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2 बार भारत को जितवाया वर्ल्ड कप फिर भी नहीं मिला यश, ये है भारत का सबसे अंडररेटेड क्रिकेटर

Bihari News

भारत का वह खिलाड़ी, जिसे कभी नहीं मिली शाबाशी, जिसके थे वो हक़दार ,जिसने भारत को जिताया 2 विश्व कप. जो भारत और हार के बीच अड़ जाता था, आज की कहानी भारत के एक ऐसे क्रिकेटर की, जिसने कभी दबाव को अपने ऊपर नहीं आने दिया और हमेशा टीम को संकट से निकाला. आज की कहानी एक ऐसे जुझारू खिलाड़ी की, जिसने ऐसे मौकों पर अपना सर्वश्रेष्ठ दिया, जब टीम को उसकी सबसे ज्यादा जरुरत थी. आज की कहानी एक दमदार खिलाड़ी गौतम गंभीर की.

गौतम गभीर का जन्म 14 अक्टूबर,1981 को दिल्ली में हुआ था. आपको जानकार हैरानी होगी कि जब गंभीर सिर्फ 18 दिनों का थे तब उनके दादादादी इनको अपने साथ ले आए और तब से गंभीर वहीं रहने लगे. दादा दादी ने गंभीर के खेल का पूरा समर्थन किया लेकिन मामा पवन गुलाटी ने गंभीर को आगे बढ़ाने में सबसे बड़ा योगदान दिया. उन्होंने गंभीर का दाखिला दिल्ली के लाल बहादुर अकैडमी में करवाया.

साल 1999 में गौतम गंभीर का चयन दिल्ली की रणजी टीम में हुआ और फिर आया साल 2002 जब गंभीर ने लगातार 2 दोहरे शतक जड़ दिए. इसके बाद साल 2003 में उनका चयन भारतीय टीम में हुआ. लेकिन वो दौर था जब भारत की वनडे टीम में सचिन, गांगुली और सहवाग के रूप में पहले से बेहतरीन ओपनर मौजूद थे. गंभीर के लिए तब भारत की वनडे टीम में जगह बनाना बहुत मुश्किल था लेकिन गंभीर ने इसे स्वीकार किया और समझा कि सचिन, सहवाग और गांगुली के बीच में मुझे अपना स्थान बनाना है. इसके लिए एक ही सूत्र था, प्रदर्शन करना. लेकिन गंभीर पहले मैच में सिर्फ 11 रन बनाकर आउट हो गए और दूसरे मैच में महज 18 रन पर लेकिन तीसरे मैच में गौतम गंभीर ने 71 रनों की पारी खेल डाली और मैन ऑफ द मैच बने. आपको बता दें उस सीरीज में सचिन नहीं खेल रहे थे, और तब गंभीर को बतौर ओपनर टीम में सेलेक्ट किया गया था. लेकिन गंभीर भारत की वनडे टीम के नियमित सदस्य नहीं बन पाए.

उस वक्त भारत को एक अच्छे टेस्ट ओपनर की जरुरत थी क्योंकि सचिन और गांगुली टेस्ट में मिडिल ऑर्डर में बल्लेबाजी करते थे. उस वक्त एक ओपनर तो थे ही सहवाग लेकिन दूसरे टीम में आ जा रहे थे. गंभीर को साल 2004 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट सीरीज के लिए टीम में चुना गया. ऑस्ट्रेलियाई टीम भारत दौरे पर आई थी और गंभीर को सीरीज के चौथे टेस्ट मैच में डेब्यू करने का मौका मिला लेकिन गंभीर उस टेस्ट मैच की पहली पारी में 3 और दूसरी पारी में सिर्फ 1 रन बनाकर आउट हो गए. लेकिन इसके बाद दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ उन्होंने 96 रनों की पारी खेल डाली. लेकिन इसके बाद गंभीर को भारत की टेस्ट टीम से बाहर कर दिया गया मगर वो वनडे खेलते रहे. गंभीर को 2007 वर्ल्ड कप टीम में जगह नहीं मिली और इससे वो टूट गए. लेकिन इसी साल बांग्लादेश दौरे के लिए गंभीर को टीम में चुन लिया गया.और गंभीर ने उस सीरीज में शतक लगाकर अपने आलोचकों को करारा जवाब दिया.

फिर इसी साल दक्षिण अफ्रीका में टी20 वर्ल्ड कप का पहला सीजन खेला गया, जिसमें भारत ने ट्रॉफी पर कब्जा किया. गंभीर ने भारत की सफलता में अहम योगदान दिया. वो टूर्नामेंट के लीडिंग स्कोरर रहे. उन्होंने पूरे टूर्नामेंट में 37.73 की औसत से 227 रन बनाए, जिसमें 3 अर्धशतक शामिल था. गंभीर ने पाकिस्तान के खिलाफ उस यादगार फाइनल में 54 गेंदों पर 75 रनों की पारी खेली थी और भारत को पहला टी20 वर्ल्ड कप दिलवाया था.

गंभीर टेस्ट क्रिकेट में भारत के सफलतम ओपनर साबित हुए. सहवाग के साथ उन्होंने 11 शतकीय और 25 अर्धशतकीय साझेदारी की. न्यूजीलैंड के खिलाफ नेपिअर में गंभीर द्वारा खेली गई उस पारी को क्या कोई भूल सकता है, जिसमें उन्होंने 5 सत्रों तक बल्लेबाजी करते हुए भारत को हार से बचाया था. गंभीर ने उस दिन 137 रनों की पारी खेली थी और 400 से अधिक गेंदों का सामना किया था. उस मुकाबले के बाद सहवाग ने गंभीर को द्रविड़ के बाद भारत का दूसरा दीवार कहा था. धोनी की अनुपस्थिति में गंभीर ने 6 वनडे मैचों में भारत की कप्तानी भी की और सभी में टीम ने जीत हासिल की.

2011 वर्ल्ड कप फाइनल में श्रीलंका ने भारत को 275 रनों का लक्ष्य दिया था और सचिन सहवाग दोनों जल्दी ही आउट हो गए, तब गंभीर ने पहले विराट कोहली और उसके बाद महेंद्र सिंह धोनी के साथ मिलकर महत्वपूर्ण साझेदारी की. गंभीर उस मैच में 97 रनों पर आउट हो गए लेकिन भारत को जीत के करीब ला दिया. धोनी ने नाबाद 91 रनों की पारी खेली और छक्का लगाकर भारत को विश्व चैंपियन बना दिया. गौतम गंभीर को इतने बेहतरीन और जुझारू पारी खेलने के बावजूद वो श्रेय नहीं मिला, सारा लाइमलाइट धोनी को मिला. और शायद इसका मलाल गौतम गंभीर को हमेशा रहेगा. एक बार एक इंटरव्यू में गंभीर ने वर्ल्ड कप 2011 फाइनल में शतक पूरा नहीं कर पाने को लेकर कहा कि उन्हें 97 रनों तक शतक की चिंता नहीं थी, वो तो बस श्रीलंका द्वारा दिए गए लक्ष्य को देख रहे थे. उन्होंने आगे ये भी कहा कि ओवर खत्म होने के बाद धोनी ने उनसे कहा कि आप 3 रन लेकर अपना शतक पूरा कर लीजिये. और तब गंभीर अपना विकेट गंवा बैठे. गंभीर ने कहा कि अगर धोनी ने उस वक्त शतक का याद नहीं दिलाया होता तो वो आउट नहीं होते.

गौतम गंभीर का विवादों से भी खास रिश्ता रहा फिर चाहे वो पाकिस्तान और ऑस्ट्रेलिया के खिलाड़ियों को गाली देने का मामला हो या फिर धोनी के फैसलों पर सवाल उठाने का. गंभीर को जो ठीक लगा उन्होंने वही किया. गंभीर हमेशा से ऐसे खिलाड़ी रहे जो दबाव नहीं लेना चाहते थे. और शायद इसी वजह से गंभीर का करियर भी दाव पर आ गया. इसी बीच गंभीर को आईपीएल टीम कोलकाता नाइट राइडर्स का कप्तान बनाया गया और उन्होंने अपनी कप्तानी में केकेआर को 2 बार आईपीएल खिताब जिताया.

गौतम गंभीर एक ऐसे खिलाड़ी थे, जो हमेशा लड़कर नए अवतार में वापसी करते हुए नजर आते थे लेकिन साल 2016 में जब वो टीम से बाहर हुए तो फिर किसी अवतार में वापसी करने में कामयाब नहीं हो पाए. और आख़िरकार जब उन्हें लगा कि अब भारतीय जर्सी उनके नसीब में नहीं है तो 4 दिसंबर, 2018 को उन्होंने क्रिकेट को अलविदा कह दिया. गौतम गंभीर ने भारत के लिए 58 टेस्ट मैचों की 104 पारियों में 41.96 की औसत से 4154 रन बनाए वहीं 147 वनडे की 143 पारियों में 5238 रन बनाए. टेस्ट में उनके नाम 9 शतक, 1 दोहरा शतक और 22 अर्धशतक दर्ज हैं जबकि वनडे क्रिकेट में उन्होंने 11 शतक और 34 अर्धशतक लगाए हैं. वहीं 37 टी20आई मैचों किओ 36 पारियों में गंभीर ने 7 अर्धशतकों के साथ 932 रन बनाए.

गौतम गंभीर एक ऐसे खिलाड़ी, जिसने 2 बार भारत को वर्ल्ड कप जितवाया, जो हर बार भारत और हार के बीच खड़े हो जाते थे लेकिन फिर भी उन्हें उतना लाइमलाइट नहीं मिला, जिसके वो हक़दार थे. वो भारत के सबसे अंडररेटेड खिलाड़ी ही रहे. दोस्तों आपको गौतम गंभीर कैसे खिलाड़ी लगते हैं और क्या आपको भी वो भारत के सबसे अंडररेटेड खिलाड़ी लगते हैं ? कमेंट में हमें बताएं.

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