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दाखिल खारिज क्या होता है, जानिए इसके फायदें

Bihari News

बिहार में जमीन से जुड़े मामलों की संख्या सबसे ज्यादा है. ऐसे में अपराधिक मामलों में भी बढ़ोतरी देखने को मिली है. ऐसे में बिहार सरकार लगातार अपने कानून में संसोधन कर रही है जिससे की जमीन से जुड़े मामलों के साथ ही अपराधिक मामलों में कमी आ सके. इन सब के बीच में हमसब ने एक नाम जरूर सुना होगा. दाखिल खारिज के बारे में. यह शब्द बिहार में लगभग लोगों के कानों में गया होगा. जिसमें वे आपस में भी बात करते हैं कि दाखिल खारिज हुआ या नहीं हुआ. आज हम आपको इसी दाखिल खारिज के बारे में बताने वाले हैं. दाखिल खारिज का मतलब होता है दो लोगों के बीच में किसी संपत्ति का हस्तांतरण होना. जिसे सरकारी राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज किया जाता है. और इसी प्रक्रिया को कहा जाता है दाखिल खारिज यानी की म्युटेशन.

जब कभी आप जमीन को खरीदने के जाते हैं तो यह कहा जाता है कि दाखिल खारिज जरूर करवा लेना. दाखिल खारिज कराने के बाद ही जमीन का क्रेता यानी की आप कानूनी रूप से उस जमीन के मालिक बनते हैं यानी की एक तरफ जहां जमीन दाखिल होता है यानी की किसी को मिलता है तो किसी से यहां से छूटता है. इसी पूरी प्रक्रिया को दाखिल खारिज कहा जाता है. उसके बाद जब यह राजस्व रिकॉर्ड में यह नाम जुड़ जाता है तो उस व्यक्ति के नाम से यह जमीन एक संपत्ति के रूप में दर्ज होता है. ये तो बात हुई जमीन खरीदने और बेचने की अगर हम बात करें वसीयत और बैनामा की तो इस दौरान जमीन का स्थान्तरण होता है ऐसे में इन जमीनों का भी दाखिल खारिज होना जरूरी होता है नहीं तो आप इन जमीन के मालिक नहीं कहलाएंगे.

आइए अब जानते हैं दाखिल खारिज होता कैसे हैं

किसी भी जमीन का जब दाखिल खारिज करवाना है तो सबसे पहले आपको इस बात का पता होना चाहिए कि यह जमीन किस प्रखंड में है. उसके बाद आपको उस प्रखंड में जाकर आवेदन करना होगा. जिस समय आप आवेदन कर रहे होंगे उस समय आपको यह बताना होगा कि जिस जमीन की बिक्री हो रही है वह कौन है और यह भी की कौन है जो इस जमीन की खरीद कर रहा है. इन दिनों का पूरा पता उस आवेदन में दर्ज होगा. इसके साथ ही आपको उस जमीन से जुड़ी हुई सारी जानकारी बताना होगा जिसमें जमीन का पूरा रकबा कितना है यह भी बताना होगा. इसके बाद आपको अपने आवेदन के साथ ही रजिस्ट्री हुए जमीन के दस्तदावेज की एक फोटो कॉपी उसके बाद एक शपथ पत्र जो कि एफिडेविट के साथ बना है. इसमें दो तरह का शपथ पत्र होगा पहला नोटरी का और दूसरा प्रॉपर्टी टैक्स की घोषणा का. अब इसके बाद तहसील के द्वारा एक नोटिस निकाला जाता है जिसमें यह लिखा होता है कि यदि किसी भी व्यक्ति को उस जमीन के दाखिल खारिज को लेकर किसी भी प्रकार की कोई आपत्ति है तो वह तहसील में आकर शिकायत दर्ज करवा सकता है. तहसील के द्वारा दिए गए एक निश्चित समय में अगर कोई शिकायत नहीं करता है तो उस व्यक्ति के नाम से जमीन दाखिल खारिज कर दिया जाएगा. अगर उस जमीन पर कोई विवाद है या फिर कोई आपत्ति दर्ज करता है तो दाखिल खारिज की प्रक्रिया रुक जाएगी.

क्या दाखिल खारिज करना जरूरी है

एक सवाल जो अक्सर पुछा जाता है कि क्या जमीन का दाखिल खारिज करवाना जरूरी है. क्योंकि जमीन खरीदने वाले के मन में तो यह होता है कि हमने तो जमीन की रजिस्ट्री करवा ली है तो दाखिल खारिज करवाने की क्या जरूरत है. तो इसको हम इस तरह से समझते हैं कि अगर कोई व्यक्ति जमीन को खरीदता है और वह उस जमीन का दाखिल खारिज नहीं करवाता है तो आप इस जमीन के कानूनी रूप से मालिक नहीं है. जिस व्यक्ति से आपने जमीन खरीदा है वह चाहे तो इस जमीन को फिर से बेच सकता है. तब आप परेशानी में पड़ सकते हैं. इसीलिए दाखिल खारिज जरूरी है. ताकि आपकी संपत्ति सुरक्षित आपके पास रह सके. इसके बाद आपको एक लाभ यह भी मिलेगा कि अगर आप इस जमीन को बेचना चाहते हैं तो इसके लिए आपको दाखिल दाखिल करना होगा. तब ही आप जमीन को बेच पाएंगे.

अब बात आता है कि जमीन का ऑनलाइन दाखिल खारिज कैसे करें?

आप दाखिल खारिज को दो तरह से कर सकते हैं एक तो ऑानलाइन माध्यम से तो वहीं दूसरा आप प्रखंड में जाकर अपने जमीन का दाखिल खारिज करवा सकते हैं. अगर हम ऑनलाइन दाखिल खारिज की बात करें तो राज्य सरकार की तरफ से ऑनलाइन दाखिल खारिज करने की बात कही जा रही है. biharbhumi.bihar.gov.in पर जाकर हम अपने जमीन का दाखिल खारिज करवा सकते हैं. यहां पर आपको ऑानलाइन दाखिल खारिज का ऑप्शन दिखाई देगा. यहां आपको जमीन से जुड़ी हुई सभी जानकारी मिल जाएगी.

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