॉफी में वापसी की लेकिन टूर्नामेंट में उनका प्रदर्शन खामोश ही रहा.
साल 2014 डुमिनी के लिए फलदायक रहा, जहां उन्होंने ऑस्ट्रेलिया और श्रीलंका के खिलाफ शतक जड़े. फिर आया साल 2015 और इसमें आया वर्ल्ड कप, जिसके लिए डुमिनी एक बार अफ़्रीकी टीम का हिस्सा थे. 2015 वर्ल्ड कप जेपी डुमिनी के लिए ऐतिहासिक रहा था. बल्ले से तो उनका प्रदर्शन मिला–जुला ही था लेकिन गेंद से उन्होंने कमाल कर दिया था.
साल 2015 के वर्ल्ड कप के क्वार्टरफाइनल में साउथ अफ्रीका का सामना श्रीलंकाई टीम से था. श्रीलंकन कप्तान एंजेलो मैथ्यूज ने टॉस जीतकर बल्लेबाजी करने का फैसला किया लेकिन अफ्रीकी स्पिनर इमरान ताहिर के आगे श्रीलंकाई टीम ढेर हो गई. श्रीलंकाई टीम 23 ओवर में 81 रन पर अपने चार विकेट खो चुकी थी लेकिन श्रीलंका की उम्मीदें जिंदा थी क्योंकि क्रीज पर टीम के सबसे धाकड़ और इन–फॉर्म बल्लेबाज कुमार संगाकारा मौजूद थे. उनके साथ क्रीज पर कप्तान एंजेलो मैथ्यूज थे. दोनों संभलकर बल्लेबाजी कर रहे थे और पारी को आगे बढ़ा रहे थे ऐसे में अफ्रीकी कप्तान एबी डिविलियर्स ने गेंदबाजी के लिए जेपी डुमिनी को बुलाया. डुमिनी पारी का 33वां ओवर लेकर आए और उन्होंने ओवर की अंतिम गेंद पर श्रीलंकाई कप्तान मैथ्यूज को डूप्लेसी के हाथों कैच करवा दिया. अगले ओवर में ताहिर ने परेरा को आउट कर दिया. अब 35वें ओवर में कप्तान ने फिर डुमिनी को गेंद थमा दी. डुमिनी ने ओवर की पहली गेंद पर कुलसेकरा को कौट एन बोल्ड कर दिया और दूसरी गेंद पर थारिंदु कौशल को एलबीडबल्यू किया. डुमिनी ने अपने करियर की पहली हैट्रिक लेकर इतिहास रच दिया.
डुमिनी के 3 और ताहिर के 4 विकेटों की बदौलत अफ्रीकी टीम ने श्रीलंका को 133 रनों पर ऑलआउट कर दिया. जवाब में साउथ अफ्रीका ने एक विकेट गंवाकर 18वें ओवर में जीत दर्ज कर ली. हालांकि इस जीत के बावजूद सेमीफाइनल में साउथ अफ्रीका की टीम को न्यूजीलैंड के हाथों हार का सामना करना पड़ा और उनका वर्ल्ड कप जीतने का सपना सपना ही रह गया. इसी वर्ल्ड कप के दौरान डुमिनी ने एक और रिकॉर्ड अपने नाम किया था. डेविड मिलर के साथ उन्होंने 5वें विकेट के लिए रिकॉर्ड 256 रनों की नाबाद साझेदारी की थी.
2015 में भारत के खिलाफ टी20 सीरीज जीताने में जेपी डुमिनी ने अहम योगदान दिया था लेकिन इस दौरान उंगली में चोट के चलते वनडे और टेस्ट सीरीज से बाहर हो गए. रिकवर होने के बाद उनका प्रदर्शन प्रभावित नहीं कर पाया ना ही गेंदबाजी और ना ही बल्लेबाजी में फिर भी 2016 टी20 वर्ल्ड कप में वो अफ़्रीकी टीम का हिस्सा थे मगर हैमस्ट्रिंग इंजरी के चलते टूर्नामेंट से बाहर हो गए.
फिर डुमिनी ने वापसी की और 5 नवम्बर, 2016 को पर्थ में खेले गए ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सीरीज के पहले टेस्ट में डुमिनी ने अपने टेस्ट करियर का पांचवां शतक जड़ा था, इस दौरान उन्होंने डीन एल्गार के साथ 250 रनों की साझेदारी की थी, जो कि ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध दक्षिण अफ्रीका के लिए दूसरा सर्वश्रेष्ठ था.
अक्टूबर, 2017 में जब बांग्लादेश के खिलाफ तीसरे वनडे मैच के दौरान फाफ डू प्लेसी चोटिल हो गए थे और टी20 सीरीज से बाहर हो गए थे, जेपी डुमिनी ने उनकी जगह दक्षिण अफ़्रीकी टीम का नेतृत्व किया था.
2019 वर्ल्ड कप के लिए जेपी डुमिनी को अफ़्रीकी टीम में चुना गया था और टीम के आखिरी ग्रुप खेलने के बाद, जो कि ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध था, डुमिनी ने क्रिकेट के सभी प्रारूपों से संन्यास का ऐलान कर दिया.
जेपी डुमिनी आईपीएल का भी जाना माना चेहरा रहे, जहां वो मुंबई इंडियन्स, डेक्कन चार्जर्स, सनराइजर्स हैदराबाद और दिल्ली डेयरडेविल्स का हिस्सा रहे. आईपीएल के अलावा डुमिनी पाकिस्तान सुपर लीग और कैरिबियन प्रीमियर लीग भी खेले.
एक नजर जेपी डुमिनी के क्रिकेट करियर पर –
सबसे पहले इंटरनेशनल करियर – 46 टेस्ट – 2103 रन और 42 विकेट (6 शतक और 8 अर्द्धशतक)
199 वनडे के 179 पारियों में 5117 रन और 69 विकेट (4 शतक और 27 अर्द्धशतक)
81 टी20 की 75 पारियों में 1934 रन और 21 विकेट (11 अर्द्धशतक)
जेपी डुमिनी ने 108 फर्स्ट क्लास मैचों में 6774 रन और 77 विकेट चटकाए हैं. इस दौरान उनके बल्ले से 20 शतक और 30 अर्द्धशतक निकले.
83 आईपीएल मुकाबलों में डुमिनी ने 2029 रन बनाए और गेंदबाजी में 23 विकेट झटके. इस दौरान डुमिनी ने 14 अर्द्धशतक लगाए.
जेपी डुमिनी के निजी जीवन की बात करें तो उन्होंने साल 2011 में अपनी गर्लफ्रेंड सू से शादी रचाई थी, जिनसे उन्हें 2 बेटियाँ हैं. क्रिकेट से रिटायर होने के बाद भी डुमिनी क्रिकेट से जुड़े हुए हैं, उनको आईपीएल और इंटरनेशनल लेवल पर कमेंट्री करते हुए देखा जा सकता है. इंजरी ने डुमिनी के क्रिकेटिंग करियर को काफी बाधित किया वरना आज उनके आंकड़े कुछ और ही होते और निश्चित तौर पर उनकी गिनती दक्षिण अफ्रीका के सर्वश्रेष्ठ ऑलराउंडरों में होती. चक दे क्रिकेट की पूरी टीम जेपी डुमिनी के उज्जवल भविष्य की कामना करती है. आप जेपी डुमिनी के क्रिकेट करियर को लेकर क्या राय रखते हैं, कमेंट करके जरुर बताएं.