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समुन्द्र के अन्दर से हम तक कैसे पहुंचता है इन्टरनेट ?

Bihari News

क्या होगा जब कुछ समय के लिए इन्टरनेट की सेवा बंद हो जाए. आज के समय में इन्टरनेट हमारे लिए इतनी ज्यादा जरुरी हो गयी है कि अगर ये कुछ समय के लिए भी जाता है तो हम अपने किसी भी काम को नही कर पाते. सोचिये, अगर इन्टरनेट सेवा बंद हो जाये तो क्या होगा. बैंक के सभी काम ठप पड़ जायेंगे. बैंकों के बाहर लोगों की लम्बी कताड़े लग जाएँगी और सभी कामों को मैन्युअल किया जायेगा. ऑफिस में काम करने वाले लोग किसी भी जरुरी फाइल को एक दुसरे के साथ शेयर नहीं कर पाएंगे. लोग किसी भी सोशल मीडिया का इस्तमाल नहीं कर पाएंगे. आज के समय में पूरी दुनिया इन्टरनेट के माध्यम से एकदुसरे से जुड़ी हुई है. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि बिना तारों के इन्टरनेट आखिर हम तक पहुँचता कैसे हैं?आपको बता दे कि सभी तक इन्टरनेट पहुँचाने के लिए समुन्द्र और महासागर में कई किलोमीटर लम्बी केबल बिछाई गयी हैं. जी हाँ, आपने बिलकुल सही सुना , हम सभी को इन्टरनेट समुन्द्र के रास्ते भेजी जाती है न कि हवा या सड़क के रास्ते. इन्टरनेट छोटेछोटे कोड का समूह है जो समुन्द्र में बिछाई गयी केबल से हम तक पहुँच पाता हैं. अब आपके मन में यह सवाल उठ रहा होगा कि आखिर समुन्द्र के अन्दर इन्टरनेट के केबल को किस तरह लगाया जाता है. क्या वे केबल पानी के अन्दर खराब नहीं होते और न जाने कितने और सवाल होंगे. आपको यह जानकार हैरानी होगी कि पूरी दुनिया में 8 लाख किलोमीटर केबल को दुनिया भर में समुन्द्र के अन्दर बिछाए गए हैं. समुन्द्र के अन्दर बिछाने के लिए इस केबल को ख़ास तरह की मशीने का उपयोग किया जाता है जिसे मरीन शिप कहते है. जानकारी के लिए बता दे कि समुन्द्र के अन्दर बिछाया जाना वाला केवल ख़ास तरह का केबल होता है जिसकी चौड़ाई 17 मिलीमीटर होती है और उसके अन्दर बहोत साड़ी परते होती हैं. इन्हीं परतों में सबसे पहली परत फाइबर ऑप्टिक होती है जिससे इन्टरनेट हम तक पहुँचता हैं. सुरक्षा के लिए केबल के ऊपर कई तरह की परतें लगाई जाती है ताकि वो समुन्द्र में भी सुरक्षित रह सके.बता दे कि आज के समय में अगर कोई केबल क्षतिग्रस्त होता है तो उसे रोबोट के द्वारा ठीक किया जाता है. यह एक ख़ास तरह के रोबोट होते हैं जो बड़ी आसानी से पता लगा सकते हैं कि केबल कहाँ टुटा हैं और फिर रोबोट उसे फिक्स भी कर देते हैं. आज के समय में जितने भी वायर को समुन्द्र की गहराई में बिछाए जाते है उन सभी में हाई प्रेशर वाटर जेट की तकनीक का प्रयोग किया जाता है. इसके इस्तेमाल से सभी वायर जमीन के अन्दर गड़े होते है जिस वजह से किसी भी प्रकार का समुंदरी जीव वायर को किसी प्रकार का हानि नहीं पहुंचा पाता. आपकी जानकारी के लिए बता दे कि आज के समय में जितने भी वायर केबल को बिछाने वाली कंपनियां होती है वो एक दिन में लगभग 200 किलोमीटर वायर को समुन्द्र के अन्दर बिछा देती है . यही कारण है कि आज के समय में समुन्द्र के अन्दर केबलों का जाल बन चूका हैं.

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