देश में पुरानी ट्रेनों की जगह अब हाइड्रोजन ट्रेनों को शुरू किया जा रहा है जो की पूरी तरह से स्वदेशी होगा. इस चीज के लिए सरकार के मास्टर प्लान की शुरुआत हो चुकी है. सरकार यात्रियों की सुविधा के लिए रेलवे की तरफ वन्दे मेट्रो ट्रेन का निर्माण करने जा रही. ये वन्दे मेट्रो ट्रेने 1950 और 60 के दशक में डिजाइन की गयी ट्रेनों की जगह लेगी. रेल एवं संचार मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इसकी जानकारी दी और साथ में उन्होंने कहा की पहली और स्वदेशी रूप से डिजाइन की गयी हाइड्रोजन ट्रेन वर्ष 2023 के अंतिम महीने दिसम्बर तक आएगी. रेल व संचार मंत्री अश्विनी वैष्णव ने संवाददाताओं को जानकारी दी की वन्दे मातरम ट्रेन के डिजाइन को तैयार किया जा रहा और वर्ष 2023 के मई या जून महीने तक इसका डिजाइन बन कर तैयार हो जायेगा. उन्होंने इसकी तुलना विश्वस्तरीय तौर पर की और इसे एक बड़ी उपलब्धि बताया. साथ ही साथ मिली जानकारी के अनुसार इसके निर्माण की संख्या इतनी ज्यादा होगी की सभी 90 के दशक वाले ट्रेनों को बदला जा सकेगा.

केन्द्रीय मंत्री ने कहा की इस सुविधा को निम्न या गरीब वर्ग के लोगो को ध्यान में रख कर दिया जा रहा. आगे उन्होंने बताया की उच्च या आमिर वर्ग के लोगों को कई तरह की सुविधा मिल जाती पर है. पर जो गरीब वर्ग के लोग हैं कहीं ना कहीं वहीँ पीछे रह जाते हैं. ऐसे में प्रधान मंत्री मोदी का अधिकत्तर ध्यान वैसे कमजोर वर्ग के लोगों पर केन्द्रित है जो खर्च करने में सक्षम नहीं हैं.

रेल व संचार मंत्री अश्विनी वैष्णव ने यह भी बताया की सरकार रेलवे का निजीकरण नहीं करने जा रही. रेलवे के निजीकरण वाली बात से इनकार करते हुए उन्होंने कहा की रेलवे एक रणनीतिक क्षेत्र है और इसे सरकार के पास ही रखा जायेगा. उन्होंने आगे प्रधानमंत्री की इच्छा को बताते हुए कहा की प्रधानमन्त्री चाहते हैं की रेलवे भारत के हर लोगो के जीवन में एक बड़ा परिवर्तनकारी बदलाव लाये. आगे उन्होंने कहा की भारतीय अभियंता हाइड्रोजन ट्रेन को वन्दे भारत की ही तरह डिजाइन कर रहे. शुरू होने वाली यह डिजाइन की प्रक्रिया मई या जून महीने तक हो जाएगी. इसके साथ ही देश की पहली हाइड्रोजन ट्रेन वर्ष 2023 दिसम्बर तक शुरू कर दी जाएगी. यदि भारत में इसकी शुरुआत हो जाती है तो इंधन की बचत होगी. बिजली और इंधन बचाने के उद्देश्य से ही भारत हाइड्रोजन से चलने वाली ट्रेनों पर मुख्य रूप से ध्यान दे रहा. आने वाले कुछ ही समय में इंधन पर निर्भरता को कम करने के लिए सरकार प्रयासरत है. वहीँ प्रदुषण से जूझ रहे भारत के लिए हाइड्रोजन ट्रेन एक गेम चेंजेर की तरह साबित होगा. यदि हम रेल इंधन के रूप में हरे हाइड्रोजन का इस्तेमाल करते हैं तो शून्य कार्बन उत्सर्जन के लक्ष्यों का समर्थन करने के साथ ही दुसरे लाभों को भी पा सकेंगे. आपको बता दें की ट्रेन परिचालन के दौरान निकलने वाले हीट का इस्तेमाल बिजली के रूप में किया जायेगा जिससे ट्रेन में एयर कंडीशनिंग और ट्रेन के हीटिंग की जरूरते पूरी की जा सकेंगी. इस हाइड्रोजन ट्रेन की अधिकत्तम रफ़्तार 140 किलोमीटर प्रति घंटा होगी. आपको बता दें की हाइड्रोजन से चलने वाली दुनिया की पहली ट्रेन को जर्मनी के लोअर सैक्सोनी में लांच किया गया था. वहां के मंत्री स्टीफेन वेइल ने इस परियोजना को एक रोल मॉडल के रूप में बताया था.

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