बिहार में शराब बंदी कानून को सख्ती से लागू कराने को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लगातार प्रशासन पर दवाब बना रहे हैं ताकि प्रदेश में शराब बंदी कानून को बेहतर तरीके से लागू किया जा सके. ऐसे में अब बिहार सरकार ने एक नई स्कीम की शुरुआत की है जिसके तहत शराब बेचने का काम करने वाले लोगों को यह काम छोड़ कर दूसरे कार्य को करने के लिए सरकार उन्हें एक लाख रूपये देगी. साथ ही साथ सरकार की तरफ सेयह भी कहा गया है कि शराब और ताड़ी बेचने वालों को इस स्कीम के तहत लाभ मिलने वाला है. आपको बता दें कि बिहार सरकार प्रदेश में शराब बंद होने के बाद से लगातार ताड़ी और शराब बेचने वालों को नीरा बेचने की बात कह रही है ऐसे में अब सरकार की तरफ से जारी नई स्कीम के तहत यह बताया जा रहा है कि ताड़ी की जगह अगर वे नीरा बेचते हैं तो बिहार सरकार उन्हें एक लाख रुपये देगी.

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पिछले दिनों नशा मुक्ति दिवस पर अपनी बात को रखते हुए कहा है कि बिहार में शराबबंदी है इसके बाद भी शराब के मामले में कई लोग पकड़ाए हैं. और पकड़ा रहे हैं. उन्होंने इस दौरान यह भी कहा है कि पकड़ाने वाले अधिकतर पीने वाले हैं या बेचने वाला है. लेकिन असली लोग पकड़ा नहीं रहा है. कुछ ही लोग पकड़ा रहा है. इसके बाद उन्होंने कहा दिया कि मैंने पुलिस और उत्पाद विभाग को बोल दिया है कि असली धंधेबाज को पकड़िए और उन्हें जेल भेजिए. इस दौरान बोलते हुए उन्होंने कहा कि असली धंधेबाज कहा निकलता है. वह तो दूसरे को बाहर भेजकर शराब बेचवाता है. इसमें गरीब लोगों को पकड़ने की जरूरत नहीं है. इसके लिए हम नई योजना बना रहे हैं जो थोड़ा बहुत शराब बेचते हैं, ताड़ी बेचते हैं, उनके लिए सरकार नई स्कीम ला रही है. इस दौरान बोलते हुए उन्होंने यह भी कहा है कि जो लोग शराब बेचना या भी ताड़ी बेचना बंद कर देंगे उन्हें राज्य सरकार मदद करेगी. रोजगार करने के लिए एक लाख रुपये देगी, ताकि वे खुद का एक नया रोजगार शुरू कर सके.

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इस नई स्कीम को लेकर यह भी बताया जा रहा है कि इस स्कीम के तहत ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में शराब एवं ताड़ी के उत्पादन एवं बिक्री में प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से जुड़े अत्यंत गरीब परिवार एवं अनुसूचित जाती, जनजाति एवं अन्य सामुदायों में लक्षित अत्यंत निर्धन परिवारों को सतत् जिविकोपार्जन योजना से जोड़ने के बाद सामाजिक एवं आर्थिक सशक्तितकरण को बल प्रदान किया जा सकेगा. इस हेतु ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में स्वयं सहायता समूहों तथा उनके संगठनों की सहायता ली जायेगी. जीविका ग्रामीण विकास विभाग द्वारा इस संबंध में विस्तृत कार्य योजना बनाकर कार्य किया जायेगा.

आपको बता दें कि शराब बंदी कानून लागू होने के बाद इस रोजगार में जुड़े कई लोग बेरोजगार हो गए या फिर वे इसी कार्य में लगे रहे. तब बिहार सरकार ने उन्हें इस काम को छोड़कर दूसरे कार्य को करने के लिए 60 हजार रुपये देने की बात कही थी लेकिन अब बिहार ने इसमें 40 हजार रुपये का इजाफा किया है. ऐसे में अब इस योजना के तहत इस तरह के परिवारों को 60 हजार से आगे बढा कर 1 लाख रुपये कर दिया गया है.

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