क्रिकेट के तीनों प्रारूपों में टी-20 क्रिकेट इन दिनों काफी लोकप्रिय है। क्रिकेट के सबसे छोटे प्रारूप को लोग खूब पसंद करते हैं और यही वजह है कि अब दुनियाभर में क्रिकेट लीग खेली जा रही है। अगर टी20 क्रिकेट के इतिहास की बात करें तो ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के बीच पहला अंतरराष्ट्रीय T20 मुकाबला साल 2004 में खेला गया था। साल 2007 में पहले टी-20 विश्व कप के समापन के बाद इस प्रारूप ने गति पकड़ी।
अब ना सिर्फ क्रिकेट प्रशंसक T20 क्रिकेट को देखना पसंद करते हैं बल्कि खिलाड़ी की क्रिकेट के इस छोटे प्रारूप को जमकर खेलना चाहते हैं। भारतीय क्रिकेट की बात करें तो इसका इतिहास बहुत बड़ा है। 1983 विश्व कप जीतने वाली इस टीम ने 2011 वनडे विश्व कप पर भी कब्जा किया. भारतीय टीम के नाम ऐतिहासिक पहला t20 विश्व कप जीतने का रिकॉर्ड भी दर्ज है। साल 2007 में महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में भारतीय टीम ने पाकिस्तान को हराकर यह खिताब जीता था।
भारतीय टीम के लिए वैसे तो कई खिलाड़ियों ने भारतीय क्रिकेट को अपने कंधों पर आगे बढ़ाया है और टेस्ट क्रिकेट, वनडे अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में उनके आंकड़े लाजवाब है लेकिन क्रिकेट के सबसे छोटे प्रारूप में इन्हें ज्यादा मौके नहीं मिले। कुछ नाम ऐसे हैं जिन्हें सुनकर शायद आप हैरान रह जाएंगे।
चलिए देखते हैं-
1) सचिन तेंदुलकर-
दोस्तों शायद इस सूची में आपने इस नाम की उम्मीद नहीं की होगी। सचिन तेंदुलकर जिन्हें क्रिकेट प्रशंसक भगवान का रूप मानते हैं, उनका नाम इस सूची में शामिल होना थोड़ा सा अटपटा जरूर है। लेकिन यह सच है कि सचिन तेंदुलकर T20 अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में ज्यादा खेल नहीं सके।
टेस्ट क्रिकेट और वनडे क्रिकेट में मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर के नाम सैकड़ों रिकॉर्ड दर्ज हैं जैसे कि अपने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में 100 शतक लगाना तो सबसे पहले वनडे अंतरराष्ट्रीय में 200 रन का आंकड़ा पार करना- उनके नाम ऐसे कई रिकार्ड दर्ज है जिसे पूरा करने का सपना हर क्रिकेटर करता है। लेकिन टी-20 क्रिकेट में इस खिलाड़ी ने सिर्फ एक मैच ही खेला.
भारत ने अपना ऐतिहासिक पहला टी20 अंतरराष्ट्रीय मुकाबला साल 2006 में दक्षिण अफ्रीका के विरुद्ध खेला था। इस मुकाबले में सचिन तेंदुलकर ने क्रिकेट के सबसे छोटे प्रारूप में अपना डेब्यू किया था लेकिन वह कुछ खास नहीं कर सके। सचिन ने 12 गेंदों में 10 रन बनाए और यह मुकाबला उनका पहला और अंतिम टी-20 अंतरराष्ट्रीय मुकाबला बनकर ही रह गया। हालांकि सचिन ने इस मुकाबले में 1 विकेट भी झटका था और भारतीय टीम ने दक्षिण अफ्रीका के विरुद्ध जीत भी दर्ज की थी.
सचिन ने युवा खिलाड़ियों को उक्त प्रारूप में भाग लेने की अनुमति देने के लिए 2007 के विश्व टी20 और उसके बाद के टी20ई मैचों को छोड़ने का निर्णय लिया था. सचिन अगर खेलते तो क्रिकेट के सबसे छोटे फॉर्मेट में भी रनों का अंबार लगा देते.
2) राहुल द्रविड़-
‘द बॉल’ यानी की दीवार के नाम से मशहूर राहुल द्रविड़ भी मात्र एक टी-20 अंतरराष्ट्रीय मुकाबले का हिस्सा रहे हैं। टेस्ट क्रिकेट और वनडे अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में इस खिलाड़ी ने जमकर रन बटोरे थे लेकिन इसके बावजूद भी यह क्रिकेट के सबसे छोटे प्रारूप में यह अपनी पहचान बनाने में असफल रहे। टेस्ट क्रिकेट में राहुल द्रविड़ के नाम 13228 बनता है तो वहीं वनडे अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में उन्होंने 10889 रन बनाए हैं। अगर एक बार द्रविड़ क्रीज पर अपना पैर जमा लेते थे तो गेंदबाजों को उनका विकेट चटकाना भारी पड़ जाता था।
साल 2011 में भारत इंग्लैंड के दौरे पर गया था जहां टेस्ट क्रिकेट में भारतीय टीम को इंग्लैंड के विरुद्ध 4-0 से शिकस्त का सामना करना पड़ा। इस शर्मनाक हार के बीच राहुल द्रविड़ का प्रदर्शन एकमात्र प्लस पॉइंट था। द्रविड़ ने इस श्रृंखला में तीन शतक लगाए थे। इसके बाद उनका चयन इंग्लैंड के खिलाफ टी20 सीरीज के लिए हो गया। मैनचेस्टर में खेले गए इस मुकाबले में राहुल द्रविड़ ने 21 गेंदों में 31 रन बनाए। ऑफ स्पिनर समित पटेल के खिलाफ द्रविड़ ने 3 गेंदों में 3 छक्के लगाए। इसके बाद राहुल द्रविड़ ने टी20 क्रिकेट ना खेलने का निर्णय ले लिया.
3) एस बद्रीनाथ-
इस सूची में एस बद्रीनाथ एक ऐसे खिलाड़ी हैं जिन्होंने पहले टी-20 अंतरराष्ट्रीय मुकाबले में मैन ऑफ द मैच का खिताब भी जीता लेकिन इसके बावजूद भी इन्हें मौका नहीं दिया गया। तमिलनाडु के मिडिल ऑर्डर बल्लेबाज बद्रीनाथ भारत के लिए 2 टेस्ट मुकाबले और 7 वनडे अंतरराष्ट्रीय मुकाबलों का हिस्सा रह चुके हैं। घरेलू क्रिकेट में शानदार प्रदर्शन करने के बाद बद्रीनाथ ने भारत के लिए साल 2011 में वेस्टइंडीज के विरुद्ध क्रिकेट के सबसे छोटे प्रारूप में डेब्यू किया।
नंबर चार पर बल्लेबाजी करने उतरे बद्रीनाथ के उस मुकाबले में 37 गेंदों में 43 रन की पारी खेली। उनकी इस पारी की बदौलत भारतीय टीम ने वेस्टइंडीज पर जीत दर्ज की और बद्रीनाथ को मैन ऑफ द मैच का खिताब भी मिला। लेकिन इसके बाद इस खिलाड़ी को इस प्रारूप में कभी मौका नहीं मिला और यह मुकाबला इनका अंतिम मुकाबला भी बन गया।
4) दिनेश मोंगिया-
भारत के लिए 57 वनडे अंतरराष्ट्रीय मुकाबले का हिस्सा रह चुके दिनेश को एक टी20 अंतरराष्ट्रीय मैच खेलने को मिला। घरेलू क्रिकेट में इनका रिकॉर्ड शानदार रहा था और करीब 50 की औसत से इन्होंने 8028 रन बनाए थे। साल 2006 में दक्षिण अफ्रीका के विरुद्ध इन्हें भी टी20 क्रिकेट में डेब्यू करने का मौका मिला।
भारत के ऐतिहासिक पहले T20 अंतरराष्ट्रीय मुकाबले में दिनेश नंबर तीन पर बल्लेबाजी करने उतरे। उन्होंने 45 गेंदों में 38 रन की पारी खेली। इस पारी में 4 चौके और एक छक्का शामिल है। उनके इस योगदान की बदौलत भारतीय टीम ने 6 विकेट से जीत दर्ज की थी लेकिन इसके बाद बीसीसीआई ने इन्हें इस प्रारूप में कभी मौका नहीं दिया।
5) मुरली कार्तिक-
भारत के पूर्व लेफ्ट आर्म स्पिनर मुरली कार्तिक भी इस सूची का हिस्सा है। भारत के लिए 37 वनडे अंतरराष्ट्रीय मुकाबलों में 37 विकेट और आठ टेस्ट मुकाबलों में 15 विकेट चटकाने वाले इस गेंदबाज को मात्र एक T20 अंतरराष्ट्रीय मुकाबले में मौका मिला। साल 2007 में ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध मुंबई में इन्होंने अपना डेब्यू किया।
मुरली कार्तिक को अपने कोटे के 4 ओवर पूरे डालने का मौका मिला। इन्होंने 27 रन खर्च किए और एक भी विकेट इनको नसीब नहीं हुआ। भारतीय टीम ने भले ही ऑस्ट्रेलिया पर जीत दर्ज कर ली हो लेकिन उन्हें इसके बाद टी-20 क्रिकेट में कभी मौका नहीं दिया गया। यह इनका पहला और अंतिम तीनों ने अंतरराष्ट्रीय मुकाबला बनकर रह गया।
कमेंट करके बताइए क्या सचिन का टी20 फॉर्मेट में नहीं खेलना सही निर्णय था या नहीं ? आप अपनी राय कमेंट करके बता सकते हैं.