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नौकरशाह जो बाद में बने बिहार के राजनेता

Bihari News

बिहार की सियासत में कई ऐसे अधिकारी हैं जो बाद के समय में राजनीति को अपना आधार बनाया. बिहार के राजनीतिक इतिहास में कई ऐसे अधिकारी हैं जो अधिकारी की तरह सरकारी तंत्र का हिस्सा तो रहे लेकिन बाद के समय में वे राजनीति में आकर देश के तंत्र को चलाने लगे. इस लिस्ट में यशवंत सिन्हा से लेकर गुप्तेश्वर पांडे तक का नाम लिया जा सकता है. ये अपने राजनीतिक जीवन में भी एक दमदार नेता के रूप में रहे हैं. आइए एक नजर डालते हैं बिहार के उन अधिकारियों के बारे में जिन्होंने अफसर की नौकरी के बाद राजनीति में अपने किस्मत को आजमाया है.

इस लिस्ट में पहला नाम है यशवंत सिन्हा काःयशवंत सिन्हा पहले केंद्रीय वित्त और विदेश मंत्री रह चुके हैं. आपको बता दें कि यशवंत सिन्हा साल 1967 में पहली बार राजनीति में सक्रिय हुए हैं. इससे पहले वे अविभाजित बिहार के संथाल परगना के डिप्टी कमिश्नर थे. इनके अधिकारी रहने के दिनों की एक घटना का जिक्र होता है जिसमें यह बताया जाता है कि यशवंत सिन्हा को उन समय के मुख्यमंत्री महामाया प्रसाद सिन्हा ने सार्वजनिक स्थल पर अपमानित किया था. इसके बाद यशवंत सिन्हा गुस्से में आ गए और उन्होंने कहा कि आप कभी IAS अधिकारी नहीं बन सकते, लेकिन मैं मंत्री बन सकता हूं. इसके बाद यशवंत सिन्हा को ट्रांसफर कर दिया गया था. बाद में यशवंत सिन्हा जयप्रकाश से मिलना चाह रहे हैं और जेपी आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाना चाह रहे ते लेकिन ऐसा नहीं हो सका. फिर सिन्हा ने साल 1984 में अपनी नौकरी छोड़ दी और जेपी के साथ हो लिए. बता दें कि 1990 में चंद्रशेखर की सरकार में उन्हें वित्त मंत्री बनाया गया. इसके बाद बीजेपी सरकार के कई मंत्रालयों की जिम्मेदारी संभाली. हालांकि बाद में बीजेपी से मुखर हो कर बोलने लगे और बीजेपी के विरोध में ही उन्होंने राष्ट्रपति का चुनाव भी लड़ा जिसमें उन्हें हार का सामना करना पड़ा.

RCP सिंह

आरसीपी सिंह जदयू के साथ अपने राजनीतिक कैरियर की शुरुआत की थी. बता दें कि आरसीपी सिंह बिहार के नालंदा जिले के रहने वाले हैं. ये उत्तर प्रदेश के कई जिलों में उच्च पदों पर रहे हैं. आरसीपी सिंह नीतीश कुमार के सजातिय हैं. बाद के समय में आरसीपी सिंह को बिहार का प्रमुख सचिव बनाया गया था. जब नीतीश कुमार से आरसीपी सिंह के संबंध बेहतर हुए तो उन्हें जदयू का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया था. और उन्हें साल 2010 में उन्हें राज्यसभा भेजा गया था. उन्हें जदयू ने दो बार राज्यसभा भेजा था. तीसरे टर्म के समय में वे मंत्री थे लेकिन पार्टी ने उन्हें राज्यसभा नहीं भेजा जिसके बाद उन्होंने पार्टी से बाहर जाने का फैसला कर लिया और इस समय वे किसी भी पार्टी में शामिल नहीं हैं.

मीरा कुमार

बिहारी की बेटी मीरा कुमार देश की राजनीति में लंबे समय तक चर्चा में रही है. बता दें कि साल 2009 से 2014 तक लोकसभा की स्पीकर रही है. इस दौरान वह देश की पहली महिला स्पीकर बनी थी. बता दें कि मीरा कुमार साल 1973 में भारतीय विदेशसेवा की नौकारी में आयीं. मीरा कुमार राजनीति में पहली बार बिजनौर उपचुनाव में आई थी. उसके बाद रामविलास पासवान और मायावती को हराकर पहली बार वह 1985 में संसदीय राजनीति में आई. कांग्रेस के उम्मीदवार के रूप में मीरा कुमार साल 2017 में राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव लड़ी लेकिन रामनाथ कोविंद से चुनाव हार गई.

राज कुमार सिंह इन्हें आरके सिंह के नाम से भी बुलाया जाता है. आरके सिंह आरा से सांसद हैं. ये 1975 बैच के आईएएस अधिकारी हैं. आरके सिंह समस्तीपुर में जिलाधिकारी के रूप में अपनी सेवा दे चुके हैं. हालांकि बाद के समय में इन्होंने गृह सचिव का पद छोड़कर राजनीति में अपना किस्मत आजमाया. आज वे बीजेपी से सांसद हैं.

इसी कड़ी में नाम आता है गुप्तेश्वर पांडेय का जिन्हें कभी बिहार का रॉबिनहूड भी कहा जाता है. बता दें कि गुप्तेश्वर पांडेय अपने काम के लिए लोगों के बीच में काफी पॉपुलर रहे हैं. इनका कार्य बेगुसराय में उनकी टीम ने 42 मुठभेड़ किया था, और 400 से ज्यादा अपराधियों को जेल भेजा था. गुप्तेश्वर पांडेय सुशांत सिंह राजपूत मामले के मीडिया की सुर्खियों में आए थे. उसके बाद उन्होंने अपनी नौकरी से VRS ले लिया था और जदयू की सदस्यता ले ली थी. हालांकि 2020 के विधानसभा चुनाव के बाद उन्हें टिकट नहीं मिला और

इनके अलावा आप किसी और IAS, IPS के बारे में जानते हैं जो बाद में राजनेता बने हैं तो आप हमें कमेंट करके जरूर बताएं.

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