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बिहार का एक ऐसा जिला जहाँ मणि की तलाश में पहुंचे थे भगवान कृष्ण

Bihari News

आज हम बात करेंगे बिहार के 38 जिलों में से एक कटिहार जिले के बारे में. इस जिले का प्रशासनिक मुख्यालय कटिहार शहर में हीं स्थित है. बता दें की यह जिला पूर्णिया डिवीज़न के हिस्से में आता है. पूर्णिया जिले से विभाजित होकर वर्ष 1973 में इस जिले की स्थापना हुई थी.

  • चौहद्दी और क्षेत्रफल

कटिहार जिले के उत्तरी और पश्चिम की दिशा में पूर्णिया, उत्तर पूर्व व दक्षिण पूर्व में पश्चिम बंगाल के जिले उत्तरी दिनाजपुर और मालदा जिले हैं. वहीँ दक्षिण में झारखण्ड राज्य का जिला साहेबगंज और दक्षिण तथा पश्चिम की दिशा में भागलपुर जिला है. बता दें की यह जिला 3,056 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है. यहाँ की जनसँख्या 30,71,029 है. वहीँ यहाँ के साक्षरता दर की बात करें तो यहाँ की कुल साक्षरता दर 52.24% है. यहाँ 3 अनुमंडल, 16 प्रखंड, 3 शहरी निकाय और 1547 गाँव मौजूद हैं.

इतिहास

चलिए अब हम बात करते हैं इस जिले के इतिहास के बारे में. धार्मिक ग्रन्थों के अनुसार इस जिले का इतिहास द्वापर युग जितना पुराना है. दरअसल प्रचलित मान्यताओं के अनुसार यहाँ पर भगवान श्री कृष्ण आये थे. ऐसा कहा जाता है की कटिहार के मनिहारी में जो की अब कटिहार जिले का धार्मिक स्थल है वहां उन्होंने मणि को खो दिया था. कटिहार कभी पूर्णिया जिले का भी हिस्सा हुआ करता था. आगे चल कर यह जिला वर्ष 1813 ईस्वी के समय मालदा जिले के साथ गठित कर दिया गया. 13वीं सदी के समय इस जिले पर मुसलमान शासकों ने शासन किया. मोहम्मद अली खान जो की पूर्णिया के गवर्नर थे उन्होंने कटिहार जिले को साल 1770 में अंग्रेजों के हाथों सौंप दिया. फिर कलकत्ता राजस्व बोर्ड के अधीन बिहार और बनारस राजस्व बोर्ड में साल 1872 में इस जिले को स्थानांतरित कर दिया गया था. कटिहार पर अंग और मगध के राजाओं ने भी महाजनपद के शासन काल में शासन किया. राजा बिराट जो की मोरंग के राजा थे उन्होंने ने भी अपने समय में इस क्षेत्र का दौरा किया था. अप्रत्यक्ष रूप से यह क्षेत्र मुग़ल शासन के भी अधीन रहा. जब तक बंगाल का विभाजन बिहार से नहीं हुआ था तब तक यह क्षेत्र बंगाल के अधीन था. जब बाद में बंगाल को तीन हिस्सों यानी बंगाल, बिहार और उड़ीसा में बांटा गया तब यह क्षेत्र बिहार के हिस्से में आ गया. स्वतंत्रता संग्राम के समय बिहार के इस जिले ने बढ़चढ़ कर भाग भी लिया. 2 अक्टूबर साल 1973 में यह जिला अपने अस्तित्व में आया. कुछ लोगों के अनुसार इस जिले का नाम कटिहार इसी जिले में मौजूद दिघी कटिहार नाम के एक छोटे गाँव से मिला.

प्रतिष्ठित व्यक्ति

चलिए अब जानते हैं इस जिले के प्रतिष्ठित व्यक्ति के बारे में. दरअसल इस जिले के किसी भी प्रतिष्ठित व्यक्ति की जानकारी हमें इन्टरनेट पर देखने को नहीं मिली है. लेकिन यदि आप इस जिले के किसी भी प्रतिष्ठित व्यक्ति को जानते हैं तो उनके बारे में हमें हमारे कमेंट बॉक्स में लिख कर जरुर बताये.

कैसे पहुंचे

तो चलिए अब हम जानते हैं इस जिले में यातायात के साधन के बारे में. बता दें की इस जिले के यातायात के साधनों में हम सड़क, रेल और हवाई मार्ग की चर्चा करेंगे.

  • सड़क मार्ग

तो इस जिले के यातायात साधनों में हम सबसे पहले जानेंगे सड़क मार्ग के बारे में. इस जिले का सड़क मार्ग बिहार के कई प्रमुख सड़क मार्गों से जुड़ा हुआ है. जिसके माध्यम से आप कटिहार जिले से बिहार के कई प्रमुख जगहों पर सड़क मार्ग के जरिये आसानी से जा सकते हैं. यदि आप राजधानी पटना से कटिहार सड़क मार्ग के जरिये आना चाहते हैं तो वाया NH 31 के जरिये आ सकते हैं. इसकी दूरी 303 किलोमीटर तक में है. जिसे तय करने में लगभग 7 घंटे तक का समय लग सकता है. यदि इस रूट की चर्चा विस्तार से करें तो बता दें की आप पटना से भागलपुरपटना रोड होते हुए NH 31 तक आ सकते हैं. फिर NH 31 के जरिये बख्तियारपुर, बाढ़ जिला, बेगुसराय, खगड़िया, महेशखूंट, नौगछिया होते हुए कटिहार पहुँच सकते हैं.

तो आइये अब हम बात करते हैं वाया NH322 और NH31 के बारे में. इसकी दूरी 306 किलोमीटर तक में है, जिसे तय करने में लगभग 8 घंटे तक का समय लग सकता है. यदि इस रूट को विस्तार से देखें तो महात्मा गाँधी सेतु पुल होते हुए NH22 के जरिये हाजीपुर पहुचेंगे. फिर यहाँ से शःदुल्लापुर होते हुए NH322 के जरिये जन्दाहा फिर थोड़ी हीं दूरी पर स्टेट हाईवे 88 के जरिये नवादा पहुचेंगे. फिर यहाँ से NH 122 के जरिये बेगुसराय फिर यहाँ से खगड़िया, महेशखूंट, नौगछिया होते हुए कटिहार पहुँच जायेंगे.

चलिए अब हम जानते वाया NH27 के बारे में. इसकी दूरी 391 किलोमीटर तक में है.जिसे तय करने में लगभग 8 घंटे और कुछ मिनट तक का समय लग सकता है. यदि विस्तार से इस रूट की बात करें तो पटना से हाजीपुर फिर यहाँ से NH22 के जरिये मुजफ्फरपुर. और यहाँ आने के बाद NH27 के जरिये सकरी ईस्ट होते हुए फुलपरास, सिमराही बाज़ार, नरपतगंज, अररिया, पूर्णिया होते हुए कटिहार पहुँच जायेंगे.

जानकारी के लिए बता दें की यदि आप कटिहार सड़क मार्ग के जरिये जा रहें हैं और रास्ते में आपको BR 39 नंबर के वाहन दिखने लगे तो समझ जाइये की आप कटिहार जिले में प्रवेश कर चुके हैं.

  • रेल मार्ग

आइये अब यातायात के साधन में हम जानते हैं रेल मार्ग के बारे में. बता दें की कटिहार का रेलवे जंक्शन भारत के कई प्रमुख शहरों से रेलवे नेटवर्क के जरिये जुड़ा हुआ है. कटिहार जंक्शन का स्टेशन कोड KIR है. यदि आप राजधानी पटना से रेल मार्ग के जरिये कटिहार आना चाहे तो आपको कई ट्रेने पटना जंक्शन और थोड़ी हीं दूरी पर स्थित पाटलिपुत्रा जंक्शन से मिल जाएगी. यदि पटना जंक्शन से बात करें तो इनमे सिक्किम महानंदा एक्सप्रेस जो देर रात 12:50 मिनट पर पटना जंक्शन से खुलती है और कटिहार सुबह के समय 9:25 मिनट पर पहुंचा देगी. वहीँ दोपहर के समय 2:15 मिनट पर कटिहार इंटरसिटी एक्सप्रेस भी है जो रात के समय 9:25 मिनट पर कटिहार पहुंचा देगी. इसके अलावे आपको पटना से कटिहार जाने के लिए कई साप्ताहिक ट्रेने भी मिल जाएँगी.

  • हवाई मार्ग

चलिए अब जानते हैं इस जिला के हवाई मार्ग के साधन के बारे में. बता दें की इस जिले का अपना कोई हवाई मार्ग नहीं है. यदि इसके नजदीकी हवाई मार्ग की बात करें तो पश्चिम बंगाल में स्थित बागडोगरा हवाई अड्डा है. जिसकी दूरी लगभग 185 किलोमीटर तक में है. इसके अलावे आप देश के कई प्रमुख शहरों से राजधानी पटना के हवाई अड्डे पर भी आ सकते हैं. फिर पटना से सड़क या रेल मार्ग के जरिये कटिहार आ सकते हैं. सड़क और रेल मार्ग के जरिये कटिहार कैसे आना है इसकी चर्चा हम पहले भी कर चुके हैं.

पर्यटन स्थल

तो आइये अब हम जानते हैं इस जिले के पर्यटन स्थलों के बारे में.

यदि पर्यटन स्थल की बात करें तो सबसे पहले बात करेंगे कष्टहरणनाथ मंदिर के बारे में. यह कटिहार जिले के बरारी प्रखंड में स्थित एक भगवती मंदिर है. जो की लोगों के आस्था का केंद्र बना रहता है. दूरदूर से लोग इस मंदिर के दर्शन के लिए पहुँचते हैं.

तो चलिए अब हम बात करते हैं इस जिले के कुर्सेला गाँधी घर के बारे में. कटिहार का यह पर्यटन स्थल गाँधी सर्किट से भी जुड़ा हुआ है. दरअसल वर्ष 1934 में आए भूकंप में महात्मा गाँधी यहाँ के पीड़ितों को देखने आये थे. ऐतिहासिक दृष्टिकोण से कई पर्यटक इसे देखने पहुँचते हैं.

अब दूसरे पर्यटन स्थलों की सूचि में हम बात करते हैं सार्वजनिक दुर्गा मंदिर के बारे में. यह मंदिर कटिहार शहर के दुर्गा स्थान चौक पर स्थित है. मंदिर में आपको संगमरमर से निर्मित माँ दुर्गा की भव्य प्रतिमा देखने को मिलेगी. एक धार्मिक स्थल के रूप में यह जगह आस्था का केंद्र बना रहता है.

आइये अब हम जानते हैं कटिहार के राप्ती नदी के किनारे स्थित भैसला गाँव में मौजूद गौरीशंकर मंदिर के बारे में. ऐसा कहा जाता है की इस मंदिर में मनचाही कामना भगवान शिव और माँ गौरी पूरी करते हैं. प्रचलित कथाओं के अनुसार यहाँ जंगलों के बीच काफी समय पहले भगवान शिव और पार्वती धरती चीर कर बाहर आये थे. तभी से लोगों द्वारा यहाँ पूजा शुरू कर दी गयी. एक जमींदार ने वर्ष 1850 में यहाँ मौजूद शिवलिंग को मंदिर में स्थापित करने का प्रयास भी किया था. लेकिन वे कर नहीं पाए. तो यहीं पर मंदिर की स्थापना करवा दी.

अब हम बात करते हैं कटिहार जिले के बाबाधाम के बारे में. यह मंदिर कटिहार जिले के गोरखपुर गाँव में स्थित है. प्राचीन काल में इस मंदिर को विशेष आकार के ईट, चूना और सुर्खी से बनाया गया था. इस मंदिर को देख कर उस समय के कारीगरी का अनूठा मिसाल देखेने को मिलता है. पर्यटकों के बीच यह मंदिर आकर्षण का केंद्र बना रहता है.

आइये अब हम बात करेंगे इस जिले के मनिहारी प्रखंड में स्थित गोगाबिल झील के बारे में. यह नदी एक तरफ गंगा नदी तो दूसरी तरफ महानंदा नदी से घिरा हुआ है. यहाँ कई प्रवासी पक्षियों का जमावड़ा आपको देखने को मिल जायेगा. प्रकृति के प्रेमी यहाँ के अनोखे प्राकृतिक दृश्य का लुत्फ़ उठा सकते हैं.

आइये अब हम जानते हैं इस जिले के बरारी प्रखंड में स्थित सिखों के 9वें गुरु तेग बहादुर के ऐतिहासिक गुरुद्वारे के बारे में. यह गुरुद्वारा बरारी प्रखंड के लक्ष्मीपुर गाँव में स्थित है. धार्मिक पर्यटन स्थल के रूप में यह जगह भी लोगों के बीच आकर्षण का केंद्र बना रहता है.

इसके अलावे सत्संग मंदिर और पीर मजार मनिहारी जैसे धार्मिक स्थल भी मौजूद हैं. जो धार्मिक स्थल के रूप में काफी प्रसिद्ध है.

कृषि और अर्थव्यवस्था

आइये अब हम जानते हैं इस जिले के कृषि और अर्थव्यवस्था के बारे में. इस जिले के जीविका के प्रमुख स्रोतों में कृषि और कुछ छोटेमोटे उद्योग शामिल हैं. यहाँ दो जुट मिल भी मौजूद हैं. जो कुछ समय से बंद परे हैं. लेकिन इसके अलावे चावल उद्योग यहाँ के समृद्ध व्यवसाय में शामिल है. नकदी फसलों में किसान केला, जुट और मक्के की खेती भी करते हैं. इसके अलावे यहाँ आपको मखाने की खेती भी देखने को मिल जाएगी. कपास और साड़ी के बाज़ार भी इस क्षेत्र में अच्छेखासे देखने को मिल जायेंगे जो बांग्लादेश और नेपाल के सीमावर्ती इलाकों तक भी भेजे जाति हैं. यहाँ फर्मास्यूटिकल का कारोबार भी अच्छे मात्रा में देखने को मिलता है. ये सभी छोटेमोटे कारोबार, कृषि और व्यवसाय कटिहार के अर्थव्यवस्था में अपनी अहम भूमिका अदा करते है.

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