बिहार महागठबंधन में उठापटक की स्थिति पिछले कुछ दिनों से बनी हुई है. आपको बता दें कि बिहार महागठबंधन में 7 पार्टियां एक साथ है. हालांकि पिछले कई महिनों से इन पार्टियों के बीच में संबंध ठीक नहीं चल रहा है. हालांकि कांग्रेस और वाम दल लगातार एक कॉर्डिनेशन की बात कह रही है. जिससे की सभी पार्टियों के बीच में संतुलन बना रह सके. हालांकि कांग्रेस और वाम दल एक कमिटि को लेकर लगातार बात चल रही है. बिहार में बना महागठबंधन का एक मात्र एजेंडा है कि वह किसी भी तरह से विपक्षी एकता को बनाए रखे. और नीतीश कुमार पीएम का उम्मीदवार बनने में मदद करें. लेकिन ऐसा होता दिख नहीं रहा है. बता दें कि इन सात पार्टियों में सामंजस्य नहीं बन पा रहा है. कांग्रेस अलग राग अलाप रही है तो वहीं वाम पार्टियां अलग अपना राग अलाप रही है. ऐसे में नीतीश कुमार के पीएम उम्मीदवार बनने पर संसय की स्थिति उत्पन्न हो गई है.
हालांकि इस पूरे मसले पर वाम पार्टी का बयान सामने आ रहा है जिसमें यह बताया जा रहा है कि अब महागठबंधन में एक कॉर्डिनेटिंग कमिटि बनाने की जरूरत है. अगर यह कमेटी नहीं बनती है कि महागठबंधन के साथियों के साथ समय के साथ बैठक होना सबसे ज्यादा जरूरी है. आपको बता दें कि माले महागठबंधन सरकार में बाहर से समर्थन दी है. ऐसे में माले ने कई बार सरकार के खिलाफ मुखर होकर अपनी बात रखी है. चाहे यह मसला शराबबंदी का हो या फिर किसानों और छात्रों पर होने वाले लाठी चार्ज को लेकर. माले सामाजिक सरोकार के मुद्दे पर सरकार को आइना दिखाती रही है.
इस मसले पर कांग्रेस के प्रवक्ता असित नाथ तिवारी बताते हैं कि कॉर्निनेशन कमेटी नहीं बनने से सरकार में शामिल गठबंधन के सभी साथियों के बीच में एक मंच नहीं बन पा रहा है जिससे की सरकार के स्तर पर एक सहमति बन सके. कांग्रेस प्रवक्ता बताते हैं कि इसको लेकर बातचीत चल रही है. कहा जा रहा है कि होली के बाद इसको मूर्त रूप दिया जा सकेगा.