बिहार महागठबंधन द्वारा लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर तैयारी शुरू की जा चुकी है. 25 फरवरी को पूर्णिया के मैदान में महागठबंधन की यह रैली आयोजित होने वाली है. महागठबंधन के इस रैली में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, डीपटी सीएम तेजस्वी यादव के साथ–साथ कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह, पूर्व सीएम जीतन राम मांझी व अन्य नेता भी मौजूद रहेंगे. बता दें की इस रैली में विडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से RJD सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव भी मौजूद रहेंगे. पहली बार 2024 चुनाव के लिए सभी दल के नेता एक हीं मंच पर महागठबंधन में विभिन्न मुद्दों पर चल रहे घमासान के बावजूद भी एक जुट होने वाले हैं. जब एक हीं मंच पर सभी दलों के नेता इस रैली में जुटेंगे तो सब की नज़रे इन्ही पर टिकी रहेंगी.
अभी तक ऐसा देख जा रहा है की सभी दल के नेता अपनी यात्रा अलग–अलग हीं निकल रहें. चाहे वो मुख्यमंत्री की समाधान यात्रा हो, कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा या फिर जीतन राम मांझी की गरीब संपर्क यात्रा. लेकिन महागठबंधन की यह पहली रैली होगी जहाँ लोकसभा चुनाव से पहले सभी पार्टियों के नेता एक साथ नज़र आयेंगे. रैली के लिए जोरो–शोरो से तैयारी भी शुरू की जा चुकी है. लोगों के बीच इस बात की चर्चा चल रही है की गठबंधन का पूर्णिया में रैली करने के पीछे कुछ खास मकसद है. मालूम हो की पूर्णिया के इसी मैदान में केन्द्रीय गृह मंत्री अमित साह ने नीतीश के एनडीए छोड़कर महागठबंधन के साथ जाने के बाद रैली की थी. उन्होंने इस रैली के दौरान सीमांचल पर निशाना साधा था. ज्ञात हो की सीमांचल के क्षेत्र में मुस्लिम आबादी अधिक है. सीमांचल के क्षेत्र में पूर्णिया के साथ–साथ किशनगंज, अररिया और कटिहार जिला भी आता है. शायद इसलिए सभी पार्टियों की निगाहें चाहे वो RJD हो, जदयू हो, कांग्रेस हो या बीजेपी इस क्षेत्र में टिकी हुई है.
इस तरह की जानकारी भी सामने आ रही है की RJD सुप्रीमो लालू यादव के भाषण की तैयारी भी 25 फरवरी को होने वाले इस महागठबंधन रैली में की जा रही है. चुकी लालू यादव अभी हाल में हीं सिंगापूर से भारत को लौटे हैं और बेहतर स्वास्थ के ख्याल से दिल्ली में हीं स्वास्थ लाभ ले रहे. इसलिए वो इस रैली में शारीरिक रूप से मौजूद नहीं होकर वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के जरिये हीं मौजूद रहेंगे. तेजस्वी यादव ने भी बीते दिनों यह साफ़ कर दिया है की अभी लालू यादव को बिहार लाने का कोई प्लान नहीं है. हालाँकि उनके तरफ से इस बात को भी साफ़ नहीं किया गया है की वे कब तक बिहार को वापसी कर सकते हैं. मगर पूर्णिया में होने वाले वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के लिए राजद के कार्यकर्त्ता जोरो–शोरो से तैयारी में जुट गये हैं और राजद कार्यकर्त्ता में इसे लेकर काफी उत्साह का माहौल भी बना हुआ है.
चलिए अब अपने आगे के इस चर्चा में हम जानते हैं की आखिर सीमांचल का क्षेत्र आने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर सभी पार्टियों के बीच क्यों खास है. गौरतलब है की राजनीती के दृष्टि से बिहार का सीमांचल क्षेत्र कई मायनों में महत्त्वपूर्ण है. सीमांचल क्षेत्र से बांग्लादेश का बॉर्डर काफी नजदीक होने के साथ–साथ यह नेपाल सीमा से भी जुड़ा हुआ है. इसके अलावे इसकी सीमा झारखण्ड और पश्चिम बंगाल को भी छूती है. पहले भी हमने चर्चा करी की यहाँ मुस्लिम आबादी अधिक है. वहीँ एक ज़माने में RJD का दबदबा भी इस क्षेत्र में देखने को मिलता था. बता दें की यहाँ लोकसभा की चार सीटें हैं. पिछले चुनाव में कांग्रेस के पक्ष में किशनगंज का एक सीट गया था. वहीँ लोकसभा की तीन सीटें NDA के हिस्सें में आई थी. इन तीन सीटों में NDA के सहयोगी जदयू ने पूर्णिया और कटिहार में अपनी जीत दर्ज की थी. वहीँ बीजेपी को सिर्फ एक सीट अररिया में मिली थी. लेकिन अब महागठबंधन के साथ जदयू शामिल हो गयी है. ऐसे में सीमांचल के चारों सीटों को जितना बीजेपी के लिए एक बड़ी चनौती होगी. 2024 लोकसभा चुनाव को लेकर चार महीने पहले हीं तैयारी बीजेपी द्वारा शुरू कर दी गयी है.
कांग्रेस और RJD के बीच कैबिनेट विस्तार के मुद्दे को लेकर खींचतान भी जारी है. जिसमे कांग्रेस द्वारा दो नए मंत्री को बनाने की मांग चल रही है. लेकिन नीतीश कुमार द्वारा इस मामले का फैसला तेजस्वी यादव पर छोर दिया गया है. लेकिन कैबिनेट विस्तार की बात को लेकर तेजस्वी यादव तैयार नहीं हो रहें. वहीँ दूसरी ओर सीएम नीतीश कुमार के खिलाफ उपेन्द्र कुशवाहा जदयू में मोर्चा खोले हुए हैं और एक तरफ जदयू नेताओं में भी आक्रोश का माहौल देखा जा रहा क्योंकि अभी तक RJD विधायक और पूर्व कृषि मंत्री सुधाकर सिंह पर सख्त कार्यवाई नहीं की गयी. साथ हीं साथ शराबबंदी वाले मामले को लेकर HAM के मुखिया जीतनराम मांझी भी नीतीश कुमार को घेरे हुए दिखाई दिये.
ज्ञात हो की महागठबंधन में कुल सात दल हैं. जिनमे जदयू, RJD, कांग्रेस, HAM, सीपीआई, सीपीएम और CPIML शामिल हैं. ये सभी राजनितिक पार्टियाँ आपस में मिल कर चुनाव लड़ने के तैयारी में है. यदि ऐसा होता है तो इन सभी पार्टियों के बीच सीटों के बटवारे को लेकर माथापच्ची देखने को भी मिल सकता है. किशनगंज लोकसभा सीट अभी कांग्रेस के पास है लेकिन फिर भी जीतनराममांझी पहले से हीं इस सीट पर HAM के प्रत्याशी को उतरने का दावा कर चुके हैं. वहीँ दूसरी तरफ पूर्णिया और कटिहार के इन दो सीटों को लेकर RJD और कांग्रेस के बीच खींचतान देखने को मिल रही है जबकि यह सीट पहले से हीं जदयू के सांसद के पास मौजूद है. राजनिति के इस माहौल को देखते हुए महागठबंधन के इस बंटवारे का फार्मूला लगाना तो अभी के लिए थोड़ा मुश्किल होगा. सीट के बंटवारे को लेकर ये महागठबंधन में मौजूद पार्टियां क्या फोर्मुला अपनाती है इस बात का पता तो चुनाव के समय हीं चलेगा.