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जानिए कैसे होती है EVM से वोटों की गिनती

Bihari News

पूरे देश में अगर चुनाव की स्थिति को देखें तो एक दो महीने को छोड़कर हर महीने में चुनाव देश में किसी न किसी राज्य में होता ही है. वह चुनाव लोकसभा का हो या फिर राज्यों में विधानसभा का या फिर निगम चुनाव का या फिर पंचायत चुनाव देश में कहीं न कहीं चुनाव होते ही रहता है. देश में एक समय था जब बैलेट पेपर के माध्यम से चुनाव होता था. उसमें वोटों की गिनती होने में लंबा समय लग जाता है. साथ ही कई तरह के कदाचार की खबरें भी मिलती रही. लेकिन बाद के समय में देस में चुनाव कराने और उसकी गिनती की प्रक्रिया में बदलाव किया गया. जिसके बाद हमलोग आज EVM के माध्यम से वोट करते हैं और वोटो की गिनती भी तेजी से होती है. देर रात होते होते लोकसभा चुनाव के नतीजें लगभग पूरे हो जाते हैं. भारतीय EVM मशीन का इस्तेमाल सबसे पहले साल 1980 में MB हनीपा के द्वारा किया गया है, इनके द्वारा बनाए गए मशीन को तमिलनाडु के छह शहरों में जनता के लिए प्रदर्शित किया गया था.

भारत में EVM का पहली बार इस्तेमाल साल 1982 के केरल विधानसभा चुनाव में हुआ था. केरल के 70 पारुर विधानसभा क्षेत्र में इसका इस्तेमाल किया गया था. इसके बाद 2004 के लोकसभा चुनाव में इसका इस्तेमाल पूरे देश में किया गया. उसके बाद पूरे देश में होने वाले चुनाव में इसका इस्तेामल किया जाने लगा. हालांकि निकाय चुनाव में बाद में इसमें बदलाव किया गया लेकिन 2019-20 के बाद होने वाले निकाय चुनाव में भी EVM का इस्तेमाल किया जाने लगा. लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव के बीच में EVM में तकनीकी बदलाव भी देखने को मिला. साल 2014 के लोकसभा चुनाव में 8 संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों में मतदातासत्यापित पेपर यानी की VVPAT प्रणाली का इस्तेमाल किया गया. भारत निर्वाचन आयोग के द्वारा साल 1989 में इलेक्ट्रॉनिक्स कॉपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड के सहयोग से देश में EVM बनाने की शुरुआत हुई. जिसका डिजाइन IIT बॉम्बे के द्वारा तैयार किया गया था.

आइए अब जान लेते हैं यह कार्य करता कैसे हैं

EVM मशीन दो अलग अलग भागों में बंटा होता है. एक तरफ नियंत्रण इकाई होता है तो वहीं, दूसरी तरफ मतदान इकाई होती है. इन दोनों के बीच में एक पांच मीटर की वायर होती है जोकि पीठासीन पदाधिकारी या मतदान अधिकारी के पास रहता है. मतदाता के मतपत्र जारी करने के बाद नियंत्रण इकाईके पास बैठा अधिकारी मतदान बटन को दबाता है जिसके बाद मतदान इकाई पर आप अपने पसंद के उम्मीदवार के नाम और चुनाव चिन्ह के सामने अंकित नीले बटन को दबाकर मतदान करते हैं. आपको बता दें कि EVM में नियंत्रक के रूप में सिलिकन से बने ऑपरेटिंग प्रोग्राम का इस्तेमाल किया जाता है. इसमें एक बार नियंत्रक का इस्तेमाल हो जाने के बाद निर्माता के साथ ही कोई भी इसमें बदलाव नहीं कर सकता है. आपको बता दें कि EVM के अधिकतम 3840 मतों को रिकॉर्ड किया जा सकता है और इस EVM में अधिकतम 64 उम्मीदवारों के नाम अंकित किए जा सकते हैं. एक EVM मशीन में 16 उम्मीदवारों के नाम शामिल किये जा सकते हैं. और इसी तरह के 4 इकाइयों को एक साथ जोड़ा जा सकता है. यानी की EVM के माध्यम से 64 उम्मीदवारों के साथ मतदान हो सकता है. अगर इससे अधिक लोग चुनाव में उम्मीदवार बनते हैं तो मतबॉक्स का इस्तेमाल किया जाएगा.

मतगणना से पहले चुनाव अधिकारी EVM को कैरी करने वाले केस पर लगी कागज की मुहर और भीरत मौजूद EVM पर लगी मुहर की जांच करता है. इस दौरान अधिकारी इस बात से सुनिश्चित हो जाता है कि EVM में किसी तरह का कोई छेड़छाड़ नहीं किया गया है तो वह वोटों की गिनती कर सकता है. मतगणना के दौरान कंट्रोल यूनिट के रिजल्ट बटन से वोट की गणना की जाती है. इसके बाद VVPAT के परिणाम से कंट्रोल यूनिट के आंकड़ों को मिलाया जाता है. इसलिए मिलाया जाता है क्योंकि कई बार इसमें उम्मीदवारों की तरफ से EVM पर आरोप लगाया गया था. जिसके वाद कोर्ट ने कंट्रोल यूनिट और VVPAT के इस्तेमाल की बात कही है. मतगणना की शुरुआत एक बार में 14 अलग अलग टेबल पर होती है. मतगणना की जैसे ही शुरुआत होती है EVM ऑन करने के साथ ही मतगणना कर्मी रिजल्ट का बटन दवाते हैं और उम्मीदवारों के नाम के साथ वोट अंकित हो जाता है. आपको बता दें कि एक राउंड में 14 EVM में मौजूद वोटों की गिनती होती है. एक राउंड समाप्त होने के बाद फॉर्म नंबर 17-C में आंकड़ों को दर्ज किया जाता है. उसके बाद उम्मीदवार के एजेंट से वहां पर दस्तखत करने को कहा जाता है. इसके बाद फॉर्म नंबर 17-C को रिटनर्निंग ऑफिसर को सौंप दिया जाता है. इसके बाद रिटर्निंग अफसर हर राउंड में मतों की मगणना दर्ज करता जाता है और इस नतीजे को हर राउंड में ब्लैक बोर्ड पर लिखता जाता है और लाउडस्पीकर के माध्यम से उसकी घोषणा भी करता है. बता दें कि हर राउंड के परिणाम सामने आने के बाद प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी को इसकी सूचना दी जाती है. और यह चुनाव समाप्त होने तक चलता रहता है. जब वोटो की गिनती हो रही होती है उस समय सरकारी कर्मचारियों वहां मौजूद होते हैं उम्मीदवारों के एजेंटों के बीच तारों की बाड़ लगी होती है ताकि एजेंट EVM छेड़छाड़ न कर सकें. और इस तरह से पूरे क्षेत्र की गिनती हो जाने के बाद ज्यादा मत पाने वाले उम्मीदवार को जिलाधिकारी के द्वारा विजेता घोषित कर दिया जाता है और उन्हें उसी समय एक सर्टिफिकेट भी दिया जाता है.

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