दूसरे की गलती ने खत्म कर दिया क्रिकेट करियर बाद में टीवी और बड़े पर्दे पर मचा दिया धमाल
धाकड़ तेज गेंदबाज, जिसने सचिन के साथ किया था डेब्यू
अपने पहले रणजी मुकाबले में जिसने हैट्रिक लेकर मचा दी थी सनसनी
चोट की वजह से बर्बाद हुआ करियर, समय से पहले लेना पड़ा संन्यास
क्रिकेट के बाद जिसने फिल्मों और टीवी में बनाया करियर, डिप्रेशन के हुए शिकार लेकिन हार नहीं मानी
खिलाड़ी जिसने जिंदगी जीने का हुनर सिखाया
क्रिकेट और सिनेमा काफी हद तक मिलते जुलते हैं. हमारे देश में क्रिकेट और बॉलीवुड दोनों शोहरत पाने के सबसे मशहूर रास्ते हैं लेकिन दोनों में कामयाबी हासिल करना आसान नहीं होता. मैदान हो या पर्दा दोनों कई कुर्बानियों के बाद ही इनाम देते हैं. आसान शब्दों में कहें तो क्रिकेट और बॉलीवुड दोनों में कामयाब होने के लिए कड़ी मेहनत के साथ संयम और खुद पर भरोसा होना चाहिए.
चक दे क्रिकेट की टीम अपनी खास पेशकश में लेकर आया है एक ऐसे खिलाड़ी की कहानी, जिसने क्रिकेट और सिनेमा जगत दोनों में एक ही समय कामयाबी हासिल की. महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर के साथ डेब्यू करने वाला यह खिलाड़ी 90 के दशक में भारतीय पेस बैट्री का हिस्सा थे तो 21वीं सदी में पर्दे और टीवी के जाने–माने चेहरा रहे. कभी विक्राल बनकर तो कभी सूर्य देव बनकर इन्होने हमारे दिलों पर राज किया. अब तो आप समझ ही गए होंगे हम किसकी बात कर रहे हैं. हम बात कर रहे हैं सलिल अंकोला की.
आज के लेख में हम टीम इंडिया के पूर्व क्रिकेटर और पर्दे के हीरो सलिल अंकोला के जीवन से जुड़ी कुछ जानी–अनजानी और अनकही बातों को जानने की कोशिश करेंगे.
दोस्तों, 1 मार्च, 1968 को महाराष्ट्र के सोलापुर में एक ब्राह्मण परिवार में सलिल अंकोला का जन्म हुआ था, जिन्हें बचपन से ही क्रिकेट पसंद था खासकर तेज गेंदबाजी. वो बचपन से ही एक धाकड़ तेज गेंदबाज बनने का सपना देख रहे थे. और सलिल स्कूली दिनों से ही तेज गेंदबाजी पर काम करने लगे थे. वक्त के साथ सलिल बेहतर हुए और उनका नाम महाराष्ट्र क्रिकेट के गलियारों में गूंजने लगा. इसी का नतीजा था कि 1988-89 सत्र में सलिल अंकोला ने महाराष्ट्र रणजी टीम में जगह बना ली थी. महज 20 साल की उम्र में सलिल ने अपने पहले ही रणजी मैच में गुजरात के खिलाफ हैट्रिक ले ली और कुल 6 विकेट हासिल किए. वो यहीं नहीं रुके, उस सत्र के 5 मैचों में सलिल ने कुल 27 विकेट चटकाकर सनसनी मचा दी थी.
ये वो दौर था जब भारतीय टीम में एक अच्छे तेज गेंदबाज का होना रेगिस्तान में पानी मिलने के बराबर माना जाता था. और इसलिए सलिल तुरंत ही चयनकर्ताओं की रडार में आ गए थे और उन्होंने 1989-90 में पाकिस्तान जाने वाली टीम इंडिया में सलिल को शामिल कर लिया. 15 नवंबर, 1989 सलिल अंकोला का देश के लिए खेलने का सपना पूरा हुआ था. यह दिन इसलिए भी खास है क्योंकि इसी दिन क्रिकेट जगत के 2 महारथी ने भी अपना डेब्यू किया था. सलिल के अलावा उस दिन सचिन तेंदुलकर और पाकिस्तान के वकार यूनिस ने भी डेब्यू किया था. इसलिए क्रिकेट इतिहास में जब भी 15 नवंबर, 1989 की बात होती है तो सचिन और वकार को ही याद किया जाता है. सलिल अंकोला का जिक्र आपको शायद की क्रिकेट के किसी कहानी में मिले.
सलिल एक बोर्न फ़ास्ट बॉलर थे, 6 फूट लंबे सलिल अंकोला तेज बाउंसर और सटीक योर्कर फेंकते थे साथ ही लगातार गेंदबाजी करते रहने का स्टैमिना भी था. लेकिन अपने पहले टेस्ट में सलिल का प्रदर्शन साधारण ही था, जिसका खामियाजा उन्हें टीम से ड्रॉप होकर उठाना पड़ा. अपने पहले टेस्ट मैच में सलिल ने 130 रन देते हुए 2 विकेट चटकाए थे. फिर 1990-91 सीजन से सलिल मुंबई रणजी टीम का हिस्सा बन गए. घरेलु क्रिकेट में सलिल ने कई मौकों पर यादगार प्रदर्शन किया और इसी वजह से उन्हें भारतीय वनडे टीम में स्थान भी मिला लेकिन वो टीम के नियमित सदस्य नहीं बन पाए. सलिल भारत की वनडे टीम से अंदर–बाहर होते रहे.
सलिल को 1996 विश्व कप के लिए भारतीय टीम में चुना गया था लेकिन 1997 में दक्षिण अफ्रीका के विरुद्ध मैच के बाद सलिल को भारतीय टीम से हमेशा के लिए ड्रॉप कर दिया गया, वो इस मैच के बाद फिर कभी अंतराष्ट्रीय क्रिकेट में वापसी नहीं कर पाए.
इसकी एक बड़ी वजह भी थी. दरअसल, एक घरेलु मैच के दौरान सलिल शानदार गेंदबाजी कर रहे थे लेकिन कुछ देर बाद वो एक दम से मैदान पर गिर पड़े और दर्द से कराहने लगे. सलिल को तुरंत अस्पताल ले जाया गया जहां पता चला कि उनके बाएं पांव की शिन बोन यानी पिंडली की हड्डी में ट्यूमर है. सलिल ने बिना समय गंवाए ऑपरेशन करवा लिया. सलिल का ट्यूमर तो ठीक हो गया लेकिन अगले कई सालों तक वो दौड़ भी नहीं सके. उस वक्त को याद करते हुए सलिल कहते हैं, ‘वो एक भयानक ऑपेरशन था. जो सही ढंग से नहीं किया गया. काश! मैं लोगों की बात सुन लेता और विदेश में ऑपेरशन करवा लेता. मेरे अंदर तब भी 6-7 साल की क्रिकेट और बची थी. जो एक ग़लती के चलते बर्बाद हो गयी. उस ऑपेरशन की वजह से महज़ 30 साल की उम्र में ही सलिल क्रिकेट से संन्यास लेने को मजबूर हो गए.’
उस ऑपरेशन की वजह से सिर्फ 30 साल की उम्र में सलिल को क्रिकेट से संन्यास लेना पड़ गया. संन्यास तक सलिल भारत के लिए 1 टेस्ट और 20 वनडे ही खेले थे जिसमें उन्होंने कुल 15 विकेट लिए थे.
सलिल के अंतराष्ट्रीय आंकड़े भले ही प्रभावित ना करते हों लेकिन उन्होंने 54 फर्स्ट क्लास मैचों में 25.33 की शानदार औसत के साथ 181 विकेट हासिल किए थे. वाकई सलिल के अंदर अभी काफी क्रिकेट बची थी और इसकी गवाही उनके फर्स्ट क्लास आंकड़े देते हैं. लेकिन सलिल उन चुनिंदा शक्शियत में से थे, जो जिंदगी जीना जानते थे. उन्होंने अपने किस्मत को कोसने के बजाय एक फाइटर की तरह जीने का फैसला किया. अब सलिल की एक दूसरी पारी या यूं कहें कि एक बिलकुल नई पारी का आगाज होने वाला था क्योंकि सलिल ने जिंदगी को नए ढंग से जीने का फैसला कर लिया था.
सलिल ने वसई में फिश फार्मिंग यानी मछली पालन का बिजनेस शुरू किया लेकिन इसमें उन्हें काफी नुकसान उठाना पड़ा. ये सलिल के बहुत मुश्किलों वाला दौर था. घर चलाने के लिए सलिल के लिए काम करना जरुरी था तब सलिल ने बॉलीवुड का रुख किया. इसके पीछे भी एक कहानी है, सलिल को 1996 विश्व कप के दौरान मॉडलिंग ऑफर्स आए थे. यही वजह थी कि उनके लिए काम पाना उतना मुश्किल नहीं रहा था. सलिल ने छोटे पर्दे से अपना डेब्यू किया. जी टीवी की मशहूर धारावाहिक ‘चाहत और नफरत‘ से सलिल ने अपना टीवी डेब्यू किया था. क्रिकेट के मैदान पर बल्लेबाजों के होश उड़ाने वाले सलिल को शुरू में कैमरे का सामना करने में बहुत परेशानी हुई. सलिल अपने उन दिनों को याद करते हुए कहते हैं, “मुझे आज भी याद है. ‘चाहत और नफ़रत‘ सीरियल के सेट पर मेरा पहला दिन था. मेरा डायलॉग था ‘मैं आ रहा हूँ‘. जोकि सीरियल में मेरी एंट्री की ओर इशारा था. लेकिन, मैं पहले ही शॉट में इतना घबरा गया कि उस छोटे से डॉयलोग के लिये भी 44 रिटेक हुये.मैं क्रिकेट के मैदान पर कभी इतना नर्वस नहीं हुआ था.”
‘चाहत और नफरत‘ सीरियल में सलिल अंकोला के किरदार को खूब पसंद किया गया था, इस धारावाहिक में उनका नाम विशाल था. इसके बाद सलिल ने संजय दत्त स्टारर ‘कुरुक्षेत्र‘ फिल्म में काम किया, और इसी से सलिल ने अपने सिनेमाई सफ़र की शुरुआत की थी. इसके बाद वो ‘पिता‘ और ‘चुरा लिया है तुमने‘ जैसी बड़ी बजट की फिल्मों में भी नजर आए. सलिल को फिल्मों में टीवी जैसी कामयाबी नहीं मिल पाई. एक तरफ जहां सलिल बड़े पर्दे पर एक अच्छी फिल्म को तरसते रहे वहीं टीवी पर सलिल ‘कहता है दिल‘, ‘श.. कोई है‘, ‘विक्राल–गबराल‘, ‘करम अपना अपना‘, ‘प्यार का बंधन‘, सावधान इंडिया‘ और ‘कर्मफल दाता शनि‘ जैसे कई कामयाब धारावाहिकों का हिस्सा रहे. ‘विक्राल–गबराल‘ में ‘विक्राल‘ और ‘कर्मफल दाता शनि‘ में ‘सूर्य देव‘ के किरदार के लिए सलिल अंकोला को खूब सराहा गया. इन दोनों किरदारों के लिए सलिल को ढेर सारा प्यार और तारीफ़ मिला. लेकिन पर्दे के पीछे कुछ और कहानी चल रही थी. कैमरे के सामने ये करिश्माई सफर जितना जादुई दिख रहा था उतना असल में था नहीं.
दरअसल, साल 2008 और 2010 के दौरान सलिल को शराब की लत और डिप्रेशन के चलते रिहैब सेंटर भेजा गया था. वो समय शायद सलिल के जीवन का सबसे कठिन समय था. वो लगातार काम कर रहे थे लेकिन उन्हें कहीं सुकून नहीं मिल रहा था. पहली पत्नी परिणीता अंकोला की मौत के बाद सलिल बिलकुल अकेले पड़ गए थे तब दूसरी पत्नी रिया बनर्जी ने उनको संभाला. जब सलिल पूरी तरह से ठीक हुए तब सिर्फ 2 फिल्मों का ही हिस्सा बन पाए. लेकिन सलिल ने अपनी पर्सनालिटी पर ध्यान देना जारी रखा था. तभी तो 52 साल की उम्र में भी वो लगातार जिम जा रहे थे. ये इस बात का सबूत है कि सलिल अपने फिटनेस को लेकर कितने सजग थे. एक क्रिकेटर के तौर पर शुरू हुआ सलिल अंकोला का करियर फिल्मों से होते हुए क्रिकेट पर ही आकर रुक गया. साल 2020 में सलिल अंकोला को मुंबई सीनियर क्रिकेट टीम की चयन समिति का चेयरमैन नियुक्त किया गया था. चेयरमैन की भूमिका पर बात करते हुए सलिल कहते हैं, “मुझे एक मराठी फिल्म और एक हिंदी वेबसीरीज के लिए ऑफर आए लेकिन मैंने मना कर दिया. क्योंकि, क्रिकेट मेरा पहला प्यार है और अब मैं उस पर ही पूरा ध्यान देना चाहता हूं.”
सलिल के नेतृत्व में चुनी गई मुंबई टीम ने एक लंबे अंतराल के बाद विजय हजारे ट्रॉफी जीती. क्रिकेट, चोट, ऑपरेशन, बिजनेस में नुकसान, फिर टीवी और सिनेमा, फिर नशे और डिप्रेशन का शिकार और अंत में फिर से क्रिकेट. सलिल अंकोला ने कभी हार नहीं मानी और हर बार दिखाया कि इंसान के दृढ संकल्प के सामने सब बौना होता है. इंसान अगर ठान ले तो कुछ भी नामुमकिन नहीं है. सलिल अंकोला की जिंदगी किसी फिल्म की तरह है अब ये फिल्म हिट है या फ्लॉप, ये हम आपपर छोड़ते हैं. कमेन्ट में जरुर बताइएगा. चक दे क्रिकेट की पूरी टीम सलिल अंकोला के उज्जवल भविष्य की कामना करती है.