इतिहास अतीत के कई किस्सों और कहानियों का संग्रह होता है जो कभी आपको आश्चर्यचकित करेगा तो कभी रोमांचित. हालाँकि इसकी कई बातें सच होती हैं तो कई बनावटी लेकिन यही चीज़ें उन किस्सों को लोगों में मशहूर करती है. आज हम आपको ऐसे ही एक ऐतिहासिक धरोहर की सैर पर ले चलेंगे जो आपके जिज्ञासा को और भी उत्तेजित कर सकती है. बिहारी विहार के इस सेगमेंट में आज हम आपको ले चलेंगेबिहार के रोहतास जिला मुख्यालय सासाराम से लगभग 55 किलोमीटर दूर ऐतिहासिक रोहतासगढ़ किले के सफ़र पर. जिसका इतिहास इतना पुराना है की आप वहां जाने से खुद को शायद ही रोक पाएं.
विश्वभर में प्रसिद्ध रोहतास किला कैमूर पहाड़ी के ऊपर के हिस्से में स्थित है. यह भारत के इतिहास के प्राचीन किलों में से एक हैं. जो बिहार ही नहीं बल्कि देश की शान बढ़ाता हैं. इसका इतिहास काफी लम्बा, रोचक और अस्पष्ट है. कहा जाता है कि सोन नदी के बहाव वाली दिशा में पहाड़ी पर स्थित इस प्राचीन और मज़बूत किले का निर्माण त्रेता युग में अयोध्या के सूर्यवंशी राजा त्रिशंकु के पौत्र व राजा सत्य हरिश्चंद्र के पुत्र रोहिताश्व ने कराया था. इतिहासकारों की मानें तो किले की चारदीवारी का निर्माण शेरशाह सूरी ने सुरक्षा को देखते हुए कराया था ताकि किले पर कोई भी हमला न कर सके. एक एक कर इसके इतिहासों को समझे तो मध्य काल के भारत में यह किला पृथ्वीराज चौहान ने जीत लिया था. लेकिन इस किले का महत्त्व तब बढ़ा जब यह किला सन 1539 में शेरशाह सूरी ने एक हिन्दू राजा से जीत लिया था. शेरशाह सूरी के शाषण में इस किले की सिर्फ पहरेदारी करने के लिए 10,000 सैनिक तैनात किए गए थे. शेरशाह सूरी के शासनकाल में उनके एक सैनिक हैबत खान ने किले के परिसर जामा मस्जिद का निर्माण करवाया था. इसके बाद सन 1588 में यह किला अकबर का जनरल मान सिंह के नियंत्रण में आया जिसके बाद मान सिंह ने खुदके लिए इस किले में एक शानदार ‘तख्ते बादशाही’ नाम का महल भी बनवाया. और अपनी पत्नी के लिए आइना महल और किले के द्वारा के तौर पर हथिया पोल का निर्माण करवाया.
मान सिंह महल के करीब आधे किमी की दुरी पर पश्चिम दिशा मे राजपुताना शैली में बनाया हुआ भगवान गणेश का मंदिर भी है. महल के बाहर के परिसर में जामी मस्जिद, हब्श खान का मकबरा और सूफी सुलतान का मकबरा बनवाया गया है. बक्सर की लड़ाई के बाद अंग्रेजो ने किले पर कब्ज़ा जमा लिया था जिसके बाद किले का बहुत सारा हिस्सा तबाह कर दिया. लेकिन आज भी हिन्दू और मुस्लिम की बहुत सारी इमारते इस किले के परिसर में देखने को मिलती है जो हमें इस महान किले की समृद्ध इतिहास की याद दिलाती है.
कुल स्थल इस किले के मुख्य आकर्षण का केंद्र है जो आपको आकर्षित करेगी.
(1) आइना महल – The Aina Mahal :आइना महल जो मान सिंह ने अपनी पत्नी के लिए बनवाया था.
(2) रोहतासन मंदिर – Rohtasan Temple: महल के करीब एक मील की दुरी पर उत्तर पूर्वी दिशा में दो मंदिरों के अवशेष देखने को मिलते है. एक मंदिर जो है वो भगवान शिव का है और उसे रोह्तासन मंदिर कहते है. सारी सीढ़िया तोड़ दी गयी है और अब केवल 84 सीढिया ही अच्छी हालत में है जिन्हें चढ़कर मंदिर तक पंहुचा जा सकता है.
(3) जामा मस्जिद और हब्श खान का मकबरा – Jama Masjid and Habsh Khan’s mausoleum:महल के अगल बगल के इलाके में जामा मस्जिद, हब्श खान का मकबरा और सूफी सुलतान का मकबरा है. यहाँ खड़े स्तंभपर प्लास्टर की शैली में कई सारे गुबंद बनाए गए है जो हमें राजपुताना शैली की याद दिलाते है, यहाँ स्थित सभी गुबंद को क्षत्री भी कहते है।
(4) हथिया पोल – Hathiya Pol: इस किले के मुख्य द्वार को हथिया पोल या हथिया द्वार भी कहा जाता है. इस द्वार को हथिया द्वार इसलिए कहा जाता है क्यु की द्वार पर हाथी की बहुत सारी प्रतिमा है. उन प्रतिमा के कारण ही वो द्वार अधिक सुन्दर दिखता यह द्वार किले का सबसे बड़ा द्वार है और इसे सन 1597 में बनाया गया था.
(5) गणेश मंदिर – Ganesh Temple: मान सिंह महल के पश्चिम दिशा में आधे किमी की दुरी पर गणेश मंदिर है. इस पवित्र मंदिर में जाने के लिए दो तरफ़ से रास्ते बनाए गए है.
(6) हैंगिंग हाउस – The Hanging House: पश्चिम की दिशा में कोई गुफा जैसे इमारत बनाई हुई दिखती है, लेकिन इस गुफा के बारे कोई सबूत नहीं मिल पाए. लेकिन यहाँ के लोग इस इमारत जैसी गुफा को हैंगिंग हाउस कहते है. यहाँ से 1500 फीट निचे की दुरी पर एक बहुत बड़ा झरना है.
यहाँ के लोगों का कहना है इस गुफा में एक मुस्लिम फ़क़ीर को दफनाया गया था. ऐसा कहा जाता है की उस फ़क़ीर के हाथ पैर बांधकर उसे निचे की घाटी में तीन बार फेका गया था. लेकिन चौकाने वाली बात यह थी की उसे तीनो ही बार कुछ नहीं हुआ और वो बच निकला. इसलिए लोगों ने उस फ़क़ीर को आखिरी में उस गुफा में ही दफना दिया. और तभी से ही सभी उस गुफा को हैंगिंग हाउस कहके बुलाते है.
किसी भी किले में राजा के लिए ही बड़ी बड़ी इमारते और महल बनाए जाते है. लेकिन इस रोहतासगढ़ किले में राजा के लिए अच्छी अच्छी इमारते और महल तो है ही लेकिन उनके सेनापति और जनरल के लिए तो राजा से भी बड़े आलीशान और शानदार महल बनवाये गए दिखाई देते है. उनमे से ही एक राजा मान सिंह का ‘तख्ते बादशाही’ है. जो देखने में काफी भव्य था.
किले के इतिहास के साथ साथ इससे जुड़ी एक रोचक कहानी के साथ आपको छोड़े जाती हूँ जो अंधविश्वास है या सच ये आज तक साफ़ नहीं हो पाया है.
किले के दरवाजे से टपकता था खून, अन्धविश्वास या झूठ?
इस किले के बारे में कहा जाता है कि कभी इस किले की दीवारों से खून टपकता था। फ्रांसीसी इतिहासकार बुकानन ने लगभग दो सौ साल पहले रोहतास की यात्रा की थी. उस समय उन्होंने पत्थर से निकलने वाले खून की चर्चा एक दस्तावेज़ में की थी. उन्होंने कहा था कि इस किले की दीवारों से खून निकलता है. वहीं, आस–पास के रहने वाले लोग भी इसे सच मानते हैं. वे तो ये भी कहते हैं कि बहुत पहले रात में इस किले से आवाज़ भी आती थी. इस आवाज़ को सुनकर हर कोई डर जाता था. हालांकि, किले से आने वाली आवाज़ और दीवारों से खून निकलने की बात अंधविश्वास है या सच– ये रहस्य तो इतिहास में ही छुपा हुआ है. जिसकी चर्चा आज किस्से–कहानियों के रूप में होती है.