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वह खिलाड़ी जो प्लेइंग इलेवन का हिस्सा नहीं था फिर भी बना मैन ऑफ द मैच

Bihari News

एक कहावत है न कि जिसका संघर्ष जितना बड़ा होता है उसकी सफलता उससे भी बड़ी होती है. चक दे क्रिकेट के आज के सेगमेंट चक दे क्लिक्स में हम बात करेंगे एक ऐसे खिलाड़ी के बारे में जिन्होंने अपनी मेहनत के दम पर क्रिकेट इतिहास में एक नई गाथा लिख दी. उस खिलाड़ी को 90 के दशक में सुपर मैन कहा जाता था. जिन्होंने भी 90 के दशक में क्रिकेट को देखा है उन्हें इस सुपर मैन के बारे में जरूर पता होगा. इस खिलाड़ी के बारे में यह कहा जाता है कि यह उड़कर गेंद को पकड़ता था. अब तक आप भी समझ ही गए होंगे हम बात कर रहे हैं दक्षिण अफ्रिका के तेज तर्रार फिल्डरों में सुमार जोंटी रोड्स के बारे मेंउन्हें लोग उस समय सुपर मैन के नाम से बुलाते थे और खासकर उनकी फिल्डिंग देखने के लिए लोग अपना टीवी सेट जरूर खोलते थे. यह खिलाड़ी भले ही दक्षिण अफ्रिका का था लेकिन भारतीयों के दिलों में भी राज करता था. अगर यह खिलाड़ी आज के जमाने में क्रिकेट खेल रहा होता तो लगभग हर मैच में इस खिलाड़ी का प्रदर्शन सोशल मीडिया में वायरल हुआ होता. सबसे ज्यादा इंटरनेट पर वायरल होने वाले खिलाड़ियों की लिस्ट में भी शामिल हो गया होता. खैर अपनी खेल के बदौलत यह खिलाडी आज भी लोगों के दिलों पर राज करता है.

जोंटी रोड्स का जन्म 27 जुलाई1969 को साउथ अफ्रीका के पीटरमैरिट्सबर्ग में हुआ था. इनका पूरा नाम जोनाथन नील रोड्स है. जोंटी को बचपन से ही खेल का माहौल मिला था. क्योंकि पिता रग्बी के खिलाड़ी थे और मां टेनिस की खिलाड़ी थी ऐसे में जोंटी बचपन से ही मानसिक और शारीरिक रूप से खेल के प्रति समर्पित हो चुके थे. उम्र बढ़ने के साथ ही जोंटी को क्रिकेट में मन लगने लगा था फिर उन्होंने क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया. इस दौरान जोंटी जहांजहां क्रिकेट खेलने जाते थे वहां अपने थ्रो के साथ ही विकेट के बीच में दौड़ लगाने के लिए वे जाने जाते थे. इस दौरान उन्हें लोगों से खूब प्यार मिला.

अब वह समय आ गया था जब जोंटी रोड्स को अपने देश की तरफ से फर्स्ट क्लास क्रिकेट खेलने का मौका मिलने वाला था. क्योंकि वे अपनी फिल्डिंग के बदौलत देश में नाम कमा रहे थे. इसी दौरान घरेलू क्रिकेट में जोंटी रोड्स बैकवर्ड प्वाइंट पर फील्डिंग करते हुए खुब नाम कमाया था. हालांकि जोंटी रोड्स को अभी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में अपना जलवा दिखाना था और वह मौका मिला उन्हें साल 1992 के विश्वकप में उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ अपना डेब्यू किया. हालांकि वे अपने डेब्यू मैच में भी काफी सुर्खियों में रहे. उनका प्रदर्शन शानदार था. जिसके कारण आगे के मैच के लिए उन्हें टीम में जगह मिल गई. लेकिन उनके सामने और चयनकर्ताओं के सामने समस्या यह थी कि कोई खिलाड़ी सिर्फ फिल्डिंग के दम पर कितने दिनों तक टीम के साथ रह सकता है. ऐसे में जोंटी को टीम में खिलाने को लेकर विवाद शुरू हो गया. कई तरह के सवाल पुछे जाने लगे. हालांकि इसी विश्वकप के दौरान जोंटी ने तमाम सवालों का जवाब दिया और उन सभी लोगों का मुंह बंद करवा दिया जोयह कह रहे थे कि सिर्फ फिल्डिंग के बदौलत कोई कितने दिनों तक टीम का हिस्सा रह सकता है. 1992 के विश्वकप में ही दुनिया ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहली बार जोंटी रोड्स की फिल्डिंग को देखा. उस मैच में ऑस्ट्रेलिया ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 170 रन का स्कोर खड़ा किया इस मैच में जोंटी रोड्स की फिल्डिंग का कोई जोड़ नहीं था. इस मैच में उन्होंने जिस तरह से क्रेग एमसी डर्मोट को जिस तरह से रन आउट किया था उसके बाद से दक्षिण अफ्रिका में उनके नाम की चर्चा होने लगी थी. यह मैच अफ्रिका 9 विकेट से जीता था.

आज जिस तरह से खिलाड़ी छोटे फॉर्मेंट में बल्लेबाजी कर अपना नाम कमाना चाहते हैं यह खिलाड़ी उससे उलट सोंचता था इस खिलाड़ी की दिली इच्छा थी वह टेस्ट मैच खेले इसीलिए तो विश्व कप में पदार्पन के बाद भी वह खुश नहीं था लेकिन जोंटी की यह इच्छा भी साल 1992 के नवंबर महीने में पूरा हो गया और भारत के खिलाफ उन्हें टेस्ट मैच खेलने का भी मौका मिल गया. अपने टेस्ट क्रिकेट के सफर में जोंटी रोड्स ने कुल 52 टेस्ट मैच खेले जिसमें उन्होंने 35 की औसत से कुल 2532 रन बनाए इस दौरान उन्होंने कुल 3 शतक और 17 अर्धशतक अपने नाम दर्ज किया. 1992 के ही ब्रिस्बेन में खेले गए मैच में उन्होंने पाकिस्तान के इंजमामउलहक को रन आउट किया था, इस रन आउट के बारे में यह बताया जाता है कि इन्होंने ट्रेडमार्क ग्रैविटी के खिलाफ उड़ते हुए कैच को लपका था. इस दौरान लोग यह भी पुछने लगे थे कि क्या जोंटी रोड्स के शरीर में हड्डियां है या नहीं है. क्योंकि जिस तरह से वे हवा में उड़कर कैच को लपकते थे वह किसी भी आम इंसान के लिए इतना आसान नहीं था.

आप में से बहुत कम लोगों को पता होगा कि जोंटी रोड्स ने हॉकी में दक्षिण अफ्रिका का प्रतिनिधित्व किया है वे साल 1992 में बार्सिलोना में खेले जाने वाले ओलंपिक खेलों में टीम के सदस्य थे. हालांकि उस समय हॉकी की टीम ओलंपिक में जाने के लिए क्वालिफाई नहीं कर पाई. फिर बाद में 1996 में ओलंपिक में खेलने के लिए उन्हें बुलाया गया था लेकिन हैमस्ट्रिंग की चोट के कारण उन्होंने जाने से मना कर दिया.

22 May 1999: Jonty Rhodes of South Africa takes a spectacular catch to dismiss Robert Croft of England in the Cricket World Cup Group A match played at The Oval in London, England. South Africa won the game by 122 runs. Mandatory Credit: Graham Chadwick /Allsport

ओलंपिक में आगे नहीं खेल पाने के कारण जोंटी ने अपने आप को क्रिकेट में ही आगे बढ़ाया और वे बैंकवर्ड प्वाइंट पर एक मजबूत दीवार की तरफ अपने आप को फिट किया. साल 1999 का विश्वकप और इंग्लैंड के खिलाफ खेलते हुए जोंटी रोड्स ने रॉबर्ट क्रॉफ्ट का नामुमकिन सा कैच पकड़ा था जिसकी तस्वीर आज भी लोग इंटरनेट पर सर्च कर बार बार देखते हैं. इस कैच के बारे में यह कहा जाता है कि जोंटी ने इस कैच को गुरत्वाकर्षण के सभी नियमों को झुठला दिया था. जोंटी के इस कैच की खुब तारीफ हुई. अब स्थिति यह हो गई थी कि जोंटी नाम का खौफ विश्व क्रिकेट में हावी होने लगा था. अगर गेंद जोंटी के क्षेत्र में गई है तो बल्लेबाज दौड़कर रन लेने की भी हिम्मत नहीं करता था अगर उस क्षेत्र में गेंद हवा में गई है तो वह कैच आउट होने की संभावना सबसे ज्यादा बनती थी. उनकी फिल्डिंग की ताऱीफ करते हुए आज भी उनके प्रशंसक इंजमाम उल हक के रन आउट का जिक्र करते हैं. उस समय जोंटी रोड्स बैकवर्ड प्वाइंट पर फिल्डिंग कर रहे थे और इंजमान ने शॉट खेला और बॉल जोंटी के पास पहुंच गई. दूसरे एंड पर इमरान खड़े थे. इमरान ने जैसे ही देखा बॉल जोंटी के पास है उन्होंने रन लेने से मना कर दिया अब इंजमान को फिर से लौटकर सीमा रेखा के अंदर आना था तब तक जोंटी ने उनकी तीनों विकटों को उ़ड़ कर गिरा दिया था. और इस तरह से इंजमान अपना विकेट खोकर पवेलियन चले गए. जोंटी की इस फिल्डिंग की तारीफ पूरे विश्व में हुई थी. और वे फिल्डरों के लिए एक आदर्श माने जाने लगे थे.

जोंटी ऐसे खिलाड़ी है जो टीम का हिस्सा नहीं थे उसके बाद भी उन्हें मैन ऑफ द मैच का खिताब दिया गया था. ऐसे में आपके दिमाग में यह विचार आ रहा होगा कि आखिर ऐसा हुआ कैसे तो चलिए आपको बताते हैं उस घटना के बारे में वह दिन था 14 नवंबर 1993 दक्षिण अफ्रिका और वेस्टइंडीज के बीच में मुकाबला चल रहा था. उस मैच में जोंटी को टीम में शामिल नहीं किया गया था. लेकिन जब दक्षिण अफ्रिका की टीम मैदान में फिल्डिंग करने के लिए उतरी तो डैरेन कुलीनन चोटिल हो गये और उन्हें मैदान से बाहर जाना पड़ा. डैरेन की जगह जोंटी को फील्डिंग करने के लिए मैदान पर उतारा गया. इस मैच में जोंटी ने पूरे मैच में 7 कैच लपक लिया. और टीम को जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाई. इसी जीत के लिए उन्हें मैन ऑफ द मैच के खिताव से नवाजा गया. इतना ही नहीं जोंटी ने उस कैच को लपकने के साथ ही दुनिया में सबसे ज्यादा कैच पकड़ने वाले खिलाड़ी बन गए. इतना ही नहीं रोड्स के नाम बेस्ट रन आउट ऑफ ऑल टाइम का खिताब भी उन्हें दिया गया था.

जोंटी रोड्स के नाम एक और रिकॉर्ड दर्ज हैं एक मैच में पांच कैच लपकने वाले जोंटी रोड्स एकलौते खिलाड़ी है. साल 1998 में टेक्स्को ट्रॉफी में उन्होंने शानदार प्रदर्शन यानी की शानदार फील्डिंग के लिए उन्हें मैन ऑफ द सीरीज का खिताब दिया गया था. वनडे मैचों में बेहतरीन करने के लिए साल 2000 में उन्होंने टेस्ट मैच से संन्यास की घोषणा कर दी. जोंटी रोड्स के अगर हम एकदिवसीय मैचों की बात करें तो उन्होंने 245 मैच खले जिसमें उन्होंने 35 की औसत से 5 हजार 935 रन बनाएं हैं जिसमें 2 शतक और 33 अर्धशतक शामिल हैं. उन्होंने फर्स्ट क्लास क्रिकटे में 164 मैच खेले हैं जिसमें उन्होंने 9 हजार 5 46 रन बनाए हैं, जिसमें 22 शतक और 52 फिप्टी शामिल है. फिर आया साल 2003 जब दक्षिण अफ्रिका में वन डे का विश्वकप होना था. इस विश्व कप में केन्या के खिलाफ खेलते हुए जोंटी रोड्स का हाथ टूट गया. हाथ टूटने के साथ ही अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट का सफर भी उनका रुक गया. और इसी साल उन्होंने क्रिकेट के सभी प्रारुपों से सन्यास की घोषणा कर दी.

जोंटी ने भले ही क्रिकेट के सभी फॉर्मेंट से संन्यास की घोषणा की हो लेकिन वे अभी भी लोगों के दिलों में राज करते हैं. भारत में अगर हम फिल्डिंग की बात करेंगे तो मोहम्मद कैफ और युवराज को कैसे भूल सकते हैं. साथ ही रॉबिन सिंह जिन्होंने भारत में फिल्डिंग को एक अलग मुकाम दिया है. ऐसे में जोंटी रोड्ट अफ्रिका के ही नहीं पूरी दुनिया के खिलाड़ियों के लिए आज भी प्रेरणा के श्रोत हैं.

जोंटी रोड्स इन दिनों भारत में होने वाले आईपीएल में पंजाव किंग्स टीम का हिस्सा हैं. उन्हें पंजाब की टीम का बल्लेबाजी कोच बनाया गया है. इससे पहले वे मुंबई इंडियन की तरफ से फील्डिंग कोच भी रह चुके हैं. जोंटी रोड्स को भारत से बहुत प्यार है तभी तो उन्होंने अपनी बेटी का नाम इंडिया रखा है. आपको बता दें कि उनकी बेटी का जन्म मुंबई में हुआ है.

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