बदनामी का तमगा झेलने वाला कैसे बना ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट का बादशाह…

बैट खरीदने तक के नहीं थे पैसे, लेकिन आज क्रिकेट में बल्ले से मचा रहा तहलका

ऑस्ट्रेलिया क्रिकेट की आत्मा कहलाने वाला जाबांज खिलाड़ी है डेविड वार्नर

गुरु ने कहा तुम फेलियर हो कभी कुछ नहीं कर सकते, लेकिन डेविड वार्नर ने क्रिकेटर बनकर गुरु को सिखाया सबक

अपने 100 वें टेस्ट में दोहरा शतक लगाने वाला दूसरा ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी

क्रिकेट … जिसका जन्मदाता इंग्लैंड है जिसने शताब्दियों तक क्रिकेट का पालन पोषण किया और दर्शकों के लिए एक मनोरंजन का साधन तैयार किया। इतना ही नहीं इंग्लैंड ने इस खेल को इतना विख्यात कर दिया कि यह युवाओं के लिए एक रोजगार बन गया। दोस्तों हमने शुरू में कहा कि क्रिकेट जिसका जन्मदाता इंग्लैंड है लेकिन इस खेल का असली बादशाह ऑस्ट्रेलिया है। ऑस्ट्रेलिया जिसने क्रिकेट पर दशकों से अपना दबदबा कायम रखा है। टेस्ट क्रिकेट से लेकर वनडे क्रिकेट में अपने जादुई करिश्में को कायम रखा। इतना ही नहीं आधुनिक क्रिकेट यानी टी 20 क्रिकेट में भी अपनी धाक जमाकर रखी है। सही मायनो अगर कहें तो आज विश्व क्रिकेट में ऑस्ट्रेलिया को हराना किसी भी टीम के लिए आसान नहीं होता।

दोस्तों, आज हम ऐसी बातें क्यों कर रहे हैं ?  दरअसल आज हम ऑस्ट्रेलिया के एक ऐसे आक्रामक और धांसू खिलाड़ी की बात करने जा रहे है जिसके जीवन की संघर्ष भरी अनसुनी दास्तां आपको रुला देगी।

क्रिकेट में एक टीम तभी बड़ा स्कोर बना सकती है जब उस टीम की ओपनिंग अच्छी हो … कहने का मतलब टीम के लिए विशाल स्कोर बनाना काफी हद तक टीम के ओपनर पर निर्भर करता है। 90 के दशक में ऑस्ट्रेलिया टीम के पास जय वीरू की तरह दो धुरंधर और आक्रामक बल्लेबाज थे , एडम गिलक्रिस्ट और मैथ्यू हेडन.. टीम में ये दो ऐसे खिलाड़ी थे जिन्हे गेंद की खाल उधेड़ने में महारत हासिल थी। और अपनी बल्लेबाजी से पहली ही गेंद से विरोधी गेंदबाजों की धज्जियां उड़ा देते थे। एक समय बाद इन दोनो दिग्गजो के सन्यास के बाद यह स्लॉट खाली सा हो गया लेकिन टीम के पास शेन वाटसन जैसा आक्रामक खिलाड़ी था लेकिन दिक्कत यह थी कि दूसरे छोर से कोई ऐसा अक्रामक बल्लेबाज चाहिए था जो शेन वॉटसन का साथ दे सके । और फिर टीम को मिला एक बाएं हाथ का धांसू जांबाज और अक्रामक ओपनर बल्लेबाज डेविड वार्नर…..

इस लेख में बात करने वाले है डेविड वार्नर की….

डेविड वार्नर का पूरा नाम डेविड एंड्रयू वार्नर है डेविड का जन्म 27 अक्टूबर 1986 को ऑस्ट्रेलिया के न्यू साउथ वेल्स स्थित शहर पैडिंगटन में हुआ था। उनके पिता हावर्ड वार्नर एक फैक्ट्री में काम करते थे।और उनकी मां लॉरेन वार्नर पेशे से एक नर्स थी । डेविड के बड़े भाई स्टीवन वार्नर को बचपन से ही क्रिकेट में रुचि थी। और वे घरेलू क्रिकेट भी खेल चुके है। डेविड वार्नर ने अपनी पढ़ाई मार्टविले पब्लिक स्कूल और रैंडविक साउथ वेल्स से की। वार्नर को बचपन में ही क्रिकेट में काफी रुचि थी। और महज पांच वर्ष की आयु से उन्होंने क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया। परिवार की आर्थिक ठीक नहीं थी पिता ने जैसे तैसे कुछ पैसे जोड़कर वार्नर के लिए एक बैट लेकर आए। वार्नर ने इस बैट से घर में काफी प्रैक्टिस की। साथ ही उन्होंने क्रिकेट कोचिंग भी ली। घर की माली हालत ठीक नहीं होने के कारण वार्नर को बचपन के दिनों में काम करना पड़ा वो खाली दिनों में अखबार बांटा करते थे। लेकिन इस बीच वार्नर ने क्रिकेट खेलना नहीं छोड़ा। और वह स्कूली क्रिकेट भी खेले। बचपन से ही अक्रामक खेलने की शैली ने उन्हें कई बार निराश किया। हवा में शॉट खेलते और आउट हो जाते। इसे देखकर वार्नर के कोच ने उन्हें दाएं हाथ से बल्लेबाजी करने की सलाह दी। लेकिन वार्नर का इरादा कुछ और ही था उन्होंने कोच की बात ना मानकर बाएं हाथ से ही बल्लेबाजी करना जारी रखा। वार्नर जब 14 साल के थे तो उन्होंने एक ग्रोसरी की दुकान में काम किया। इसके बाद वार्नर ने अपने खेल को जारी रखा और उसी साल सिडनी कोस्टरल क्रिकेट क्लब के लिए अंडर 16 क्रिकेट खेला । और उन्होंने सर्वाधिक रन बनाए । वार्नर ने देश के लिए क्रिकेट खेलने की मंशा ठान ली थी। वो यहीं नहीं रुके उन्होंने वेस्टर्न क्लब के लिए भी क्रिकेट खेला। उनके शानदार खेल को देखते हुए उनका चयन श्री लंका जाने वाले अंडर 19 टीम में हुआ।

दोस्तों, हम डेविड वार्नर के क्रिकेट जीवन पर आगे बात करें उससे पहले वो छोटी सी कहानी आपको बताते है जिसमें वार्नर के गुरु ने उन्हें बददुआ थी कि तू जिंदगी में कुछ नहीं कर पाएगा… इसमें कोई शक नहीं कि जीवन में गुरु का स्थान माता पिता से भी ऊपर होता है। लेकिन जब गुरु ही आपको उपर उठाने की बजाय नीचा गिराए तो क्या होगा। दोस्तों जरूरी नहीं है कि हाथ कि पांचों उंगलियां बराबर हो , किसी में कोई ना कोई कमी होती है तो किसी में अटूट प्रतिभा… एक बार डेविड वार्नर स्कूल में थे उनका पढ़ाई से ज्यादा ध्यान क्रिकेट खेलने में था। टीचर कुछ पूछते तो वार्नर चुप रहते ,कुछ बता ही नही पाते.. रोज यही दृश्य देखकर उनके टीचर को एक दिन गुस्सा आ गया और उन्होंने भरी क्लास में डेविड वार्नर को कहा तुम फेलियर हो, अपनी जिंदगी में कभी कुछ नहीं कर पाओगे। इतना सुनते ही टीचर की बात उनके दिल में जा चुभी , वो घर आए और एक दिन अकेले घर की छत पर टहलते हुए टीचर की बात सोचने लगे। तभी डेविड वार्नर ने ठान लिया की एक दिन मैं ऑस्ट्रेलिया के लिए क्रिकेट खेलूंगा। इसके बाद उन्होंने कड़ी मेहनत की और उनके जज्बे , जुनून ने साबित कर दिखाया।

डेविड वार्नर ने अपने आक्रामक खेल से सभी को प्रभावित कर दिया था। भारत दौरे पर आई ऑस्ट्रेलिया की अंडर 19 टीम में वे चुने गए थे उन्होंने उस सीरीज में सर्वाधिक रन भी बनाए थे। साल 2008 … ये वो साल था जब यह डेविड वार्नर के लिए टर्निंग प्वाइंट साल साबित हुआ। इसी साल उन्होंने तस्मानिया के खिलाफ न्यू साउथ वेल्स की तरफ से खेलते हुए दमदार 165 रनों की पारी खेली। उस समय क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया के मैजेंजमेंट और चयनसमिति के बीच सिर्फ एक ही नाम की चर्चा होने लगी । वो थे डेविड वार्नर… वैसे भी एडम गिलक्रिस्ट और मैथ्यू हेडन जैसे धाकड़ ओपनर के बाद ऑस्ट्रेलियाई टीम को ऐसे ही अक्रामक ओपनर की तलाश थी तब चयनकर्ताओं ने तनिक भी देर नहीं लगाई। इसके बाद चयनकर्ताओं ने 2009 में साउथ अफ्रीका जाने वाली ऑस्ट्रेलिया टी 20 टीम में डेविड वार्नर को शामिल कर लिया।

उस दौर में वार्नर ने साउथ अफ्रीका के खिलाफ पहले ही टी 20 मैच में 47 गेंदों में 7 चौकों और 5 छक्के की मदद से 89 रनों की शानदार पारी खेली । जहां उनका सामना डेल स्टेन, मखाया एंटनी और मोर्ने मोर्कल से हुआ। उनके अच्छे और अक्रामक खेल को देखते हुए चयनकर्ताओं ने वार्नर को व्हाइट बॉल तक ही सीमित रखा। उसी साल 18 जनवरी 2009 को साउथ अफ्रीका के खिलाफ ही वार्नर ने अपने एकदिवसीय क्रिकेट करियर का आगाज किया। वार्नर ने अपना शानदार प्रदर्शन किया। इसके बाद उन्होंने टी 20 विश्व कप में भी खूब रन बनाए। उस समय डेविड वार्नर की चर्चा सिर्फ ऑस्ट्रेलिया में ही नही बल्कि विश्व क्रिकेट में हो रही थी। यही वजह थी कि साल 2009-10 में उन्हें आईपीएल की दिल्ली डेयरडेविल्स ने अपने साथ जोड़ा। जहां वार्नर ने 7 आईपीएल मैचों में 163 रन बनाए। वार्नर का फॉर्म और अक्रामक खेल जारी था साल 2010 के विश्व कप मानो डेविड वार्नर का ही था । उन्होंने पूरे टूर्नामेंट में खूब रन बनाए । उनकी बदौलत ऑस्ट्रेलिया फाइनल में पहुंचा लेकिन इंग्लैंड से वह हार गया। टी 20 और वनडे क्रिकेट में तहलका मचाने वाले डेविड वार्नर को अभी टेस्ट क्रिकेट में अपने जलवा दिखाना बाकी था।

1 दिसंबर 2011 को न्यूजीलैंड के खिलाड़ी डेविड वार्नर को टेस्ट में डेब्यू करने का मौका मिला। वार्नर को चोटिल शेन वॉटसन की जगह टीम में लिया गया था। पहले टेस्ट की पारी में वार्नर ने सिर्फ 3 रन बनाए लेकिन दूसरी पारी में उन्होंने अपना पुराना अंदाज दिखाया और अपने डेब्यू टेस्ट में ही दूसरी पारी में 123 रन बनाकर शतक ठोक डाला। यह मैच ऑस्ट्रेलिया हार गया था। लेकिन वार्नर के खेल ने विरोधियों को सचेत कर दिया। अगले साल भारत दौरे पर वार्नर ने 69 गेंदों पर शतक लगाकर सनसनी फैला दी थी। वार्नर का खेल यूं ही चलता रहा। 28 मार्च 2018 ऑस्ट्रेलिया के लिए काला दिन बन गया। वार्नर के लिए कभी ना भुला देने वाला साल भी बन गया। साउथ अफ्रीका के खिलाफ ऑस्ट्रेलिया पर बॉल टेंपरिंग का आरोप लगा। जिसमे स्टीव स्मिथ कप्तान थे। डेविड वार्नर ने कप्तान और टीम के सदस्यों को बॉल टेमरिंग के लिए उकसाया था। बॉल टेंपरिंग की करतूत कैमरे में कैद हो गई और विश्व क्रिकेट में ऑस्ट्रेलिया की बदनामी हुई। वार्नर पर नौ महीने का क्रिकेट ना खेलने का प्रतिबंध और अजीवन कप्तानी ना करने का प्रतिबंध भी लगा दिया गया।

ये तो रही डेविड वार्नर की क्रिकेट जीवनी आइए अब नजर डालते है वार्नर के क्रिकेट करियर पर जहां उन्होंने अपने बल्ले से की कीर्तिमान हासिल किए हैं।

न्यू साउथ वेल्स, डरहम, दिल्ली डेयर डेविल्स, सनराइजर्स हैदराबाद, सिडनी थंडर्स और सिडनी सिक्सर्स जैसी टीमों से खेलने वाले 36 वर्षीय डेविड वार्नर ने टेस्ट क्रिकेट के 101 मैचों मे 8132 रन बनाए है। एकदिवसीय क्रिकेट में 141मैच खेले है जहां उन्होंने 6007 रन बनाए। टी 20 अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में 99 मैचों मे 2894 रन बनाए है। डेविड वार्नर के अगर आईपीएल की बात करें तो साल 2009 से 2022 तक 162 मैच खेले जिसमें उन्होंने 42 की औसत से 5581 रन बनाए है।

कुछ हफ्ते पहले डेविड वार्नर ने अपने एक बयान में कहा था कि साल 2023 उनके क्रिकेट करियर का आखिरी साल साबित हो सकता है। आप डेविड वार्नर की जर्नी को कैसे देखते हैं? आप हमें अपनी राय कमेंट करके बता सकते हैं

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