क्या बिहार के शिक्षा मंत्री प्रो चंद्रशेखर सीएम नीतीश कुमार और डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव के नियंत्रण से बाहर हो गए हैं ! कम से कम सीएम नीतीश कुमार तो शिक्षा मंत्री प्रो चंद्रशेखर से बेहद नाखुश नजर आ रहे हैं। एक तरफ तो रामचरित मानस को लेकर चंद्रशेखर बेलगाम बयानबाजी लगातार करते जा रहे हैं तो दूसरी तरफ कैबिनेट में जाने के पहले ही मामलों के लीक हो जाने पर भी नीतीश कुमार प्रो चंद्रशेखर से नाराज नजर आ रहे हैं। ऐसे में समझा जा सकता है कि बिहार के शिक्षा मंत्री सीएम नीतीश कुमार और डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव के नियंत्रण से बाहर हैं।

लगातार बार बार रामचरित मानस को लेकर विवादित बयान देने वाले शिक्षा मंत्री प्रो चंद्रशेखर को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भरे सदन में ही नसीहत दे डाली। सीएम नीतीश कुमार ने चंद्रशेखर को पाठ पढ़ाते हुए कहा कि विभाग की ओर से कैबिनेट बैठक के लिए भेजे गए प्रस्ताव के बारे में तब तक चुप रहना पड़ता है, जब तक की वो पास न हो जाए…

अब शिक्षा मंत्री प्रो चंद्रशेखर ने किया ये था कि सातवें चरण की शिक्षक नियुक्ति नियमावली का ब्योरा कैबिनेट में जाने के पहले ही उनके स्तर पर लीक हो गई। नीतीश कुमार इस तरह की चीजों से नाराज थें और उनकी खामोश नाराजगी को भांपते हुए यह नियमावली कैबिनेट मीटिंग में आई ही नहीं…

उधर नीतीश कुमार की राजनैतिक शैली यह है कि वो किसी भी प्रकार के विवादित मुद्दों से बचते रहते हैं। जाति और धर्म की राजनीति नीतीश कुमार को कभी सूट नहीं करती… नीतीश कुमार चाहे जिस किसी भी गठबंधन के साथ रहें, वो अपने विकास पुरुष और सुशासन बाबू वाली छवि के इर्द गिर्द ही राजनीति करते रहे हैं… ऐसे में चंद्रशेखर का रामचरित मानस पर बेवजह की बयानबाजी नीतीश कुमार को परेशान करती रहती है।

सीएम नीतीश कुमार कई बार अपने संयमित और संजीदा अंदाज में चंद्रशेखर की इस तरह की टिप्पणियों पर आपत्ति जाहिर कर चुके हैं। इतना ही नहीं नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड के कई नेता और प्रो चंद्रशेखर के मंत्रिमंडलीय सहयोगी भी रामचरित मानस पर उनके बयान से इत्तेफाक नहीं रखते। जेडीयू के कई बड़े नेता, मंत्री, विधायक और प्रवक्ता मीडिया में आकर प्रो चंद्रशेखर के बयान के खिलाफ अपनी राय व्यक्त कर चुके हैं, इसके बावजूद चंद्रशेखर की बयानबाजी जारी है।

सबसे पहले तो शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने कहा कि रामचरित मानस एक नफरती ग्रंथ है और अपनी बात को सिद्ध करने के लिए उन्होंने ढोल गंवार शूद्र पशु नारी… सकल ताड़ना के अधिकारी जैसी कुछ पंक्तियों का जिक्र किया.. इस पर बवाल चल ही रहा था कि फिर से चंद्रशेखर मीडिया के सामने आएं और कह दिया कि रामचरित मानस में कूड़ा कचरा भरा हुआ है और इसकी सफाई जरुरी है।

उधर तेजस्वी यादव जो बिहार के डिप्टी सीएम हैं और आज की तारीख में राष्ट्रीय जनता दल के सर्वमान्य नेता हैं, वो भी ए टू जेड की राजनीति की बात करते हैं। तेजस्वी भी हर वर्ग को साथ लेकर चलने की राजनीति के हिमायती हैं तो ऐसे में प्रो चंद्रशेखर की जो लगातार बयानबाजी जारी है… क्या उससे नहीं लगता कि वो किसी के काबू में नहीं हैं… वो न तो महागठबंधन के नेता मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नियंत्रण में हैं और न ही उपमुख्यमंत्री और आरजेडी के नेता तेजस्वी यादव के…

क्या ऐसा तो नहीं कि महागठबंधन में सब कुछ ठीक ठाक चल रहा हो क्योंकि सत्ताधारी गठबंधन के एक और नेता यानी कि पूर्व सीएम और हिंदुस्तानी अवाम मोरचा सेकुलर के प्रमुख जीतन राम मांझी भी लगातार रामचरित मानस को लेकर बयानबाजी करते रहते हैं।

ये सच है कि आज की तारीख में बिहार की राजनीति में महागठबंधन भारतीय जनता पार्टी पर भारी है, भारतीय जनता पार्टी महागठबंधन से लोहा लेने के लिए नए मुद्दों, नए साथियों, नए नेताओं की तलाश में जुटी हुई है। सीएम नीतीश कुमार का व्यक्तित्व और डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव का मजबूत वोट बैंक मिलकर भाजपा पर बढ़त बनाए हुए हैं लेकिन अनर्गल बयानबाजी कहीं न कहीं महागठबंधन को नुकसान भी पहुंचा सकता है…

हालांकि कुछ राजनीतिक जानकारों का मानना है कि प्रो चंद्रशेखर जैसे कुछ नेता जान बूझकर रामचरित मानस जैसे विवादों को हवा दे रहे हैं ताकी मंडल बनाम कमंडल जैसी लड़ाई एक बार फिर से खड़ी हो जाए। इससे भाजपा कमजोर हो सकती है क्योंकि प्रो चंद्रशेखर के बयान का जहां बड़े पैमाने पर विरोध हो रहा है तो बड़ी संख्या में लोग खास कर दलित समाज के लोग चंद्रशेखर के बयान का समर्थनन भी कर रहे हैं.

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