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जिस हुनर की बदौलत टीम इंडिया में हुई एंट्री, उसी ने बाहर भी किया

Bihari News

भारतीय क्रिकेट टीम के इतिहास के पन्नों को पलटेंगे तो आपको कई यादगार और सुनहरे पल मिलेंगे. इन्हीं यादगार पलों में साल 2008 याद आता है जब भारत ने ऑस्ट्रेलिया में तीन देशों का टूर्नामेंट जीता था और उस समय के कप्तान रहे महेंद्र सिंह धोनी ने भारतीय टीम के युवा बल्लेबाज रॉबिन उथप्पा की तारीफ में कितने कसीदे गढ़े थे. इस सीरीज में उथप्पा ने भारत के लिए सलामी बल्लेबाज के तौर पर बैटिंग करते हुए दिखाई दिए तो कभी मध्यम क्रम में बल्लेबाजी करते हुए दिखाई दिए. जब धोनी से रॉबिन के बल्लेबाजी में बदलावों के बारे में पुछा गया तो उन्होंने कहा कि रॉबिन हमारे ऐसे खिलाड़ी हैं जो किसी भी नंबर पर बैटिंग करने की काबिलियत रखते हैं. वे ओपनिंग कर सकते हैं. वें नंबर तीन पर बैटिंग कर सकते हैं. वे लोअर मिडिल ऑर्डर पर भी खेल सकते हैं. उन्होंने आगे बोलते हुए कहा कि जब टीम में ऐसा खिलाड़ी होता है तो विकल्प बढ़ जाता है. यकीनन, वे हमारे टीम के बेहद अहम खिलाड़ी है. शायद बाद के दिनों में रॉबिन की यही खुबी उनके लिए काल बन गया. उनका टीम में कोई एक स्थान नहीं बन पाया और वे एक दिन टीम से बाहर होते चले गए. 14 सिंतबर 2022 को उन्होंने अपने क्रिकेट कैरियर से संन्यास की घोषणा भी कर दी.

अगर रॉबिन के इंटरनेशनल कैरियर को देखें तो वह बहुत अच्छा तो नहीं रहा था उन्होंने 46 वनडे में 934 रन बनाए, 13 T-20 मैच में उन्होंने उन्होंने 249 रन बनाया, लेकिन रॉबिन के क्रिकेट कैरियर की एक दूसरी तस्वीर फर्स्टक्लास क्रिकेट भी है जिसमें उनका प्रदर्शन शानदार रहा है. 142 फर्स्टक्लास मैच में 40.71 की औसत और 22 शतक की मदद से 9446 रन बनाए हैं. लिस्ट ए के 203 मैच में उन्होंने 16 शतक की मदद से 6914 रन बनाएं हैं. इसी तरह से 291 टी-20 मैचों में 7272 रन बनाए हैं. रॉबिन ने भले ही क्रिकेट से सन्यांस ले लिया हो लेकिन भारतीय फैंस को आज भी उनपर गर्व होता है, वे उन टीमों के साथ रहे जिन्होंने बारबार रणजी ट्रॉफी जीती, दिलीप ट्रॉफी अपने नाम किया, विजय हरारे ट्रॉफी जीती. इसके अलावा वे IPL में वे 6 अलग अलग टिमों का हिस्सा रहे जोकि IPL जीतने में सफल रही है.

आइए अब एक नजर डाल लेते हैं रॉबिन उथप्पा के अनछुए पहलुंओं के बारे में

  • रॉबिन उथप्पा के पिता का नाम वेणू उथप्पा है रॉबिन की भले ही क्रिकटे में दिलचस्पी है लेकिन उनके पिता  इंटरनेशनल हॉकी रेफरी रह चुके हैं. वे कर्नाटक हॉकी एसोसिएशन के अध्यक्ष भी रह चुके हैं. घर में हॉकी का माहौल होते हुए भी उथप्पा ने क्रिकेट को चुना और बहुत ही कम उम्र में इसमे अपना एक नाम बना लिया.
  • रॉबिन के पिता हिंदू थे लेकिन उनकी मां ईसाई थी. वे अपने जीवन के 25 साल हिंदू धर्म के साथ चले फिर  साल 2011 में उन्होंने ईसाई धर्म अपना लिया. इसके बाद उनकी बहन ने भी ईसाई धर्म अपना लिया.
  • आप मे से बहुत कम लोगों को यह पता होगा कि रॉबिन को 10 साल की उम्र के बाद मिर्मी का दौरा पड़ता था, दवा खाने के कारण उनका वजन लगातार बढ़ रहा था. 20 से 25 साल तक उनकी इसी तरह की स्थिति रही लेकिन बाद में उन्होंने एक न्यूट्रिशनिस्ट की मदद से अपना वजन 20 किलों कम किया.
  • रॉबिन उथप्पा के बैटिंग की आज अगर बात हो रही है तो उसमें उनके बैटिंग कोच रहे पूर्व भारतीय बल्लेबाज प्रवीण आमरे का बहुत बड़ा योगदान है. वे उनके पर्सनल बैटिंग कोच थे. रॉबिन जहां जहां जाते थे प्रवीण आमरे वहां वहां उनके साथ होते थे. आमरे के ही कारण उथप्पा की बैटिंग में इतना पैनापन आया था.
  • रॉबिन उथप्पा के कैरियर में साल 2013 और 2014 सवर्णिम काल के रूप में देखा जाता है. क्योंकि इस साल उन्होंने कर्नाटक के लिए रणजी ट्रॉफी जीती उसके बाद विजय हजारे ट्रॉफी पर भी कब्जा किया और IPL मे कोलकाता नाइट राइडर्स की तरफ से खेलते हुए टीम IPL जीती थी.
  • रॉबिन उथप्पा के पास किसी भी ऑर्डर में उतर कर तेज खेलने की क्षमता थी. साथ ही वे एक ऐसे बल्लेबाज थे जो तेज गेंदबाजों को आगे निकलकर खेलते की क्षमता रखते थे और उसमें वे सफल भी रहे. लेकिन किसी भी ऑर्डर में खेलने के हुनर ने इस खिलाड़ी को एक टीम से बाहर होने में भी मदद किया

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