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गया में देश का सबसे बड़ा रबर डैम बनकर तैयार, मुख्यमंत्री नितीश कुमार आज करेंगे उद्घाटन

Bihari News

गया जिसे हम सभी मोक्ष की भूमि के नाम से जानते हैं. इस मोक्ष भूमि पर देश का सबसे बड़ा रबर डैम बनकर तैयार हो गया हैं. बता दे कि गया में बने इस रबर  डैम का उदघाटन आज बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार करने वाले हैं. इसके साथ ही सीएम नीतीश पितृपक्ष मेला महासंगम 2022 का भी उद्घाटन करेंगे. इस दौरान कार्यक्रम में डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव भी शामिल होंगे. इस उद्घाटन समारोह के सारे इंतजाम पितृपक्ष यानी की 9 सितम्बर से ठीक एक दिन पहले 8 सितम्बर को पूरे कर लिए गए हैं. इस उदघाटन समारोह में जल संसाधन विभाग के तमाम अधिकारी भी मौके पर जुटे हैं. बता दें कि इस रबर डैम का नाम नितीश कुमार के द्वारा गया जी डैम रखा गया हैं. 411 मीटर लंबा और 3 मीटर ऊंचा इस डैम का निर्माण विष्णुपद मंदिर के पास बनाया गया हैं. इस डैम को बनाने में कूल 312 करोड़ की लागत लगी हैं.

आपकी जानकारी के लिए बता दे कि फल्गु नदी में सिर्फ बारिश के मौसम में ही सतह पर पानी होता है. बाकी दिनों में पानी सतह के नीचे होती हैं. ऐसी मान्यता है कि गया में बहने वाली फल्गु नदी को माता सीता ने श्राप दिया था. पूर्वजों के मान्यताओं के अनुसार ऐसा माना जाता हैं कि पिंडदान के बाद तर्पण के लिए इसी नदी का जल जरूरी होता है. लेकिन इस नदी में पानी सिर्फ बारिश के मौसम में आने से सिर्फ पर्यटकों को ही नही बल्कि स्थानीय लोगों को भी असुविधा होती थी.लोगों की इसी असुबिधा को देखते हुए सरकार के द्वारा फल्गु नदी पर रबर डैम का निर्माण कराया गया है. इस डैम के बन जाने की वजह से अब नदी में सालभर सतह पर पानी रहेगा और पिंडदान करने आए लोगों को किसी प्रकार का समस्या का सामना नही करना होगा. चलिए अब हम आपको बताते है कि आखिर ये रबर  डैम होता क्या हैं? इससे पहले हम ये जान लेते है कि आखिर फल्गु नदी पर रबर  डैम बनाने की क्यों जरुरत पड़ी? बता दे कि जल संसाधन विभाग के कार्यपालक अभियंता अजय सिंह का कहना है कि फल्गु नदी में आम बरसाती नदियों की अपेक्षा एक दिन में ही पानी सूख जाता है. जबकि अन्य नदियों में लंबे समय तक पानी का ठहराव होता है. लेकिन इस नदी के भीतर सीपेज तेजी से और अधिक होता है. वैसे डैम जो पारंपरिक होते हैं उनके बिथर पानी रोकने की तकनीक नही होती, लेकिन रबर डैम ये तकनीक होती हैं और इस तकनीक को ख़ास दुरी तक इस्तेमाल किया जा सकता हैं. चूंकि विष्णुपद के निकट केवल धार्मिक महत्व के मद्देनजर पानी चाहिए था, इसलिए यहां रबर डैम का निर्माण करवाया गया. ताकि लोगों को तर्पण करने में परेशानी न हो.बता दे कि शर्मिक नगर गया में हर वर्ष लाखों हिंदू, बौद्ध और जैन श्रद्धालु आते हैं. इन सभी श्रद्धालुओं में उनकी संख्या अधिक होती है, जो अपने पितरों को मोक्ष दिलाने की कामना के साथ पिंडदान, स्नान और तर्पण के लिए गया की पवित भूमि पर आते हैं। लेकिन विश्व प्रसिद्ध विष्णु मंदिर के निकट मोक्ष दायिनी फल्गु नदी में सतही जल का प्रवाह सिर्फ बारिश के दिनों में ही होता. इसलिए देश विदेश से आये श्रधालुओं को काफी परेशानी होती थी. लेकिन अब इस डैम के निर्माण के बाद फल्गु नदी मरीं साल भर पानी का जमाव होगा. इस डैम का निर्माण मुख्यमंत्री नितीश कुमार के दिश्हा निर्देश पर बनाकर तैयार किया गया हैं. इस डैम का निर्माण साल 2023 तक किया जाना था, लेकिन इसे निर्धारित समय से एक साल पहले ही तैयार कर दिया गया हैं.

आएये, अब हम आपको बताते है कि इस रबर  डैम की क्या खासियत हैं. अभियंता अजय सिंह के द्वारा यह बताया गया है कि इस डैम का पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं है. इस डैम को बनाने के दौरान पूरी रूप रेखा IIT रुड़की के विशेषज्ञों द्वार स्थल निरीक्षण के बाद दिए गए परामर्श को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया था. इस डैम की सहायता से नदी के सतही और उप सतही जल प्रवाह को रोकर पानी को डैम में जमा किया जाएगा. इसके साथ ही इस रबर  डैम का उपयोग डैम के सीपेज को रोकने के लिए किया जायेगा. बता दे कि इस डैम के निर्माण के दौरान फल्गु नदी के भीतर रॉक लेबल तक 1031 मीटर की लंबाई में रबर शीट पाइल किया गया है और 300 मीटर में डायफ्रॉम वाल बनाया गया है. इस तरह से डैम को रेक्टेंगल शेप में बनाकर पूरी तरह तैयार कर दिया गया हैं. वहीं अगर गर्मी के दिनों में डैम में पानी की कमी होती है तो, उसे पूरा करने के लिए 5 बोरवेल किये गयें हैं. इस बोरवेल की खासियत यह है कि यह 15-20 प्रतिशत पानी की कमी को गर्मी के दिनों में भी दूर कर सकता हैं.इस पूल का निर्माण बड़ा सुन्दर और टिकाऊ तरीके से किया गया हैं. आपकी जानकारी के लिए बता दे कि इस रूबर आदिम का निर्माण 6 स्पैन में तैयार किया गया है. स्पैन उसे कहते हैं जो पुल के साइड से दूसरे साइड की दूरी होती है. वहीं इस पुल को पांच पिलर की सहायता से खड़ा किया गया है और साथ ही पुल में स्टील का प्रयोग किया गया है. इस डैम की ऊँचाई तिन मीटर तक राखी गयी हैं. यानी की इस डैम में बरसात के दिनों में तिन मीटर तक पानी को जमा किया जा सकता हैं. वहीं अगर पानी की मात्र इससे अधिक होती है तो , वह पानी डैम के ऊपर से उत्तर दिशा की ओर से निकल जाएगी. साथ ही किसी विशेष परिस्थिति में भी डैम से पानी छोरने की व्यवस्था की गयी हैं. दरअसल रबर  डैम एक बलून के समान होता हैं . क्योंकि जिस तरह विशेष परिस्थिति में बलून से हवा निकला जा सकता है ठीक उसी तरह विशेष परिस्थिति में इस डैम से पानी को निकला जा सकता हैं.

 

 

 

 

 

 

 

 

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