ब्रैंडन मैक्कुलम अपने हौंसले से टीम में जान फूंकने वाला बेखौफ बल्लेबाज…

रग्बी का चैंपियन खिलाड़ी कैसे बना क्रिकेट का अक्रामक बल्लेबाज

ब्रैंडन मैक्कुलम जिसके सामने हर रिकॉर्ड बौना साबित होता जाता था

मैक्कुलम ..वो बेखौफ बल्लेबाज जिसने बड़े बड़े गेंदबाजों की बखिया उधेड़ कर दी

टेस्ट क्रिकेट में सबसे ज्यादा छक्के लगाने वाला बल्लेबाज ब्रैंडन मैक्कुलम कौन है

अगर आप क्रिकेट के इतिहास के पन्नो को पलटे तो आप देखेंगे कि दुनिया में कई ऐसे बल्लेबाज हुए है जो स्पिन गेंदबाजी को बखूबी खेलते है तो वहीं कुछ बल्लेबाज ऐसे भी है तेज गेंदबाजी को अच्छा खेलते है। लेकिन क्रिकेट की दुनिया में इकलौता ऐसा बल्लेबाज है जो तेज गेंदबाजी को आगे बढ़कर खेलता है। उसके फुटवर्क और टाइमिंग की दुनिया दीवानी है। जब यह बल्लेबाज तेज गेंदबाजी के खिलाफ कदमों का इस्तेमाल करता है तो गेंद सिर्फ दर्शक दीर्घा में जाकर गिरती है। इसके आगे क्या ब्रेटली, क्या डेल स्टेन क्या जहीर खान और क्या शोएब अख्तर हर किसी की गेंदबाजी की बखिया उधेड़ कर रख दी। उसके अंदाज में चीते जैसी फुर्ती है , बेखौफ खेलने का माद्दा है जब क्रीज पर उतरता है तो सिर्फ अपनी धुन में सवार रहता है….

क्रिकेट में इतनी अक्रमकता वाला खिलाड़ी जो कभी क्रिकेटर बनना ही नहीं चाहता था। जिसे सिर्फ रग्बी पसंद था आखिर वो रग्बी का चैंपियन कैसे बेखौफ बल्लेबाज बन गया…

आज बात करने वाले है न्यूजीलैंड क्रिकेट के एक ऐसे बल्लेबाज जिसे दुनिया दूसरे 360 के नाम से भी जानती है वो कोई और नहीं कीवी टीम का आक्रामक ओपनर बल्लेबाज ब्रैंडन मैक्कुलम है…..

27 सितंबर 1981 न्यूजीलैंड का ड्यूनेडिन शहर .. जहां ब्रैंडन मैक्कुलम का जन्म हुआ। इनका परिवार क्रिकेट की दुनिया से ताल्लुक रखता है। ब्रैंडन मैक्कुलम के पिता स्टुअर्ट मैक्कुलम ओटेगो के लिए क्रिकेट खेल चुके है। इनके भाई नाथन मैक्कुलम भी न्यूजीलैंड के लिए क्रिकेट खेल चुके है जो एक स्पिनर की भूमिका अदा करते थे। मैक्कुलम ने अपनी स्कूली शिक्षा किंग्स हाई स्कूल से पूरी की। मैक्कुलम को क्रिकेट से पहले रग्बी खेल बहुत पसंद था। वो अपनी स्कूली रग्बी टीम के कप्तान भी रह चुके है। मैक्कुलम रग्बी खेल में इतने माहिर थे कि उनकी तुलना न्यूजीलैंड रग्बी टीम के पूर्व महान खिलाड़ी डेन कोर्टर से होती थी। रग्बी के प्रति मैक्कुलम की लोकप्रियता पूरे न्यूजीलैंड में थी यही वजह है कि उन्होंने क्रिकेट से पहले रग्बी को तवज्जो दी और खेला भी। लेकिन रग्बी के साथ तेजी से क्रिकेट भी उनका पीछा कर रहा था।

कहते है कि जिंदगी में मनुष्य बनना कुछ चाहता है और बन कुछ और जाता है मैक्कुलम की किस्मत में तो क्रिकेट लिखा था। इसलिए खुदा ने उनके मन में क्रिकेट को लेकर जिज्ञासा पैदा कर दी। इस लिहाज से मैक्कुलम का क्रिकेट करियर साल 1996 में शुरू हुआ। जब मैक्कुलम न्यूजीलैंड की अंडर 17 टीम का हिस्सा बने। इसके बाद 1999 में मैक्कुलम ने अपने प्रथम श्रेणी क्रिकेट करियर शुरुआत ओटागो से की। मैक्कुलम ने अपने खेल से सभी को प्रभावित किया जहां उनका चयन हुआ 2000 के अंडर 19 वर्ल्ड कप के लिए। इस वर्ल्ड कप ने क्रिकेट को कई उभरते हुए सितारे दिए। भारत को मोहम्मद कैफ, युवराज सिंह, साउथ अफ्रीका को एलबी मॉर्केल, इंग्लैंड को जोनाथन ट्रॉट ऑस्ट्रेलिया को माइकल क्लार्क जैसे बेशुमार खिलाड़ी दिए। मैक्कुलम अपने शुरुआती क्रिकेट करियर में विकेट कीपिंग के साथ साथ मध्य क्रम में बल्लेबाजी करते थे। उस दौर में विकेट कीपर बल्लेबाज बहुत अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाते थे। लेकिन मैक्कुलम ने इस मिथ को तोड़ा। वो इन सभी से अलग थे। उन्होंने अपने खेल का मुजायरा 2000 में साउथ अफ्रीका के खिलाफ खेली गई 186 रन की पारी से दे दिया था। मैक्कुलम को अब यह प्रतिभा बड़े मंच में दिखानी थी। उस समय कीवी टीम में अक्रामक बल्लेबाज नाथन एस्टल खेल के अंतिम पड़ाव में थे। तो चर्चा होने लगी कि क्या भविष्य में कीवी टीम में कोई ऐसा खिलाड़ी आयेगा जो एस्टल की कमी पूरी करेगा। इसका जवाब थे ब्रैंडन मैक्कुलम।

17 जनवरी 2002 ये वो दिन था जब फैंस के दिल में नाथन एस्टल की जगह मैक्कुलम जगह बनाने जा रहे थे। इसी दिन उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सिडनी वनडे में डेब्यू किया। मैक्कुलम एकदिवसीय में कीवी टीम के 126 वें खिलाड़ी बने थे। ओपनिंग करने उतरे मैक्कुलम ने सभी को निराश किया और सस्ते में पवेलियन चलते बने। दो सालों तक मैक्कुलम कुछ खास कमाल नहीं कर पा रहे थे। इसके बावजूद उन्हें टीम की तरफ से सफेद जर्सी पहनने को मिली। 10 मार्च 2004 को साउथ अफ्रीका के खिलाफ उन्होंने टेस्ट क्रिकेट में डेब्यू किया और पहली पारी में 57 रन बनाए। इसके बाद उन्हें इंग्लैंड के खिलाफ भी मौका मिला और उन्होंने 96 रन बनाए। तब उन्होंने दुनिया को बताया कि मैक्कुलम क्या है। उसी साल बांग्लादेश के खिलाफ 145 रन की लाजवाब पारी खेलकर करियर का पहला शतक लगाकर अपना लोहा मनवाया। लेकिन मैक्कुलम अभी भी वनडे क्रिकेट में खास कमाल नहीं कर पा रहे थे। मध्य क्रम में बल्लेबाजी करते हुए मैक्कुलम का वनडे करियर ढलान में जाने लगा था। तभी उस समय टीम के नए कप्तान डेनियल विटोरी ने उन्हें ओपनिंग करने की सलाह दी। यहां से मैक्कुलम एक अलग खिलाड़ी बनकर उभरे। 2007 के टी 20 विश्व कप में कई बेहतरीन पारी खेली। बांग्लादेश के खिलाफ वनडे मुकाबले में महज 19 गेंदों में 50 रन बनाकर सनसनी फैला दी और मैक्कुलम को बेखौफ और अक्रामक ओपनर बल्लेबाज बना दिया।

मैक्कुलम यहीं नहीं रुके उन्होंने आयरलैंड के खिलाफ अपना पहला वनडे शतक बनाया। जहां उन्होंने 166 रन बनाए। इस पारी के बाद पूरी दुनिया मैक्कुलम की अक्रामक बल्लेबाजी की कायल हो चुकी थी। तभी टी 20 चैंपियन लीग का जन्म हुआ। जहां वो कोलकाता नाइट राइडर्स के साथ थे। इससे पहले साल 2008 में आईपीएल के पहले सीजन में केकेआर की तरफ से खेलने वाले मैक्कुलम ने आईपीएल में कई रिकॉर्डधारी और ताबड़तोड़ पारियां खेली थी। सही मायनो में कहें तो आईपीएल को बुलंदियों में मैक्कुलम ने ही पहुंचाया था। केकेआर की तरफ से मैक्कुलम ने एक शतक भी लगाया था इस पारी में उन्होंने 10 चौकों और 13 छक्कों की मदद से 158 रनों की आतिशी पारी खेली थी। मैक्कुलम का कारवां यहीं नहीं रुका। 2009 के टी 20 विश्व कप में ऑस्ट्रेलिया के खिलाड़ी 53 गेंदों में 116 रन ठोक डाले। इसके 2011 के विश्व कप में उन्होंने कई शानदार पारियां खेली। मैक्कुलम ने शॉन टेट, डेल स्टेन, लसिथ मलिंगा, जहीर खान जैसे खतरनाक गेंदबाजी की धज्जियां उड़ा दी थी। 2012 के टी 20 विश्व कप में बांग्लादेश के खिलाफ शतक लगा दिया था। टी 20 में दो शतक लगाने वाले इकलौते बल्लेबाज बन गए थे।

साल 2012 में मैक्कुलम को सभी प्रारूपों का कप्तान बनाया गया। लेकिन मैक्कुलम पर एक आरोप भी लगा। जिसमें रॉस टेलर ने यह कहा कि उन्हें मैक्कुलम के कहने पर कप्तानी से हटाया गया। लेकिन मैक्कुलम ने इन आरोपों का खण्डन किया। इस बीच साल 2014 और 2015 मैक्कुलम के लिए कभी ना भूलने वाला साथ था। भारत का न्यूजीलैंड दौरा जहां भारत वनडे की सीरीज कब्जा चुका था। बारी थी टेस्ट सीरीज की। सीरीज में 1-0 से पिछड़ने के बाद दूसरे टेस्ट में न्यूजीलैंड पर हार का खतरा मंडरा रहा था तो पहले मैच में 224 रन बनाने वाले मैक्कुलम ने 13 घंटो तक क्रीज में समय बिताकर 558 गेंदों में 313 रनों की इतिहासिक पारी ने उस मैच में न्यूजीलैंड को मैच ड्रा करवाया। साथ ही सीरीज भी जितवाई। साल 2015 विश्व कप में एक सवाल जो न्यूजीलैंड क्रिकेट और प्रशंसकों के बीच था कि कप्तानी के दबाव में मैक्कुलम अपना खेल कैसे खेलेंगे। लेकिन इन सबसे परे मैक्कुलम ने विश्वकप में ना सिर्फ शानदार खेल दिखाया। बल्कि न्यूजीलैंड को फाइनल में पहुंचाया। जहां उसके सामने चार बार की विजेता ऑस्ट्रेलिया थी। लेकिन कहते है ना कि बड़े मैच की छोटी पारी भी हमेशा यादगार रहती है लेकिन उस ऐसा कुछ नहीं हुआ। स्टार्क ने पहले ही ओवर में कप्तान मैक्कुलम को शून्य पर चलता किया इसके बाद कोई भी बल्लेबाज बड़ी पारी नहीं खेल पाया। और न्यूजीलैंड का विश्व कप जीतने का सपना महज एक सपना बनकर रह गया।

अपने करियर में 101 टेस्ट , 260 वनडे और 71 टी 20 खेलने वाले मैक्कुलम ने तकरीबन 15 हजार रन बनाए है। मैक्कुलम ने 109 आईपीएल मैचों में 2888रन बनाए है।

दोस्तों क्या भविष्य में न्यूजीलैंड टीम को मैक्कुलम जैसा बल्लेबाज मिल पाएगा? आप हमें अपनी राय कमेंट करके बता सकते हैं .

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