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बिहार के इन पेट्रोल पंपों पर मिलेंगे एथनोल मिश्रित पेट्रोल, प्रदुषण में आएगी कमी

Bihari News

पेट्रोल में 20 फीसदी एथनोल के मिश्रण की प्रक्रिया अब बिहार में भी शुरू हो चुकी है. बता दें की ये 20 फीसदी एथनोल मिश्रित पेट्रोल पटना के जीरो माइल स्थित इंडियन आयल कारपोरेशन के पेट्रोल पंप पर मिल रहा है. मिली जानकारी के अनुसार राष्ट्रिय मार्ग पटनागया और पटनामुजफ्फरपुर में अवस्थित पेट्रोल पंपों पर भी ये 20 फीसद एथनोल ब्लेंडिंग की जाएगी. फ़िलहाल पेट्रोल में 10 फीसदी एथनोल की ब्लेंडिंग बिहार समेत पूरे देश में की जाती है. यदि हम बिहार में एथनोल के उत्पादन की बात करें तो करीब 12 करोड़ लीटर सलाना चीनी मीलों की डिस्टलरीज होती है. वहीँ राज्य सरकार ने 17 एथनोल उत्पादन यूनिट को बिहार की नयी एथनोल पॉलिसी आने के बाद मंजूरी दी है. 10 फीसदी एथनोल मिश्रण के लक्ष्य का समय से पूरा हो जाने पर केंद्र सरकार काफी उत्साहित है. इसलिए केंद्र सरकार द्वारा 20 फीसदी के लक्ष्य को भी समय से पहले हीं पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. इसकी शुरुआत 6 फरवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की थी.

देश के साथसाथ राज्यों के लिए भी एथनोल का कोटा केंद्र सरकार द्वारा नयी ग्रेनबेस्ड एथनोल उत्पादन पॉलिसी के तहत तय किया गया है. बता दें की अनाज से एथनोल के उत्पादन करने का कोटा देश में 328 करोड़ लीटर और बिहार में 36 करोड़ लीटर तय किया गया है. जबकि बिहार में 172 करोड़ लीटर सालाना एथनोल की क्षमता है. इस बात की जानकारी राज्य सरकार द्वारा तैयार करवायी गयी एक रिपोर्ट के अनुसार मिली है. बिहार के कई जिलों में एथनोल प्लांट लगाये जा रहें हैं. जिनमे मुजफ्फरपुर, भागलपुर, भोजपुर, पूर्वी चम्पारण, नालंदा, गोपालगंज, पूर्णिया, मधुबनी, बक्सर और बेगुसराय शामिल है.

बता दें की बिहार के पूर्णिया में ईस्टर्न इंडिया बायोफ्यूल कंपनी में उत्पादन भी शुरू किया जा चूका है. यहाँ 65000 लीटर एथनोल का उत्पादन हर रोज किया जा रहा है. धान की पराली, कपास के डंठल और मक्के के समूचे पौधे और गन्ने की खोई का उपयोग अनाज और उसकी फसलों से तैयार होने वाले एथनोल में धड़ल्ले से किया जाएगा. वहीँ टूटे चावल, पर्याप्त स्टार्च वाला फसल मक्का, सड़े आलू के साथ ख़राब अनाज और अन्य फसलों की पराली को भी प्रयोग में लाया जा रहा है.

सरकार द्वारा एथनोल पर लगने वाले जीएसटी की दर को 18 फीसदी से घटाकर पांच फीसदी कर दिया गया है. दरअसल ऐसा एथनोल उत्पादन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से किया गया है. मक्के की पैदावार बिहार में अच्छी होती है. अक्सर सीजन में मक्के को किसानो द्वारा औनेपौने दाम में बेचना पड़ता है. इसे अर्थशास्त्र की भाषा में डिस्ट्रेस सेलिंग भी कहते हैं. लेकिन अब मक्के की खरीददारी एथनोल इकाइयाँ किसानों से उचित कीमत पर करेंगी. जब एथनोल मिश्रित पेट्रोल वाले वाहन चलेंगे तो इससे प्रदुषण भी कम होगा. साथ हीं साथ भारत सरकार द्वारा जितने तेल के आयात बाहर से किये जाते हैं उसकी मात्रा भी इसकी वजह से कम हो जाएगी. गौरतलब है की 551 बिलियन डॉलर का पेट्रोलियम विदेशों से भारत द्वारा साल 2021 में आयात किया गया है. ऐसे में हर साल चार बिलियन डॉलर यानि 30,000 करोड़ रुपये बचाए जा सकते हैं जब देश में एथनोल मिश्रित पेट्रोल दिए जाएंगे.

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