पिछले दिनों राहुल गांधी को मोदी सरनेम को लेकर सजा सुनाई गई थी. जिसके बाद पूरे देश में कांग्रेस समर्थकों ने विरोध किया था. अब यह विरोध दिल्ली से लेकर बिहार तक पहुंच गया है. राहुल गांधी को मिली सजा को लेकर कांग्रेस ने विरोध में विजय चौक तक पैदल मार्च की है. तो वहीं बिहार में भी कांग्रेस के विधायकों ने राहुल गांधी के समर्थन में प्रदर्शन किया. बता दें कि बिहार में इन दिनों बिहार विधानसभा का बजट सत्र चल रहा है. ऐसे में कार्यवाही के दौरान राजद और कांग्रेस के विधायकों ने विधानसभा में जमकर नारेबाजी की और मोदी सरकार का विरोध किया. हालांकि इस दौरान जो बात सबसे अहम रही वह यह कि इस पूरे प्रकरण पर जदयू ने दूरी बनाई.

इस पूरे मामले पर बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने खुलकर राहुल गांधी का समर्थन किया. हालांकि नीतीश कुमार ने राहुल गांधी के मामले पर कुछ भी नहीं बोला है. ऐसे में अब जदयू के साथ नहीं आने पर राजनीतिक गलियारों में चर्चा तेज हो गई है. जिस समय बिहार विधानसभा में राजद और कांग्रेस के विधायक हंगामा कर रहे थे उस समय बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी वहां मौजूद थे. इस दौरान बिहार में सत्ता पक्ष के विधायकों ने सरकार पर जमकर हमला बोला है. उन्होने कहा कि विरोधियों की आवाज का गला घोंटा जा रहा है. अदालतों पर भी राजनीतिक पार्टियां का कब्जा हो गया है.

इधर तेजस्वी यादव ने खुलकर राहुल गांधी का समर्थन किया है और उन्होंने ट्विट करते हुए लिखा है कि चक्रव्यूह रच विपक्षी नेताओं पर ED, IT, CBI से दबिश करवाओं, फिर ना बात ना बने तो घिनौने ष्डयंत्र के अंतर्गत विभिन्न शहरों में आधारहीन मुकदमें करवाओ ताकि हैंडलाइन मैनेजमेंट में कोई कोर कसर ना रह जाए. यह सविधान, लोकतंत्र, राजनीति और देश के लिए अतिगंभीर चिंता का विषय है. आपको बता दें कि तेजस्वी यादव को भी 25 मार्च को दिल्ली में CBI कोर्ट में पेश होना है. ऐसे में यह कहा जा रहा है. बिहार में विपक्ष मोदी सरकार पर हमलावर है.

जदयू शामिल नहीं होने पर बोलते हुए चिराग पासवान ने कहा है कि नीतीश कुमार खुद ही विपक्षी एकता की मुहीम को फेल करने में लगे हुए हैं. उनकी तरफ से जो विपक्षी एकता की बात कही जा रही थी वह झूठ साबित हो रही है. उन्हें किसी पर भरोसा नहीं होता है. मीडिया की तरफ से जब यह पूछा गया कि क्या नीतीश कुमार बीजेपी से हाथ मिला सकते हैं इस सवाल के जवाब में उन्होने कहा कि मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता है कि कौन कहा जा रहा है कौन कहा नहीं जा रहा है लेकिन यह जरूर बतलाता है तो नीतीश कुमार जिस विपक्षी एकता की बात पर जो रहे थे वह विपक्षी एकता की मूहीम अब पूरी तरह से फेल हो गई है. उन्हें अब यह पता चल गया है कि 2024 के चुनाव में नीतीश कुमार कभी भी मोदी को टक्कर नहीं दे सकते हैं.

हालांकि इस पूरे प्रकरण पर जब जदयू का बयान सामने आएगा तब ही यह स्पष्ट हो पाएगा कि जदयू विपक्षी एकता के साथ खड़ा क्यों नहीं हुआ. राहुल गांधी से जदयू को क्या परेशानी है. ऐसे में राजनीतिक जानकार यह मानते हैं कि नीतीश कुमार जिस तरह से विपक्षी एकता को एक साथ लाना चाहते थे उसमें शायद कांग्रेस साथ नहीं दे रही थी जिसका नतीजा है कि आज कांग्रेस के साथ जदयू खड़ा नहीं दिख रही है. हालांकि जदयू की तरफ से बयान सामने आने के बाद सब स्पष्ट्र हो जाएगा कि आगे कि रणनीति किस तरह की होगी.

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