बिहार में जारी सियासी घमासान के बीच में इन दिनों रामचरितमानस को लेकर खुब चर्चा हो रहा है. बिहार में भले ही जदयू बीजेपी और राजद के बीच में घमासान मचा हुआ है. लेकिन बिहार में एक चैप्टर हमेशा खुला हुआहै और मुझे लगता है कि आने वाले लंबे समय तक यह चैप्टर खुला ही रहने वाला है. बता दें कि रामचरितमानस पर खूब बवाल मचा हुआ है. बिहार के शिक्षा मंत्री से लेकर उत्तर प्रदेश में भी यह विवाद के घेरे में हैं साथ ही संघ प्रमुख मोहन भागवत भी इस पूरे मामले पर अपनी प्रतिक्रिया दे चुके हैं इन सब के अलावा देश का साधु संत समाज भी रामचरित मानस को लेकर अपना अपना पक्ष रख चुका है. ऐसे में किसके राम सत्य हैं वह अभी तक डिफाइन नहीं हो पाएगा. लेकिन यह रामचरितमानस का विवाद लंबे समय तक रहने वाला है.
आइए अब रामचरितमानस के बहाने बिहार में होने वाली सियासत पर एक नजर डाल लेते हैं. इन दिनों बिहार में बजट सत्र चल रहा है. इस सत्र के दौरान बिहार के शिक्षामंत्री पर रामचरितमानस को लेकर एक तरफ जहां बीजेपी हमलावर है तो वहीं दूसरी तरफ जदयू भी हमलावर हो गई है. आपको बता दें कि बिहार में जब यह विवाद शुरू हुआ था उस समय भी जदयू ने राजद का विरोध किया था अब जब यह विवाद देश के लगभग राज्यों में हो रहा है तब भी जदयू राजद पर हमलावर हैं. बिहार में भले ही बजट सत्र चल रहा है लेकिन रामचरित मानस पर विवाद सबसे ज्यादा हो रहा है.पिछले दिनों तो शिक्षा मंत्री विधानसभा में रामचरितमानस की कॉपी लेकर पहुंच गए थे. हालांकि बाद में इस पूरे प्रकरण पर जदयू की जो प्रतिक्रिया आई है वह विचारनिय है जदयू ने प्रो. चंद्रशेखर को नसीहत देते हुए कहा है कि आपको आरएसएस मे शामिल हो जाना चाहिए था.
इस पूरे मामले पर जदयू के विधायक डॉ. संजीव ने शिक्षा मंत्री पर हमलाकरते हुए कहा कि अब शिक्षा मंत्री से इस्तीफा देकर आरएसएस में शामिल हो जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि उन पर संघ प्रमुख मोहन भागवत का असर कुछ ज्यादा ही दिख रहा है. इसीलिए वह बार–बार संघ प्रमुख के नाम का हवाला देकर अपनी बात को सच साबित करने पर तुले हुए हैं तो इससे बेहतर और क्या हो सकता है कि वह संघ में ही शामिल हो जाए. इसी सदन में जदयू के विधायक नीरज कुमार ने कहा कि गांधी, अंबेडकर, जेपी, लोहिया की राह पर चलने की बात कहने वाले लोग अब RSS की विचार धारा की बात कहने लगे हैं और मोहन भागवत की बात कह उनके समर्थन का हवाला दे रहे हैं ये तो अजीव विडंबना है. उन्होंने यह भी कहा गया है कि बाबा साहब के बनाए संविधान की राह पर चले.
जदयू और राजद के बीच में जिस तरह के विवाद के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं जदयू और राजद के बीच में इन दिनों सुधाकर सिंह का मामला है. उसके बाद बिहार में केंद्रीय जांच एजेंसियों का मामला है जिसमें राजद जदयू पर दवाब बना रही है और अब रामचरित मानस का मामला है जिसमें जदयू मुखर होकर राजद के खिलाफ है और बीजेपी के साथ सुर मिला रही है. ऐसे में राजनीतिक जानकार यह बता रहे हैं बिहार की सियासत में आने वाले दिनों में कई बड़े बदलाव देखने को मिल सकते हैं. खैर वह बदलाव किस तरह से होगा यह तो कहना मुश्किल है लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले एक बड़ा बदलाव बनता दिख रहा है.